शिमला: लोकसभा चुनाव के साथ साथ धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र में होने वाला उपचुनाव अब मात्र चुनाव नहीं रह गया है. इसे सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और सुधीर शर्मा ने अपने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. दोनों के जुबानी हमलों से ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे ये सियासी युद्ध ना होकर राजनीति के अखाड़े का मलयुद्ध बन गया है. सीएम सुक्खू और सुधीर शर्मा एक दूसरे को पटखनी देनें के लिए अपने पिटारे से नया सियासी दांव खेल रहे हैं.
धर्मशाला उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी देवेंदिर जग्गी और बीजेपी के सुधीर शर्मा आमने-सामने हैं, लेकिन राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए लगता है कि ये मुकाबला सीएम सुक्खू और सुधीर शर्मा के बीच में हैं. सुधीर शर्मा देवेंद्र जग्गी और कांग्रेस पर हमलावर होने की जगह सीएम सुक्खू को ललकार रहे हैं, वहीं, दूसरे बागी विधायकों के मुकाबले सुधीर शर्मा ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के सबसे अधिक निशाने पर रहे हैं. धर्मशाला के सियासी दंगल से ऐसी धूल उड़ रही है कि पूरे प्रदेश का ध्यान अब यहीं पर आ टिका है. धर्मशाला में पिछले सात सालों में लोग चौथी बार अपना नेता चुनेंगे. धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र में कुल 88, 603 मतदाता है. पुरुष मतदाताओं की संख्या 43,845 है, जबकि 42,758 है. इनमें एक ओवरसीज और 961 सर्विस वोटर्स हैं.
सीएम सुक्खू के हाथ में फुल कंट्रोल: सीएम सुक्खू खुद धर्मशाला में डटे हैं और चुनावी रणनीति के साथ साथ प्रचार का फुल कंट्रोल अपने हाथ में लेकर घूम रहे हैं. इसके अलावा कांगड़ा के विधायकों, संगठन कार्यकर्ताओं और कैबिनेट मंत्रियों की फौज को मैदान में उतार दिया है, ताकि सुधीर शर्मा को हिलने का मौका ना मिले. सीएम सुक्खू ने सुधीर शर्मा को ही बागी विधायकों का नेता कहकर उन्हें बिकाऊ विधायक और धोखेबाज नेता बताया था. उन्होंने खुले मंच से सुधीर शर्मा पर ड्राइवर के नाम करोड़ों की संपत्ति खरीदने के आरोप लगाए. जवाब में सुधीर शर्मा ने भी सीएम पर कांग्रेस कार्यकर्ताओ, विधायकों और उपने परिवार के लोगों को राजनीतिक लाभ पहुंचाने का आरोप लगाकर सीएम को उनके ही दांव से चित करने का प्रयास कर रहे हैं.
सुधीर शर्मा ने अकेले मोर्चा संभाला: एक तरफ जहां देवेंदिर जग्गी के लिए मुख्यमंत्री ने दिन-रात एक कर दिया है. वहीं, पूर्व सीएम जयराम और बीजेपी के बड़े नेता संसदीय चुनावों और स्टार प्रचारकों की रैलियों में व्यस्त हैं. ऐसे में सुधीर शर्मा अधीर हुए बिना मैदान में अकेले ही लड़ते दिख रहे हैं. अपने पुराने घर से बगावत का झंडा उठाकर निकले सुधीर को नए घर में अपने चुनाव का प्रबंधन जैसे जनसंपर्क, सीएम और कांग्रेस के आरोपों का जवाब, जनसभाएं खुद ही करनी पड़ी रही हैं. सुधीर शर्मा के पास इस समय उनका राजनीतिक अनुभव और बीजेपी की रणनीति और संगठन जैसी ताकतें हैं, जिनके सहारे वो अपनी चुनावी नैय्या पार लगाना चाहते हैं.
धर्मशाला में त्रिकोणीय मुकाबला: अब यहां चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हो चुका है. बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आजाद उम्मीदवार राकेश चौधरी के ताल ठोकने के कारण धर्मशाला की ठंडी वादियों में सियासी पारा चढ़ा हुआ है. राकेश चौधरी 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन सुधीर शर्मा से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उपचुनाव में टिकट ना मिलने से नाराज राकेश चौधरी एक बार फिर उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. राकेश चौधरी चुनावी अखाड़े में ऐसे खिलाड़ी हैं जो सुधीर शर्मा और देवेंद्र जग्गी दोनों के समीकरणों को उलट सकते हैं. साथ ही एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी सतीश कुमार भी मैदान में हैं.