टीकमगढ़। कांग्रेस नेता आलोक चतुर्वेदी का कहना है कि जब पूरा देश कोरोना की महामारी से लड़ाई लड़ रहा था, तब तत्कालीन भाजपा विधायक, कलेक्टर और नगर पालिका के सीएमओ के साथ मिलकर भ्रष्टाचार कर रहे थे. कोरोना के नाम पर सामग्री खरीदी, निर्माण कार्य, मस्टर पर कर्मचारी रखने और दूसरे कामों में करीब 100 करोड़ का भ्रष्टाचार किया गया. जिनमें विधायक के परिजनों की चार कंस्ट्रक्शन कंपनियां भी शामिल हैं. वहीं, आरोपों पर पूर्व विधायक राकेश गिरी ने कांग्रेस पर ही निशाना साधा है.
फर्जी सामग्री खरीद में घोटाला
पूर्व भाजपा विधायक राकेश गिरी और उनके परिजनों पर अफसरों से साठगांठ कर कोरोना में फर्जी सामग्री खरीदी और निर्माण कार्य, मस्टररोल कर्मचारी रखने में भारी फर्जीवाड़े के आरोप हैं. प्रेसवार्ता में कांग्रेस नेता ने विधायक, तत्कालीन कलेक्टर और तत्कालीन सीएमओ पर मिलीभगत कर घोटाले के आरोप लगाए. सामग्री खरीदी के नाम पर 20 करोड़ राशि का घपला फर्जी बिल लगाकर किया गया. निर्माण कार्य के अलावा मस्टररोल कर्मचारी रखने के नाम पर करोड़ो की हेराफेरी की गयी.
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तत्कालीन कलेक्टर व सीएमओ पर भी आरोप
आरोप है कि इस फर्जीवाड़े में नगरपालिका के तत्कालीन प्रशासक कलेक्टर सुभाष कुमार दिवेदी और तत्कालीन सीएमओ रीता कैलासिया भी शामिल रहीं और कोरोना के नाम पर सब ने मिलकर बंदरबांट की. मुखिया कंस्ट्रक्शन, गजानन कंस्ट्रक्शन, सिद्धि विनायक कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने बिना कोई काम किए फर्जी बिलों का भुगतान लिया. कोरोना की आपदा में 2020 से 2022 तक विधायक परिजनों की चार कंपनियों ने जमकर कमाई की. इस मामले में पूर्व विधायक राकेश गिरी का कहना है कि मेरे विधायक कार्यकाल और खासकर कोरोना के समय किसी भी तरह का भ्रष्टाचार नहीं हुआ. ये सब आरोप बेबुनियाद हैं.