रायपुर: छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा विभाग ने जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत पर आज एक कार्यशाला का आयोजन किया. इसमें छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप भी शामिल हुए. उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि हमारे जनजाति समाज की ऐतिहासिकता, सामाजिकता या फिर आध्यात्मिकता की बात की जाए तो हर क्षेत्र में जनजाति समाज का ऐतिहासिक योगदान रहा है. यह बातें हमारी आने वाली पीढ़ी तक जाए, इसके लिए संगोष्ठी का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रदेश के सभी कुलपति मौजूद रहे.
"जनजाति समाज के योगदान को जाने देश": केदार कश्यप ने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह हों या फिर भगवान बिरसा मुंडा, ऐसे कई महापुरुष सिर्फ जनजाति समाज के नहीं बल्कि देश के महान सपूत थे. उन्होंने देश के हित में काम किया. देश की आजादी के बाद हमें जो पढ़ाया जा रहा है, उससे लगता है कि एक ही परिवार ने देश की आजादी में योगदान दिया है. हम चाहते हैं कि महापुरुषों को भुलाने वाले और एक परिवार को ही स्थापित करने की कोशिश करने वालों को मालूम चले कि जनजाति समाज के लोगों ने भी इस देश की स्वतंत्रता, संस्कृति और एकता के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
"जनजाति समाज के इतिहास को शिक्षा में मिले जगह": मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि आज भी जितनी योजना है, वह भी एक ही परिवार के लोगों के नाम पर है. हमारे महापुरुषों के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जनजाति गौरव दिवस के रूप में एक बड़ी सौगात दी है. हमारी जनजाति समुदाय का ऐतिहासिक महत्व रहा है, उसको भी हमको याद करना है.जनजाति समाज के गौरवपूर्ण इतिहास को लेकर शिक्षा की दृष्टि से क्या और बेहतर हो सकता है, उसके लिए और भी प्रयास किया जाएगा.
"वृक्षारोपण को मिले बढ़ावा": आदिवासी समाज वनों की रक्षा करता है, लेकिन आज लगातार वनों की कटाई हो रही है. इस सवाल पर मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि यदि पेड़ काट रहे हैं तो उसके बदले वहां पर वृक्षारोपण होना चाहिए. यदि कोई सरकारी फॉर्म आ रहा है तो वहां पेड़ काटने में दिक्कत नहीं है. लेकिन अवैध रूप से यदि पेड़ की कटाई हो रही है तो वह गलत है, उसके ऊपर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.
मंत्री केदार कश्यप ने यह भी कहा कि ऐसा नहीं है कि जितना वृक्षारोपण किया गया, उतने ही पेड़ कट जाएं, उसके लिए कई मापदंड हैं. यह कोई आधार नहीं है कि हम वृक्षारोपण कर रहे हैं तो उसके बाद में पेड़ काटे जाएं.