झालावाड़. बेटियों के जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए वन विभाग की ओर से एक अनूठी पहल शुरू की गई है. इस मुहिम से जिले में पर्यावरण को बढ़ावा मिलेगा और जिले में वन क्षेत्र का औसत प्रतिशत को भी बढ़ाने में मदद मिलेगी. वन विभाग की ओर से असनावर रेंज के वेटलैंड एरिया में बेटी वाटिका की शुरुआत की गई है. इस वाटिका में शहरवासी अपनी नन्हीं बेटियों के जन्मदिन के अवसर पर पौधा लगाकर उनके जन्मदिन को यादगार बना सकते हैं.
बेटियों के जन्मदिन को यादगार बनाने की पहल : उप वन संरक्षक वी. चेतन कुमार ने बताया कि वन विभाग ने बेटियों के जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए असनावर रेंज के बड़बेला तालाब वेटलैंड एरिया में बेटी वाटिका की शुरुआत की है, जिसमें शहर वासी अपनी बेटियों के जन्मदिन पर पौधा लगाकर उनके जन्मदिन को यादगार बना सकेंगे. उन्होंने बताया कि असनावर रेंज में स्थित बड़बेला तालाब एक वेटलैंड एरिया है, जिसे फिलहाल वन विभाग की ओर से विकसित किया जा रहा है, यहां बच्चों के लिए झूले, चकरी और अन्य साधन लगाए जा रहे हैं. झालावाड़ वासियों के लिए इसे एक पर्यटक स्थल के रूप में तैयार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बेटी वाटिका के शुभारंभ पर पहुंचे अभिभावकों तथा उनके बच्चों का वन विभाग ने तिलक लगाकर स्वागत किया, उसके बाद नन्हीं बालिका चयनिका, अनाहिता, इशानव्ही ने नीम, बरगद, पीपल के पेड़ों को रोपित किया, वहीं अनाहिता ने पेड़ मत काटिए, खूब पेड़ लगाइए कविता के माध्यम से सेव अर्थ सेव फ्यूचर का संदेश दिया.
सहायक वन संरक्षक संजू कुमार शर्मा ने शहर वासियों से उनके बेटी के जन्मदिवस के अवसर पर रेंज में एक पौधा रोपित कर बेटी को जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए कहा. उन्होंने बताया कि पौधों की देखभाल रेंज असनावर की ओर से की जाएगी और रोपित पौधे पर बेटी के नाम की पट्टीका भी लगाई जाएगी.
प्रवासी पक्षियों का बसेरा है बड़बेला तालाब : बता दें कि वेटलैंड एरिया उसे माना जाता है, जहां काफी नमी हो, साथ ही भूजल का स्तर भी अच्छा हो, ऐसी जमीन आमतौर पर नदियों के किनारे मिलती है या फिर जहां वर्षा जल संरक्षण की व्यवस्था हो. ऐसी जमीन खेती ही नहीं पारिस्थितिकी संतुलन की दृष्टि से भी काफी अहम मानी जाती है. झालावाड़ के असनावर रेंज में स्थित बड़बेला तालाब एक वेटलैंड एरिया है, जहां सर्दियों में कई प्रकार के प्रवासी पक्षियों का बसेरा रहता है. सर्दियों में यहां सरपट्टी सरवन, सींखवर, सुर्खाब, ग्रेगल गीज, कॉमन पेाचार्ड, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, यूरेशियन यूजियोन, नॉर्थर्न पिनटेल, नॉर्थन सावलर सहित अन्य कई प्रकार के प्रवासी पक्षी हर साल आते हैं.