देहरादून: वर्चुअल रजिस्ट्री करने के लिए प्रदेश सरकार ने बेशक अपने नियमों में प्रावधान कर दिया है, लेकिन घर बैठे मिलने वाली इस नई व्यवस्था के लिए अभी और थोड़ा इंतजार करना होगा. हमने जानने की कोशिश की कि इसके शुरू होने के बाद आम जनता को कितना फायदा मिलने वाला है और इसका नुकसान कितना होगा.
उत्तराखंड में भूमि की वर्चुअल रजिस्ट्री की तैयारी: दरअसल इस प्रक्रिया के पूरे होने के बाद ही स्टांप एवं निबंधक विभाग वर्चुअल रजिस्ट्री की प्रक्रिया को संचालित करेगा. पिछले करीब एक साल से विभागीय स्तर पर ऑनलाइन रजिस्ट्री के लिए प्रयास चल रहे हैं. पिछले साल दिसंबर महीने में प्रदेश मंत्रिमंडल ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. इसके बाद वित्त विभाग के स्तर पर नियमों में वर्चुअल रजिस्ट्री का प्रावधान कर दिया गया था. ऑनलाइन रजिस्ट्री आधार सत्यापन के माध्यम से होनी है. इसके लिए राज्य सरकार पहले ही केंद्र सरकार से अनुमति ले चुकी है.
सरकार की भूमि फर्जीवाड़ा रोकने की कवायद: इस प्रक्रिया के तहत क्रेता और विक्रेता की सहमति के बाद फिंगर प्रिंट स्कैन या आइरिस के साथ 12 अंकों की आधार संख्या रजिस्ट्रेशन सॉफ्टवेयर के माध्यम से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के जरिये सत्यापित कराएगा. नियमों में प्रावधान के बाद वर्चुअल रजिस्ट्री की सुविधा के जल्द शुरू होने की संभावना जताई जा रही थी. शासन की तरफ से पहली प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
वर्चुअल रजिस्ट्री से बुजुर्गों को होगा फायदा: वहीं इस प्रक्रिया के शुरू होने के बाद प्रशासन का मानना है कि जिस तरह से एक जमीन चार लोगों को बेच दी जाती थी और पिछले दिनों रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा के मामले सामने आए थे, उसमें पारदर्शिता आयेगी. साथ ही वर्चुअल रजिस्ट्री की सुविधा का सबसे ज्यादा फायदा बुजुर्गों और बीमार लोगों को होगा. उन्हें रजिस्ट्री के लिए चक्कर नहीं काटने होंगे. साथ ही रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े भी रोक लग सकेगी.
भूमि की वर्चुअल रजिस्ट्री पर क्या कहते हैं वकील: जिस तरह शासन वर्चुअल रजिस्ट्री लागू होने के बाद के फायदे गिना रहा है, वहीं वर्तमान में रजिस्ट्री करने वकीलों का कहना है कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद नुकसान ही होगा. इस व्यवस्था के लागू करने के बाद वकीलों को बाहर करने की योजना बनाई जा रही है. हालांकि पिछले दिनों स्टांप विक्रेताओं और वकीलों ने इस व्यवस्था के खिलाफ एक हफ्ते तक हड़ताल भी की थी. सीएम के आश्वासन के बाद हड़ताल को खत्म किया गया था. वहीं बार एसोसिएशन अध्यक्ष का कहना है की ऑनलाइन होने के बाद आम जनता रजिस्ट्री को कैसे चेक करेगी कि वह सही है या फिर फर्जी. क्योंकि ऑनलाइन होने के बाद घर बैठ कर ही रजिस्ट्री होगी और वर्तमान में अगर कोई रजिस्ट्री होती है तो उसका 12 साला चेक किया जाता है. कागज भी चेक किए जाते हैं.
वकीलों ने गिनाई ये कमियां: साथ ही रजिस्ट्री में ऐसे दस्तावेज हैं जो सिर्फ स्टांप विक्रेता ही टाइप करता है. इस व्यवस्था के शुरू होने के बाद फर्जीवाड़ा बंद नहीं होगा, बल्कि फर्जीवाड़ा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. साथ ही बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि किस तरह से ऑनलाइन रजिस्ट्री करेंगे, शासन, जनता और वकीलों के बीच आकर बताए. सिर्फ लागू कर देना यह समाधान नहीं है. लागू होने के बाद उसके परिणामों को जनता से पूछना भी होगा और इसके परिणाम जायदा पॉजिटिव नहीं आयेंगे.
भूमि की वर्चुअल रजिस्ट्री साल भर में लागू होने की उम्मीद: हालांकि भूमि की वर्चुअल रजिस्ट्री व्यवस्था अभी शुरू नहीं हुई है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल भर में यह व्यवस्था लागू हो जाएगी. इस व्यवस्था के शुरू होने के बाद ही देखा जाएगा की वर्चुअल रजिस्ट्री से आम जनता को नुकसान होगा या फिर फायदा.
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