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अब ट्रेन के ड्राइवर भी AC इंजन में बैठकर चलाएंगे ट्रेन, लंबे समय से चल रही मांग - RAILWAY LOCOMOTIVE AC INSTALLATION - RAILWAY LOCOMOTIVE AC INSTALLATION

INDIAN RAILWAY: ट्रेनों के लोकोमोटिव में अभी तक सिर्फ 40 प्रतिशत इंजन में एसी लग सका है. नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया रेलवे मेंस ने अगले दो साल में सभी लोकोमोटिव में एसी लगाने की मांग की है.

अगले दो साल में सभी लोकोमोटिव में एसी लगाने की मांग
अगले दो साल में सभी लोकोमोटिव में एसी लगाने की मांग (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 28, 2024, 4:27 PM IST

सिर्फ 40 प्रतिशत लोकोमोटिव में अभी तक लग सका एसी, (ETV BHARAT)

नई दिल्लीः ट्रेनों के लोकोमोटिव में AC लगाने की मांग लंबे समय से चल रही थी. नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया रेलवे मेंस के मुताबिक, अभी तक महज 40 प्रतिशत लोकोमोटिव में AC लगाने का काम हुआ है. फेडरेशन की ओर से रेलवे बोर्ड के समक्ष अगले दो साल में सभी लोकोमोटिव में एसी लगवाने की मांग की गई है. लोकोमोटिव का तापमान बाहर के तापमान से दो से तीन गुना ज्यादा रहता है. ऐसे में भीषण गर्मी में ट्रेन चलाने में लोको पायलट को परेशानी होती है

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया रेलवे मेंस के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. एम. राघवैया ने कहा कि ट्रेनों के लोकोमोटिव में AC लगाने की मांग पांच साल से की जा रही थी. इसके बाद लोकोमोटिव में एसी लगाने का काम शुरू हुआ. हालांकि, अभी तक 40 प्रतिशत लोकोमोटिव में ही AC लग पाया है. हाल में रेलवे बोर्ड के समक्ष इस मुद्दे को रखा गया और अगले दो साल के अंदर सभी लोकोमोटिव में एसी लगाने की मांग की गई. जो नए लोकोमोटिव बन रहे हैं, उनमें एसी लगे हुए आ रहे हैं.

15.5 हजार लोकोमोटिव, जिन्हें चलाते हैं 1.13 लाख लोको पायलटः डॉ. एम राघवैया ने बताया कि देश में कुल 15,500 लोकोमोटिव हैं. इसमें 11 हजार इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव और 4,500 डीजल लोकोमोटिव हैं. इन्हें 1 लाख 13 हजार लोको पायलट व सहायक लोको पायलट द्वारा संचालित किया जाता है. देश में कुल एक लाख किलोमीटर से अधिक का रेल रूट है, लेकिन करीब 70 हजार किलोमीटर रेल रूट पर ट्रेनों का संचालन होता है. कुल 40 लोगों के को-ऑर्डिनेशन से ट्रेन चलती है. इसमें लोकोशेड में मेंटेनेंस करने वाले से लेकर स्टेशन मास्टर, लोको पायलट तक शामिल होते हैं.

बाहर से 3 डिग्री अधिक होता है लोकोमोटिव के अंदर तापमानः डॉ. एम राघवैया का कहना है कि आजकल तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है. जब 48 डिग्री सेल्सियस तापमान में ट्रेन चलती है तो इंजन यानी लोकोमोटिव के अंदर तापमान तीन डिग्री और ज्यादा हो जाता है. यानी करीब 51 डिग्री सेल्सियस तापमान में लोको पायलट को ट्रेन चलानी पड़ती है. इतने अधिक तापमान के कारण लोको पायलट बीमार हो जाते हैं और उन्हें ठीक होने में समय लग जाता है. लोको पायलट को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता है. ट्रेन चला रहे लोको पायलट पर हजारों लोगों की जिंदगी होती है. ऐसे में जिम्मेदारी से काम करना पड़ता है.

सिर्फ 40 प्रतिशत लोकोमोटिव में अभी तक लग सका एसी, (ETV BHARAT)

नई दिल्लीः ट्रेनों के लोकोमोटिव में AC लगाने की मांग लंबे समय से चल रही थी. नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया रेलवे मेंस के मुताबिक, अभी तक महज 40 प्रतिशत लोकोमोटिव में AC लगाने का काम हुआ है. फेडरेशन की ओर से रेलवे बोर्ड के समक्ष अगले दो साल में सभी लोकोमोटिव में एसी लगवाने की मांग की गई है. लोकोमोटिव का तापमान बाहर के तापमान से दो से तीन गुना ज्यादा रहता है. ऐसे में भीषण गर्मी में ट्रेन चलाने में लोको पायलट को परेशानी होती है

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया रेलवे मेंस के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. एम. राघवैया ने कहा कि ट्रेनों के लोकोमोटिव में AC लगाने की मांग पांच साल से की जा रही थी. इसके बाद लोकोमोटिव में एसी लगाने का काम शुरू हुआ. हालांकि, अभी तक 40 प्रतिशत लोकोमोटिव में ही AC लग पाया है. हाल में रेलवे बोर्ड के समक्ष इस मुद्दे को रखा गया और अगले दो साल के अंदर सभी लोकोमोटिव में एसी लगाने की मांग की गई. जो नए लोकोमोटिव बन रहे हैं, उनमें एसी लगे हुए आ रहे हैं.

15.5 हजार लोकोमोटिव, जिन्हें चलाते हैं 1.13 लाख लोको पायलटः डॉ. एम राघवैया ने बताया कि देश में कुल 15,500 लोकोमोटिव हैं. इसमें 11 हजार इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव और 4,500 डीजल लोकोमोटिव हैं. इन्हें 1 लाख 13 हजार लोको पायलट व सहायक लोको पायलट द्वारा संचालित किया जाता है. देश में कुल एक लाख किलोमीटर से अधिक का रेल रूट है, लेकिन करीब 70 हजार किलोमीटर रेल रूट पर ट्रेनों का संचालन होता है. कुल 40 लोगों के को-ऑर्डिनेशन से ट्रेन चलती है. इसमें लोकोशेड में मेंटेनेंस करने वाले से लेकर स्टेशन मास्टर, लोको पायलट तक शामिल होते हैं.

बाहर से 3 डिग्री अधिक होता है लोकोमोटिव के अंदर तापमानः डॉ. एम राघवैया का कहना है कि आजकल तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है. जब 48 डिग्री सेल्सियस तापमान में ट्रेन चलती है तो इंजन यानी लोकोमोटिव के अंदर तापमान तीन डिग्री और ज्यादा हो जाता है. यानी करीब 51 डिग्री सेल्सियस तापमान में लोको पायलट को ट्रेन चलानी पड़ती है. इतने अधिक तापमान के कारण लोको पायलट बीमार हो जाते हैं और उन्हें ठीक होने में समय लग जाता है. लोको पायलट को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता है. ट्रेन चला रहे लोको पायलट पर हजारों लोगों की जिंदगी होती है. ऐसे में जिम्मेदारी से काम करना पड़ता है.

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