कोरबा: केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ देश व्यापी हड़ताल का जिले की खदानों में व्यापक असर देखने को मिल रहा है. यूनियन नेताओं ने खदानों के बाहर अपनी आवाज बुलंद की. पहली शिफ्ट में बड़ी संख्या में कोयला कर्मी ड्यूटी पर नहीं गए. एसईसीएल के गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और कोरबा एरिया में हड़ताल का असर दिखा. संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर मानिकपुर में कार्यरत ठेकेदारी और डिपार्टमेंटल कामगारों ने समर्थन देते हुए एकदिवसीय सांकेतिक हड़ताल में अपनी आवाज़ बुलंद की है.
मजदूर कर रहे संकट का सामना: श्रमिक यूनियन के नेताओं का कहना है कि केंद्रीय श्रम संगठनों ने दिल्ली मे संयुक्त कन्वेंशन कर औद्योगिक हड़ताल का ऐलान किया था. मजदूरों ने केंद्र सरकार की श्रम कानून को मजदूर विरोधी बताया है. उन्होंने देश के मेहनतकश कामगारों के अधिकारों को छीनने का आरोप लगाया है. साथ ही इस कानून के जरिए कुछ चुनिंदा उद्योग मालिकों को फायदा पहुंचाने और श्रम कानून को कमजोर करने का आरोप मजदूर संगठन ने लगाए हैं.
ट्रेड यूनियन ने दिखाई एकजुटता: मजदूर यूनियन हड़ताल में शामिल ट्रेड यूनियन ने खदान क्षेत्र में जुलूस निकाला. इस दौरान सरकार के कथित मजदूर विरोधी नीति के खिलाफ उन्होंने जमकर नारे भी लगाए. मजदूरों के हड़ताल को देखते हुए खदान क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं.
हड़ताल को लेकर बुलाया कन्वेंशन: जिले में 16 फरवरी के औद्योगिक हड़ताल को कामयाब करने के लिए रणनीति बनाई गई थी, जिसके तहत 8 फरवरी को बालको में एक कन्वेंशन किया गया था. इसमें कोरबा जिले के सभी श्रम संगठनों के कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया था. उस कन्वेंशन में हड़ताल करना क्यों आवश्यक है, इस पर चर्चा कर रणनीति बनाई गई थी. ताकि औद्योगिक हड़ताल को कोरबा जिले में सफल बनाया जा सके. इसी प्रकार गेवरा में 14 फरवरी को कन्वेंशन किया गया था.