बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव में ट्रेनों को रद्द करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. शुक्रवार को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की तरफ से 21 ट्रेनों को रद्द किया गया है. फेस्टिव सीजन से लेकर हर सीजन में छत्तीसगढ़ में ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है. जिससे लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है. रेलवे अधोसंरचना विकास का दावा कर ट्रेनों को कैंसिल कर रहा है. इस मामले में यात्रियों का कहना है कि मालगाड़ियों का संचालन लगातार किया जा रहा है लेकिन यात्री ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है. जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. ईटीवी भारत ने बिलासपुर लोकसभा सीट के वोटर्स से इस मुद्दे पर बात की है.
छत्तीसगढ़ में रेल न कर दे सियासी खेल
- लोकसभा चुनाव में ट्रेन न दे दे सियासी टेंशन
- छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में ट्रेन कैंसिलेशन का मुद्दा छाया
- लोगों में यात्री ट्रेनें रद्द होने से नाराजगी
- बिलासपुर के वोटर्स ने यात्री ट्रेनें रद्द होने पर जताया विरोध
- ट्रेनों को रद्द करना यात्रियों के खिलाफ
लोगों में रेल मंत्रालय और सरकार के प्रति गुस्सा: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बिलासपुर जोन में लगातार ट्रेनों को रद्द करने से लोगों में गुस्सा दिख रहा है. यात्री ट्रेनों को कैंसिल करने के पीछे रेलवे, रेल लाइन के निर्माण और अधोसंरचना विकास का तर्क देता है. ट्रेनों के कैंसलिंग को लेकर क्या कहते हैं मतदाता और उन्हें कैसी रेलवे सुविधा चाहिए इस बारे में बिलासपुर के मतदाताओं की अलग अलग राय है.
"रेलवे को भारत की लाइफलाइन कहा जाता है. रोजना 6 से 7 करोड़ लोग इसमें सफर करते हैं. बीते कई सालों से ट्रेनों को अचनाक रद्द किया जाता है. कई बार कई ट्रेनें बीच रास्ते में रोक दी जाती है. इसके अलावा कई ट्रेने घंटों लेट चलाई जाती है. मैं भी इस परेशानी से गुजर चुका हूं. एक बार मैं किसी काम से बाहर गया था और वापसी के समय जिस ट्रेन में रिजर्वेशन था उसे कैंसिल कर दिया गया. इसके साथ ही कई और ट्रेनें कैंसिल कर दी गई. जिसकी वजह से मैं तीन दिन बाद घर पहुंचा. ट्रेन से कई लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है. ऐसे में ट्रेन के रद्द होने से वेंडर्स को भी परेशानी होती है जो रेल में खाने पीने का सामान बेचते हैं. मौजूदा सरकार को इस मुद्दे का खामियाजा उठाना पड़ सकता है": महेश कुमार रावटे, स्थानीय निवासी, बिलासपुर
ट्रेन के लिए करना पड़ता है घंटों इंतजार: बिलासपुर निवासी रजनी मरावी ने बताया कि "ट्रेनें कैंसिल होने और लेट चलने से यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गर्मी में ट्रेन रद्द होने और लेट लतीफी से ट्रेन चलाने की वजह से यात्रियों की तबीयत खराब हो जाती है. मेरे साथ कई बार ऐसा हुआ है कि दो घंटे का सफर मुझे पांच घंटे में रेल के अंदर करना पड़ा है. जिससे मुझे काफी नाराजगी हुई. जनता वोट डालते समय इन बातों का ध्यान रखेगी"
"चुनाव के दौरान ट्रेनों को कैंसिल किया जा रहा है. मतदाता चुनाव में मतदान करने के लिए छुट्टी लेकर अपने घर जाते हैं, और वह मतदान करते हैं. ऐसे में ट्रेन कैंसिल होने की वजह से वह अपने मतदान केंद्र या अपने शहर तक नहीं पहुंचेंगे और उनका मत खराब होगा. इस वजह से मतदान के प्रतिशत पर असर पड़ेगा. एक तरफ निर्वाचन आयोग शत प्रतिशत मतदान के लिए स्विप कार्यक्रम के तहत कई कैंपेन चला रहा है. चुनाव आयोग मतदाताओं से अपील कर रही है कि वे मतदान अवश्य करें. वहीं दूसरी तरफ ट्रेनों के कैंसिल होने की वजह से लोग अपने गांव शहर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. इससे वोट प्रतिशत पर असर पड़ेगा. इसलिए चुनाव आयोग को ट्रेन कैंसिलेशन पर रोक लगाना चाहिए": कृपाशंकर शर्मा, स्थानीय निवासी, सिरगिट्टी, बिलासपुर
रोड की हालत खस्ता इसलिए करते हैं ट्रेन से सफर: बिलासपुर के एक अन्य निवासी कमलेश शर्मा का कहना है कि" छत्तीसगढ़ में सड़क व्यवस्था चरमराई हुई है और यही वजह है कि लोग ट्रेनों में सफर करते हैं. लेकिन मौजूदा दौर में ट्रेनों की भी स्थिति अब खस्ता हाल हो गई है. पिछले कुछ समय से ट्रेनों को कैंसिल कर दिया जाता है या बीच में रोक दिया जाता है. इन सब में बड़ी परेशानी तब सामने आती है जब गर्मी के दिनों में ट्रेन घंटों लेट चलाई जाती है. जिससे यात्रियों का गर्मी से बुरा हाल हो जाता है. ऐसे में इस समय भी ट्रेन कैंसिल की जा रही है और लेट चलाई जा रही है. ठीक चुनावी सीजन और गर्मी के मौसम में मतदाताओं को सरकार का यह फैसला नाराज कर सकता है. ऐसे में इस रेलवे की इस लापरवाही का खामियाजा मोदी सरकार को भुगतना पड़ सकता है."
"ट्रेन की लेट लतीफी का मैं कई बार शिकार हुआ हूं. मेरा व्यक्तिगत अनुभव काफी खराब रहा है. मैं परिवार के साथ झारसुगुड़ा से आ रहा था. ट्रेन को झारसुगुड़ा में दोपहर एक बजे आना था लेकिन ट्रेन शाम 5.30 बजे आई. उसके बाद मैं बिलासपुर रात 11 बजे पहुंचा. इस दौरान सफर में मेरे पूरे परिवार को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ा. आजकल स्लीपर कोच की हालत बेहद खस्ता होती जा रही है. मौजूदा सरकार को रेलवे के मुद्दे पर वोटर्स की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है": आनंद श्रीवास्तव, वकील, बिलासपुर इमलीपारा
परिवहन का अन्य साधन महंगा, इसलिए ट्रेन पर टिके हैं: दूसरी तरफ बिलासपुर निवासी और वकील सुदीप वर्मा ने कहा कि "लोग ट्रेन से इसलिए सफर करते हैं क्योंकि आज भी ट्रेन परिवहन का सबसे सस्ता साधान है. बस में यात्री किराया ज्यादा लगता है. खुद की सवारी से जाने में पेट्रोल और डीजल का खर्च ज्यादा आता है. ऐसे में अगर ट्रेनें रद्द हो तो लोगों को काफी परेशानी होती है."
रेलवे से जुड़ी अहम जानकारियां
- देशभर में 6800 रेल स्टॉपेज बंद किए गए
- छत्तीसगढ़ में कुल 200 रेल स्टॉपेज बंद किए गए
- मेमू ट्रेन को स्पेशल बनाकर डबल किराया वसूलने का आरोप
- स्लीपर और सामान्य श्रेणी के एचबी कोच की संख्या घटाई जा रही
- बीते साढ़े तीन साल में देश में कुल 67382 ट्रेनों को किया गया रद्द
- दपूमरे की 2023-24 में लगभग 3200 यात्री ट्रेनें रद्द हुई
छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में ट्रेनों के कैंसिलेशन का मुद्दा तेजी से उछला था. कांग्रेस ने इस पर बीजेपी को घेरा था. अब लोकसभा चुनाव के सीजन में भी ट्रेनों की लेटलतीफी का मुद्दा गरमा गया है. अब देखना होगा कि इस चुनाव में छत्तीसगढ़ में मतदान के दौरान रेल पर सियासी खेल न हो जाए.