जांजगीर चांपा : सांपों की अपनी दुनिया है.सांपों से जुड़ी कई कहानियां हैं.सांप पुरातन काल से हमारी सृष्टि का हिस्सा है.समुद्र मंथन से लेकर इस सृष्टि को बैलेंस करने में हर जगह सांपों का योगदान माना जाता है. ऐसा भी कहा जाता है कि सांपों का अलग लोक है जिसे पाताल लोक कहा जाता है.भगवान शिव के गले में सर्प श्रृंगार के रूप में विराजमान है.इसलिए सांपों को देव रूप में हमारे यहां पूजा जाता है. छत्तीसगढ़ में नागों से जुड़े कई मंदिर भी हैं.लेकिन एक जगह ऐसी है जहां पर नाग पंचमी के दिन पूरा माहौल बदल जाता है.
इंसान बन जाते हैं नाग : जांजगीर चांपा में हर साल नाग पंचमी का आयोजन होता है.लेकिन यहां के एक गांव में नाग पंचमी का दिन काफी खास होता है.क्योंकि इस गांव में सांप लोगों को दर्शन देते हैं. ग्रामीणों का मानना है कि पूरे गांव के सामने नाग देवता प्रकट होते हैं.जिन्हें स्थानीय बैगा अपने मंत्रों से काबू करते हैं.जब ये बात हमने सुनी तो ये तय किया अपने कैमरे में इस पूरी घटना को कैप्चर करेंगे.इसलिए बताए हुए गांव पर हमारी टीम नाग पंचमी के दिन पहुंच गई.
मांदर और झांझ की धुन पर सजा दरबार : जांजगीर के नवधा चौक में ढोल मांदर की थाप पर भजन कीर्तन का आयोजन हो रहा था. हमने देखा की ग्रामीण एक घेरा बनाकर बैठे थे.बीच का हिस्सा बिल्कुल खाली था.जिसे पानी से गीला किया गया था,या यूं कहें कि कीचड़ बनाया गया था.भीड़ के किनारे कुछ बैगा पूजा पाठ करते दिख रहे थे.जिनके पास कुछ लोग आते और नाग देवता की मूर्ति पर दूध चढ़ाते.इसी बीच कुछ ऐसा हुआ जिसे देखने के बाद हमारी आंखों को खुद पर भरोसा ना रहा.
दूध चढ़ाने के बाद इंसानों का बदला रूप : हर कोई बैगा के पास पूजा करने आता लेकिन इनमें एक कुछ लोग पूजा करने के बाद अपना आपा खो बैठे.उन्हें कई लोगों ने संभालने की कोशिश की.लेकिन ना जाने उनके अंदर ऐसी कौन सी ताकत थी कि चार से पांच आदमी एक व्यक्ति को संभाल नहीं पा रहे थे.देखते ही देखते सभी उस शख्स के पास से हट जाते हैं और वो शख्स सांप के जैसे जमीन में रेंगने लगता है.सांप के भांति ही वो जमीन पर लोटता है.जिसे रोकने के लिए लोग आते हैं लेकिन कोई असर नहीं होता.इसके बाद कुछ लोगों का एक समूह उसे पकड़ता है और फिर कान में मंत्र फूंकते ही जमीन में लोटने वाला इंसान साधारण हरकत करने लगता है.
आईए जानते हैं आखिर क्या है ये पूरा माजरा : जांजगीर चांपा में नाग पंचमी के दिन बैगा सर्प मंत्र को वापस याद करने के दिन के रूप में मनाते हैं. अपने गुरु से दीक्षा लेकर सर्प दंश से मुक्ति दिलाने वाले बैगा नगमत का आयोजन करते हैं. जिसमें बैगा अपने गुरु की गद्दी पीढ़ा में सजाई गई और शिव जी के साथ नाग की पूजा अर्चना के बाद गुरु गद्दी को खुले आसमान में लोगों के बीच स्थापित करते हैं. भजन और कीर्तन का दौर शुरु होता है.इसके बाद नगमत का खेल शुरु किया जाता है. बैगा अपने शिष्यों के कान मे मंत्र फूंकते हैं.इसके बाद बैगा के शिष्य किसी इंसान के कान में मंत्र फूंकते हैं.जिसके बाद इंसान नाग की तरह हरकत करने लगता है.
''ये हमारी पुरानी परंपरा है.हमारे मंत्र पढ़ने के बाद इंसान पर नाग देवता सवारी करते हैं.हमारे शिष्य फिर उसी इंसान के कान में मंत्र फूंकते हैं.जिसके बाद लोटने वाले शख्स के कान में फिर से मंत्र फूंका जाता है.फिर उन्हें दूध,लाई खिलाकर शांत किया जाता है.इसे देखने के लिए कई गांव के लोग आते हैं.''- गुहाराम कहरा, बैगा
क्यों किया जाता है नगमत का आयोजन : आपको बता दें कि जांजगीर चांपा के गांवों में बैगाओं की टीम प्राचीन गुरु से शिष्य को मिलने वाली मंत्र की परंपरा को आज भी बनाए रखे हैं. वे खुद भी मानते हैं कि जब पहले सर्प दंश के उपचार के लिए डाक्टर की कमी होती थी तब बैगा सांप का जहर उतारते थे. तब मंत्र ही एक सहारा होता था.मंत्र से सर्प दंश का उपचार किया जाता था. लेकिन अब डाक्टर की उपलब्धता और अस्पताल में उपचार होने के कारण मंत्र को संरक्षित करने के लिए शिष्य बनाने और नाग पंचमी के दिन मंत्र का ध्यान कराया जाता है.ताकि ये परंपरा खत्म ना हो.