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झारखंड पुलिस में शामिल हुई ट्रेंड लेब्राडोर डॉग्स की टीमः जानें, क्राइम कंट्रोल में किस तरह की मिलेगी मदद - Trained Labrador dogs in police - TRAINED LABRADOR DOGS IN POLICE

A team of trained Labrador dogs in Jharkhand Police. झारखंड पुलिस में ट्रेंड लेब्राडोर डॉग्स की टीम को शामिल किया गया है. इसमें सात प्रशिक्षित श्वान को पुलिस फोर्स में शामिल किया गया. इनकी दक्षता से आगामी दिनों में इनसे क्राइम कंट्रोल में मदद मिलेगी.

Trained Labrador dogs team joined police in Jharkhand
झारखंड पुलिस में ट्रेंड लेब्राडोर डॉग्स की टीम शामिल (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 24, 2024, 5:30 PM IST

रांचीः झारखंड पुलिस में 07 प्रशिक्षित लेब्राडोर श्वान (ट्रेंड डॉग्स) शामिल किए गये हैं. इन सभी को मेरठ कैंट के आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज से मंगाया गया है. ये इतने खास हैं कि खुद राज्य के डीजीपी अजय कुमार सिंह, एडीजी संजय आनंद राव लाटकर और आईजी असीम विक्रांत मिंज ने इनका वेलकम किया.

इनमें से 06 ऐसे हैं जो कई तरह के विस्फोटक का पता लगा सकते हैं. पलक झपकते ही कच्चे विस्फोटक जैसे टीएनटी, पीईके, आरडीएक्स, कॉर्डेक्स, गन कॉटन, एचएमएक्स, डायनामाइट, नाइट्रोग्लिसरीन जैसे विस्फोटकों की पहचान कर सकते हैं. इनका इस्तेमाल ग्राउंड सर्च, वाहन सर्च, बिल्डिंग सर्च में अहम भूमिका निभाएंगे. दरअसल, विस्फोटक को छिपाने के लिए अपराधी और नक्सली गोबर, यूरिया और राख का प्रयोग करते हैं ताकि ट्रेंड डॉग्स बाहरी गंध की वजह से विस्फोटक पहचानने में कंफ्यूज हो जाएं. लेकिन इन सभी को इस तरह से ट्रेंड किया गया है कि बाहरी गंध के बावजूद विस्फोटक को ढूंढ लेंगे. इस टीम में एक मात्र ऐसा डॉग है जो मानव शरीर और मानव द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तु की गंध की पहचान और भेद के आधार पर काम करने में माहिर हैं. यह अपराधियों की खोज करने में मददगार साबित होगा.

स्नीफर डॉग की खासियत

दरअसल, इनमें सूंघने की जबरदस्त क्षमता होती है. इनके नाम के म्यूकोसा में 225 मिलियन रिसेप्टर कोसिकाएं होती हैं जो इनके सूंघने की क्षमता को इंसानों की तुलना में 40-45 गुना बेहतर बनाती हैं. इनमें इंसानों की तुलना में चार गुणा बेहतर सुनने की क्षमता होती है. दृष्टि इतनी मजबूत होती है कि चलती वस्तुओं को पहचान कर सकती है. ये अपनी छठी इंद्री की बतौलत लो-फ्रिक्वेंसी कंपन का पता लगा सकते हैं.

इन सभी को मौजूदा दौर में क्राइम के बदलते स्वरुप को ध्यान में रखकर ट्रेंड किया गया है. खास बात है कि झारखंड के कई जिलों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चल रहा है लेकिन जंगलों में नक्सलियों द्वारा लगाए गये लैंड माइंस को डिटेक्ट कर आगे बढ़ना सुरक्षा बलों और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होती है. ऐसे ऑपरेशन में इनकी भूमिका अहम होगी.

इसे भी पढ़ें- केनेल क्लब चैंपियनशिप डॉग शो 2024 की हुई शुरुआत, 45 से अधिक नस्लों के 386 श्वान ले रहे भाग

इसे भी पढ़ें- द्रोण ने डॉग स्क्वॉड का नाम किया रोशन, शहीद का मिला दर्जा, विस्फोटक ढूंढने में था माहिर

इसे भी पढ़ें- झारखंड में डॉग स्क्वायड टीम होगी मजबूत, आर्मी से होगी स्निफर और ट्रैकर श्वान की खरीद

रांचीः झारखंड पुलिस में 07 प्रशिक्षित लेब्राडोर श्वान (ट्रेंड डॉग्स) शामिल किए गये हैं. इन सभी को मेरठ कैंट के आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज से मंगाया गया है. ये इतने खास हैं कि खुद राज्य के डीजीपी अजय कुमार सिंह, एडीजी संजय आनंद राव लाटकर और आईजी असीम विक्रांत मिंज ने इनका वेलकम किया.

इनमें से 06 ऐसे हैं जो कई तरह के विस्फोटक का पता लगा सकते हैं. पलक झपकते ही कच्चे विस्फोटक जैसे टीएनटी, पीईके, आरडीएक्स, कॉर्डेक्स, गन कॉटन, एचएमएक्स, डायनामाइट, नाइट्रोग्लिसरीन जैसे विस्फोटकों की पहचान कर सकते हैं. इनका इस्तेमाल ग्राउंड सर्च, वाहन सर्च, बिल्डिंग सर्च में अहम भूमिका निभाएंगे. दरअसल, विस्फोटक को छिपाने के लिए अपराधी और नक्सली गोबर, यूरिया और राख का प्रयोग करते हैं ताकि ट्रेंड डॉग्स बाहरी गंध की वजह से विस्फोटक पहचानने में कंफ्यूज हो जाएं. लेकिन इन सभी को इस तरह से ट्रेंड किया गया है कि बाहरी गंध के बावजूद विस्फोटक को ढूंढ लेंगे. इस टीम में एक मात्र ऐसा डॉग है जो मानव शरीर और मानव द्वारा इस्तेमाल की गई वस्तु की गंध की पहचान और भेद के आधार पर काम करने में माहिर हैं. यह अपराधियों की खोज करने में मददगार साबित होगा.

स्नीफर डॉग की खासियत

दरअसल, इनमें सूंघने की जबरदस्त क्षमता होती है. इनके नाम के म्यूकोसा में 225 मिलियन रिसेप्टर कोसिकाएं होती हैं जो इनके सूंघने की क्षमता को इंसानों की तुलना में 40-45 गुना बेहतर बनाती हैं. इनमें इंसानों की तुलना में चार गुणा बेहतर सुनने की क्षमता होती है. दृष्टि इतनी मजबूत होती है कि चलती वस्तुओं को पहचान कर सकती है. ये अपनी छठी इंद्री की बतौलत लो-फ्रिक्वेंसी कंपन का पता लगा सकते हैं.

इन सभी को मौजूदा दौर में क्राइम के बदलते स्वरुप को ध्यान में रखकर ट्रेंड किया गया है. खास बात है कि झारखंड के कई जिलों में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चल रहा है लेकिन जंगलों में नक्सलियों द्वारा लगाए गये लैंड माइंस को डिटेक्ट कर आगे बढ़ना सुरक्षा बलों और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होती है. ऐसे ऑपरेशन में इनकी भूमिका अहम होगी.

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