प्रयागराज: इलाहाबाद हाइकोर्ट (allahabad high court ) ने लिव इन रिलेशन (live in relationship) में रह रहे जोड़े जिनमें एक ट्रांसजेंडर महिला (transgender woman) है को सुरक्षा प्रदान करने का पुलिस को निर्देश दिया है. जे और एम के नाम से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की पीठ ने कहा कि अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ रहना नागरिक के मौलिक अधिकारों में शामिल है.
खंडपीठ ने कहा कि मानव की मूल संरचना से उत्पन्न होने वाली धारणा और व्यक्तित्व की विविधता अलग-अलग मनुष्यों को अलग-अलग विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करती है. भले ही वे समान परिस्थितियों में हों। इसलिए स्वतंत्र चुनाव का अधिकार स्वतंत्रता की आत्मा है और किसी भी स्वतंत्र समाज की सबसे प्रिय और प्रमुख विशेषता है. याचिका में कहा गया कि 'जे' की जेंडर पहचान के कारण करीबी रिश्तेदारों से उनकी स्वतंत्रता, सम्मान और सुरक्षा खतरे में है. याचिका में'एम' के पिता ' पर 'जे' के खिलाफ मौखिक और शारीरिक हमला करने का आरोप लगाया गया.
कोर्ट ने कहा कि जब कोई समाज अपने सदस्यों को मौजूदा कानूनों की सीमाओं के भीतर अपने व्यक्तित्व का दावा करने से रोकता है तो यह अपने स्वयं के विकास की प्रक्रिया को बाधित करता है. इस मामले में याचिकाकर्ताओं के जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार स्वतंत्र विकल्प और उनकी गरिमा के संरक्षण की आवश्यकता है। कोर्ट याचियों को सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
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