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सरकारी स्कूलों की बदल रही तस्वीर, रोबोटिक्स, कोडिंग, ड्रोन जैसी टेक्नोलॉजी का दिया जा रहा प्रशिक्षण - CODING TRAINING TO SCHOOL KIDS

उदयपुर के आदिवासी इलाकों के बच्चे अब सरकारी स्कूलों में रोबोटिक्स, कोडिंग और आधुनिकतम तकनीक का प्रशिक्षण ले रहे हैं.

Coding Training to School Kids
सरकारी स्कूल के बच्चे सीख रहे कोडिंग (ETV Bharat Udaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 9, 2024, 6:33 AM IST

Updated : Nov 9, 2024, 6:49 AM IST

उदयपुर: दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी सरकारी स्कूलों की अब तस्वीर बदलती हुई नजर आ रही है. उदयपुर में इन दिनों स्कूली बच्चों के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. इस चार दिवसीय कार्यशाला में 6 सरकारी स्कूल के बच्चे एक लैब में बैठकर रोबोटिक्स, कोडिंग, 3 डी प्रिंटिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी, सोलर इंजीनियरिंग एवं पीसीबी चिप डिजाइनिंग का प्रशिक्षण ले रहे हैं. अब कंप्यूटर टेक्नोलॉजी की दुनिया में भी आदिवासी अंचल के बच्चे प्रशिक्षण अपनी कला और कौशल का प्रदर्शन करेंगे. जानिए कैसे बच्चों को कार्यशाला में सिखाया जा रहा है...

कोडिंग और ड्रोन जैसे विषयों का प्रशिक्षण ले रहे सरकारी स्कूल के स्टूडेंट्स (ETV Bharat Udaipur)

अब बच्चे बदलेंगे टेक्नोलॉजी की तस्वीर: बदलते दौर में दक्षिणी राजस्थान के बच्चे भी अब कंप्यूटर से टेक्नोलॉजी की तस्वीर बदलते हुए नजर आएंगे. अब सरकारी स्कूलों में बच्चों को उनकी कला और कौशल को उभारने के लिए कंप्यूटर से उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है. विद्यालयों में प्रोजेक्ट कोड फार चेंज के तहत छात्रों को रोबोटिक्स, कोडिंग, 3 डी प्रिंटिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी, सोलर इंजीनियरिंग एवं पीसीबी चिप डिजाइनिंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. विद्यालय उद्यम संस्था जिले के आदिवासी एवं दूरस्थ क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण STEM (विज्ञान, टेक्नोलोजी, इंजीनियरिंग एवं मैथमेटिक्स) शिक्षा के लिए प्रयासरत है.

पढ़ें: जोधपुर संस्कृति की शान है 'साफा', बस दो मिनट में सज जाता है सिर पर, हर कोई ले रहा ट्रेनिंग - Jodhpuri Safa Training

वर्तमान में संस्था के तीन फ्लैगशिप कार्यक्रम मेकर लैब, कोड फॉर चेंज एवं स्टेम फार दिव्यांग जिले में संचालित है. उदयपुर व सलूंबर के आदिवासी क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली 12 मेकर लैब संचालित हैं. अभिलाषा विशेष विद्यालय में स्टेम फॉर दिव्यांग व उदयपुर जिले के 32 राजकीय महात्मा गांधी अंग्रेजी विद्यालय व पीएम श्री विद्यालयों में कोड फॉर चेंज कार्यक्रम आरंभ किया गया है.

पढ़ें: कुचामनसिटी में महिलाओं को सिखाए जा रहे आत्मरक्षा के गुर - self defense training

बच्चों को दिया जा रहा विशेष प्रशिक्षण: उधम संस्थान के सदस्य कैलाश चंद रावल ने बताया कि भविष्य के टेक्नोक्रेट्स, वैज्ञानिक व उद्यमी को विद्यालय में ही तैयार किया जा सकता है. क्योंकि भारत के गांवों में छिपी प्रतिभा को प्रयोग करने की स्वतंत्रता देकर ही पहचाना जा सकता है. इस प्रयोगशाला में छोटे-छोटे बच्चे टेक्नोलॉजी से जुड़कर नए कौशल और गुण सीख रहे हैं. राजकीय माध्यमिक विद्यालय भुवाना में कोड फॉर चेंज कार्यक्रम के तहत 4 दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई. जिसमें 6 विद्यालयों के 35 छात्रों ने भाग लिया. इस कार्यशाला में छात्रों ने रोबोटिक्स की मूलभूत गतीविधियों का अभ्यास किया.

संस्था प्रतिनिधि कैलाश चन्द्र रावल ने बताया कि समस्त विद्यालयों के 200 छात्रों को रोबोटिक्स क्लब लीडर के रूप में तैयार किया जाएगा. जो अपने स्थानीय विद्यालय में क्लब बनाकर इसका संचालन करेंगे. सभी क्लब लीडर्स को 180 गतिविधियों की ट्रेनिंग दी जायेगी. जिसे वे अपने स्थानीय विद्यालयों में अपने सहपाठियों को सिखायेंगे.

पढ़ें: कृषि प्रशिक्षण के लिए विदेश जाएंगे राजस्थान के किसान, 10 सितंबर तक करें आवेदन - Knowledge Enhancement Programme

स्कूलों में लैब होने के बाद भी बच्चे नहीं सीख पा रहे: संस्था के सदस्यों ने बताया कि स्कूलों में लैब होने के बावजूद भी उन्हें विशेष प्रशिक्षण नहीं मिल पाता है. राजकीय विद्यालयों में सुविधा तो उपलब्ध है, लेकिन उचित मार्गदर्शन उपलब्ध नहीं है. यही सोचकर हमने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा करके महात्मा गांधी और पीएमसी स्कूल के बच्चों के साथ संपर्क किया. उनकी रुचि को परखा और देखा कि बहुत से बच्चे कंप्यूटर एजुकेशन की तरफ जाना चाहते हैं. रोबोट की तरफ जाना चाहते हैं. उनके इंटरेस्ट को देखते हुए प्रत्येक विद्यालय से पांच-पांच छात्र-छात्राओं का चयन किया गया.

छोटे-छोटे बच्चे सीख रहे हैं: चयनित बच्चों के साथ 4 दिन की वर्कशॉप की गई. वर्कशॉप में आदिवासी अंचल के बच्चे अपने प्रतिभा के बल पर बहुत कुछ नया कर रहे हैं. इन बच्चों में क्षमता है. अपना स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं. इस तरह की ट्रेनिंग लेने के बाद इन बच्चों को एंटरप्रेन्योरशिप, उच्च अध्ययन के लिए आवश्यक मार्गदर्शन, स्कॉलरशिप सब तरह की सुविधा हमारी संस्था विद्यालय उद्यम उपलब्ध करवा रही है. हमारी संस्था में 18 इंजीनियर हैं जो निष्ठापूर्वक इंजीनियरिंग का ज्ञान इन बच्चों में बांट रहे हैं.

बच्चों ने क्या कुछ कहा: इस कार्यशाला में भाग लेने आए बच्चों ने कहा कि उन्हें इस कार्यशाला में बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. रोबोटिक सिस्टम किस तरह काम किया जाता है. कंप्यूटर से किस तरह से टेक्नोलॉजी के माध्यम से काम कर सकते हैं. इन सब के बारे में बड़े ही आसान तरीके से सिखाया जा रहा है.

उदयपुर: दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी सरकारी स्कूलों की अब तस्वीर बदलती हुई नजर आ रही है. उदयपुर में इन दिनों स्कूली बच्चों के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. इस चार दिवसीय कार्यशाला में 6 सरकारी स्कूल के बच्चे एक लैब में बैठकर रोबोटिक्स, कोडिंग, 3 डी प्रिंटिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी, सोलर इंजीनियरिंग एवं पीसीबी चिप डिजाइनिंग का प्रशिक्षण ले रहे हैं. अब कंप्यूटर टेक्नोलॉजी की दुनिया में भी आदिवासी अंचल के बच्चे प्रशिक्षण अपनी कला और कौशल का प्रदर्शन करेंगे. जानिए कैसे बच्चों को कार्यशाला में सिखाया जा रहा है...

कोडिंग और ड्रोन जैसे विषयों का प्रशिक्षण ले रहे सरकारी स्कूल के स्टूडेंट्स (ETV Bharat Udaipur)

अब बच्चे बदलेंगे टेक्नोलॉजी की तस्वीर: बदलते दौर में दक्षिणी राजस्थान के बच्चे भी अब कंप्यूटर से टेक्नोलॉजी की तस्वीर बदलते हुए नजर आएंगे. अब सरकारी स्कूलों में बच्चों को उनकी कला और कौशल को उभारने के लिए कंप्यूटर से उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है. विद्यालयों में प्रोजेक्ट कोड फार चेंज के तहत छात्रों को रोबोटिक्स, कोडिंग, 3 डी प्रिंटिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी, सोलर इंजीनियरिंग एवं पीसीबी चिप डिजाइनिंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. विद्यालय उद्यम संस्था जिले के आदिवासी एवं दूरस्थ क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण STEM (विज्ञान, टेक्नोलोजी, इंजीनियरिंग एवं मैथमेटिक्स) शिक्षा के लिए प्रयासरत है.

पढ़ें: जोधपुर संस्कृति की शान है 'साफा', बस दो मिनट में सज जाता है सिर पर, हर कोई ले रहा ट्रेनिंग - Jodhpuri Safa Training

वर्तमान में संस्था के तीन फ्लैगशिप कार्यक्रम मेकर लैब, कोड फॉर चेंज एवं स्टेम फार दिव्यांग जिले में संचालित है. उदयपुर व सलूंबर के आदिवासी क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली 12 मेकर लैब संचालित हैं. अभिलाषा विशेष विद्यालय में स्टेम फॉर दिव्यांग व उदयपुर जिले के 32 राजकीय महात्मा गांधी अंग्रेजी विद्यालय व पीएम श्री विद्यालयों में कोड फॉर चेंज कार्यक्रम आरंभ किया गया है.

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बच्चों को दिया जा रहा विशेष प्रशिक्षण: उधम संस्थान के सदस्य कैलाश चंद रावल ने बताया कि भविष्य के टेक्नोक्रेट्स, वैज्ञानिक व उद्यमी को विद्यालय में ही तैयार किया जा सकता है. क्योंकि भारत के गांवों में छिपी प्रतिभा को प्रयोग करने की स्वतंत्रता देकर ही पहचाना जा सकता है. इस प्रयोगशाला में छोटे-छोटे बच्चे टेक्नोलॉजी से जुड़कर नए कौशल और गुण सीख रहे हैं. राजकीय माध्यमिक विद्यालय भुवाना में कोड फॉर चेंज कार्यक्रम के तहत 4 दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई. जिसमें 6 विद्यालयों के 35 छात्रों ने भाग लिया. इस कार्यशाला में छात्रों ने रोबोटिक्स की मूलभूत गतीविधियों का अभ्यास किया.

संस्था प्रतिनिधि कैलाश चन्द्र रावल ने बताया कि समस्त विद्यालयों के 200 छात्रों को रोबोटिक्स क्लब लीडर के रूप में तैयार किया जाएगा. जो अपने स्थानीय विद्यालय में क्लब बनाकर इसका संचालन करेंगे. सभी क्लब लीडर्स को 180 गतिविधियों की ट्रेनिंग दी जायेगी. जिसे वे अपने स्थानीय विद्यालयों में अपने सहपाठियों को सिखायेंगे.

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स्कूलों में लैब होने के बाद भी बच्चे नहीं सीख पा रहे: संस्था के सदस्यों ने बताया कि स्कूलों में लैब होने के बावजूद भी उन्हें विशेष प्रशिक्षण नहीं मिल पाता है. राजकीय विद्यालयों में सुविधा तो उपलब्ध है, लेकिन उचित मार्गदर्शन उपलब्ध नहीं है. यही सोचकर हमने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा करके महात्मा गांधी और पीएमसी स्कूल के बच्चों के साथ संपर्क किया. उनकी रुचि को परखा और देखा कि बहुत से बच्चे कंप्यूटर एजुकेशन की तरफ जाना चाहते हैं. रोबोट की तरफ जाना चाहते हैं. उनके इंटरेस्ट को देखते हुए प्रत्येक विद्यालय से पांच-पांच छात्र-छात्राओं का चयन किया गया.

छोटे-छोटे बच्चे सीख रहे हैं: चयनित बच्चों के साथ 4 दिन की वर्कशॉप की गई. वर्कशॉप में आदिवासी अंचल के बच्चे अपने प्रतिभा के बल पर बहुत कुछ नया कर रहे हैं. इन बच्चों में क्षमता है. अपना स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं. इस तरह की ट्रेनिंग लेने के बाद इन बच्चों को एंटरप्रेन्योरशिप, उच्च अध्ययन के लिए आवश्यक मार्गदर्शन, स्कॉलरशिप सब तरह की सुविधा हमारी संस्था विद्यालय उद्यम उपलब्ध करवा रही है. हमारी संस्था में 18 इंजीनियर हैं जो निष्ठापूर्वक इंजीनियरिंग का ज्ञान इन बच्चों में बांट रहे हैं.

बच्चों ने क्या कुछ कहा: इस कार्यशाला में भाग लेने आए बच्चों ने कहा कि उन्हें इस कार्यशाला में बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. रोबोटिक सिस्टम किस तरह काम किया जाता है. कंप्यूटर से किस तरह से टेक्नोलॉजी के माध्यम से काम कर सकते हैं. इन सब के बारे में बड़े ही आसान तरीके से सिखाया जा रहा है.

Last Updated : Nov 9, 2024, 6:49 AM IST
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