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एक पुल की कहानी: एक दशक से सड़क से जुड़ने का इंतजार, दूसरी बार जारी हुआ टेंडर - Chedabar bridge

Bridge on Koel river in Palamu. निर्माण के एक दशक बाद भी मेदिनीनगर के सिंगरा में कोयल नदी पर बने चेडाबार पुल पर आवागमन शुरू नहीं हो सका है. पुल भी जर्जर हो चुका है. सांसद ने कहा कि दोबारा टेंडर हुआ है.

Bridge on Koel river in Palamu
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 7, 2024, 1:10 PM IST

पलामू: जिले में एक ऐसा पुल है जो वर्षों से अपनी बदहाली की कहानी कह रहा है. लेकिन इसका दुख सुनने वाला कोई नहीं है. पुल को अगर किरदार मानें तो पुल ने सोचा होगा कि जब वो बनेगा तो इस पर लोग सफर करेंगे. बड़ी गाड़ियां गुजरेंगी. जिन लोगों को चंद मिनटों का सफर तय करने के लिए घंटों सफर करना पड़ता है, उन्हें सुविधा मिलेगी. लेकिन पुल को ये नहीं पता था कि जिस जगह वो बन रहा है, वहां उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. बड़ी गाड़ियां तो छोड़िए, लोग भी इस पर से नहीं गुजरते. लाखों-करोड़ों की लागत से बने इस पुल की हालत भी अब खराब हो चुकी है. पुल में लगे लोहे के रॉड अब दिखने लगे हैं. ये पूरी कहानी है मेदिनीनगर के सिंगरा में कोयल नदी पर बने चेडाबार पुल की.

जानकारी देते संवाददाता नीरज कुमार (ईटीवी भारत)

साल 2013-14 में पूरे झारखंड में एक साथ 13 पुलों का निर्माण किया गया. सभी पुलों का निर्माण ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल विभाग ने कराया. इन 13 पुलों में पलामू के मेदिनीनगर के सिंगरा में कोयल नदी पर बना चेडाबार पुल भी शामिल है. करोड़ों की लागत से यह पुल बना है, लेकिन पिछले एक दशक में इस पुल को मुख्य सड़क से नहीं जोड़ा जा सका है. दरअसल, यह पुल मेदिनीनगर और चैनपुर को जोड़ता है. इस पुल के निर्माण से पलामू और गढ़वा के बीच की दूरी कम हो जाएगी.

रेलवे लाइन बना है बाधक, आरओबी बनाने का है प्रस्ताव

स्थानीय लोगों ने बताया कि पुल का निर्माण वर्ष 2013-14 में पूरा हुआ था. निर्माण से पहले पुल को मुख्य सड़क से जोड़ने का काम नहीं किया गया. पुल बनकर तैयार होने के बाद भी इसे मुख्य सड़क से जोड़ने की कोई पहल नहीं की गई. पांच साल पहले इस पुल को जोड़ने का प्रस्ताव तैयार किया गया था. पुल से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर नेशनल हाइवे 75 गुजरता है.

नेशनल हाइवे और पुल के बीच से मुख्य रेल लाइन गुजरती है. मुख्य रेल लाइन होने के कारण यह पुल राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ नहीं पा रहा है. रेल लाइन के लिए आरओबी बनाने का प्रस्ताव तैयार भी किया गया था. पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने पूरे मामले को लोकसभा में उठाया, जिसके बाद केंद्र और राज्य सरकार ने आरओबी बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ.

"दूसरी बार टेंडर जारी किया गया है, पहली बार कोई अनुभवी ठेकेदार आगे नहीं आया. आरओबी बनने से बड़ी आबादी को लाभ मिलेगा और ट्रैफिक जाम की समस्या कम होगी. कई जगहों पर पुल जर्जर भी हो गया है" - विष्णुदयाल राम, पलामू सांसद

आरओबी के लिए दूसरी बार जारी हुआ टेंडर

चेडाबर पुल के लिए आरओबी बनाने के लिए दूसरी बार टेंडर जारी किया गया है. पहला टेंडर 72 करोड़ रुपये की लागत से जारी किया गया था, जिसमें कोई ठेकेदार आगे नहीं आया. दूसरी बार फिर से टेंडर जारी किया गया है और 18 महीने में आरओबी बनाने को कहा गया है. इस पुल पर परिचालन शुरू होने से पलामू के लाखों लोगों को फायदा होगा और प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में जाम की समस्या खत्म हो जाएगी.

यह भी पढ़ें:

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पलामू और गढ़वा को जोड़ने वाली दानरो पुल खतरनाक घोषित, वाहनों के गुजरने पर लगी रोक

पलामू: जिले में एक ऐसा पुल है जो वर्षों से अपनी बदहाली की कहानी कह रहा है. लेकिन इसका दुख सुनने वाला कोई नहीं है. पुल को अगर किरदार मानें तो पुल ने सोचा होगा कि जब वो बनेगा तो इस पर लोग सफर करेंगे. बड़ी गाड़ियां गुजरेंगी. जिन लोगों को चंद मिनटों का सफर तय करने के लिए घंटों सफर करना पड़ता है, उन्हें सुविधा मिलेगी. लेकिन पुल को ये नहीं पता था कि जिस जगह वो बन रहा है, वहां उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. बड़ी गाड़ियां तो छोड़िए, लोग भी इस पर से नहीं गुजरते. लाखों-करोड़ों की लागत से बने इस पुल की हालत भी अब खराब हो चुकी है. पुल में लगे लोहे के रॉड अब दिखने लगे हैं. ये पूरी कहानी है मेदिनीनगर के सिंगरा में कोयल नदी पर बने चेडाबार पुल की.

जानकारी देते संवाददाता नीरज कुमार (ईटीवी भारत)

साल 2013-14 में पूरे झारखंड में एक साथ 13 पुलों का निर्माण किया गया. सभी पुलों का निर्माण ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल विभाग ने कराया. इन 13 पुलों में पलामू के मेदिनीनगर के सिंगरा में कोयल नदी पर बना चेडाबार पुल भी शामिल है. करोड़ों की लागत से यह पुल बना है, लेकिन पिछले एक दशक में इस पुल को मुख्य सड़क से नहीं जोड़ा जा सका है. दरअसल, यह पुल मेदिनीनगर और चैनपुर को जोड़ता है. इस पुल के निर्माण से पलामू और गढ़वा के बीच की दूरी कम हो जाएगी.

रेलवे लाइन बना है बाधक, आरओबी बनाने का है प्रस्ताव

स्थानीय लोगों ने बताया कि पुल का निर्माण वर्ष 2013-14 में पूरा हुआ था. निर्माण से पहले पुल को मुख्य सड़क से जोड़ने का काम नहीं किया गया. पुल बनकर तैयार होने के बाद भी इसे मुख्य सड़क से जोड़ने की कोई पहल नहीं की गई. पांच साल पहले इस पुल को जोड़ने का प्रस्ताव तैयार किया गया था. पुल से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर नेशनल हाइवे 75 गुजरता है.

नेशनल हाइवे और पुल के बीच से मुख्य रेल लाइन गुजरती है. मुख्य रेल लाइन होने के कारण यह पुल राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ नहीं पा रहा है. रेल लाइन के लिए आरओबी बनाने का प्रस्ताव तैयार भी किया गया था. पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने पूरे मामले को लोकसभा में उठाया, जिसके बाद केंद्र और राज्य सरकार ने आरओबी बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ.

"दूसरी बार टेंडर जारी किया गया है, पहली बार कोई अनुभवी ठेकेदार आगे नहीं आया. आरओबी बनने से बड़ी आबादी को लाभ मिलेगा और ट्रैफिक जाम की समस्या कम होगी. कई जगहों पर पुल जर्जर भी हो गया है" - विष्णुदयाल राम, पलामू सांसद

आरओबी के लिए दूसरी बार जारी हुआ टेंडर

चेडाबर पुल के लिए आरओबी बनाने के लिए दूसरी बार टेंडर जारी किया गया है. पहला टेंडर 72 करोड़ रुपये की लागत से जारी किया गया था, जिसमें कोई ठेकेदार आगे नहीं आया. दूसरी बार फिर से टेंडर जारी किया गया है और 18 महीने में आरओबी बनाने को कहा गया है. इस पुल पर परिचालन शुरू होने से पलामू के लाखों लोगों को फायदा होगा और प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में जाम की समस्या खत्म हो जाएगी.

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