अलवर : सरिस्का टाइगर रिजर्व में युवा बाघों के बाहर निकलने का खतरा मंडराने लगा है, पिछले करीब 2.5 साल के दौरान कई युवा बाघ अलवर जिले की दहलीज को लांघ जयपुर, दौसा, हरियाणा पहुंच चुके हैं. युवा बाघों के एक के बाद एक सरिस्का जंगल से बाहर निकलने से एक बार फिर यहां बाघों की संख्या घटने की आशंका होने लगी है.
सरिस्का में बाघों के शावक अब युवा अवस्था में पहुंच रहे हैं. इससे बाघों के बीच टकराव के हालात बनने लगे हैं. सरिस्का में लंबे समय से अपनी टेरिटरी में घूम रहे बाघों को वहां किसी अन्य टाइगर का बसना मंजूर नहीं है. इसका असर सरिस्का में युवा बाघों पर पड़ रहा है, जिसके चलते पिछले कुछ सालों में कई युवा बाघों को टेरिटरी बनाने के लिए सरिस्का का जंगल छोड़ना पड़ा है.
ये बाघ पहुंच चुके सरिस्का से बाहर : वर्तमान में सरिस्का से करीब चार बाघ पिछले कुछ सालों में बाहर जा चुके हैं. करीब ढाई साल पहले सरिस्का का युवा बाघ एसटी-24 अजबगढ़ रेंज होते हुए जमवा रामगढ़ के जंगल में पहुंच गया. इसके बाद बाघ एसटी- 2305 सरिस्का के जंगल से निकल टहला, राजगढ़ वन क्षेत्र होते हुए जयपुर ग्रामीण के वन क्षेत्र में पहुंच गया. सरिस्का का युवा बाघ एसटी-2303 सरिस्का के जंगल से दो बार बाहर निकल हरियाणा के रेवाड़ी वन क्षेत्र में पहुंच गया था. इसके अलावा साल 2025 के पहले ही दिन सरिस्का का एक युवा बाघ दौसा जिले के बांदीकुई वन क्षेत्र में पहुंच गया. आशंका जताई जा रही है कि यह बाघ एसटी-2402 है. साथ ही सरिस्का का युवा बाघ एसटी-13 पिछले कुछ सालों से लापता बताया जा रहा है. हरियाणा के रेवाड़ी के वन क्षेत्र पहुंचने वाले बाघ एसटी-2303 को एनटीसीए के आदेशानुसार ट्रेंक्यूलाइज कर रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व भेजा जा चुका है. वर्तमान में सरिस्का में बाघों का कुनबा 42 है.
बाहर निकले बाघों की मॉनिटरिंग में टीम जुटी : सरिस्का बाघ परियोजना में वन कर्मियों की कम नफरी पिछले कुछ सालों से समस्या बनी हुई है, जिससे सरिस्का प्रशासन को बाघों की निरंतर मॉनिटरिंग में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. बाघों के सरिस्का से बाहर निकले बाघों की मॉनिटरिंग में सरिस्का के वन कर्मियों को लगाना पड़ रहा है. तमाम परेशानी के बाद भी सरिस्का की वनकर्मियों की टीम बाघों की लगातार मॉनिटरिंग में जुटी है.
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जंगल बड़ा, लेकिन बाघों को जगह कम : सरिस्का टाइगर रिजर्व के कोर एरिया एवं आसपास करीब 29 गांव बसे हैं. इस कारण सरिस्का जंगल का बड़ा क्षेत्र मानवीय गतिविधियों से युक्त रहा है. इस क्षेत्र में बाघ अपनी टेरिटरी बनाने से बचता है. यही कारण है कि सरिस्का के जंगल में बाघों को जगह कम पड़ने लगी है और युवा बाघ अपनी टेरिटरी के लिए आसपास का वन क्षेत्र तलाशने लगे हैं. इसी फेर में युवा बाघ सरिस्का की दहलीज पार कर आसपास के सुरक्षित वन क्षेत्र में पहुंच रहे हैं. सरिस्का में अभी 5 गांवों का ही पूरी तरह विस्थापन हो पाया है.
बाहर निकले बाघों की कर रहे निगरानी : सरिस्का के सीसीएफ संग्राम सिंह ने बताया कि सरिस्का टाइगर रिजर्व से बाहर निकले बाघों की सरिस्का के वनकर्मियों की टीम लगातार मॉनिटरिंग कर रही है. प्रयास है कि बाहर निकले बाघों को जल्द ही सरिस्का में वापस लाया जा सके. 1 जनवरी को दौसा जिले के बांदीकुई वन क्षेत्र में पहुंचे बाघ को ट्रेंक्यूलाइज करने पहुंची टीम में शामिल रेंजर शंकर सिंह ने बताया कि बाघ को ट्रेंक्यूलाइज करने के प्रयास जारी हैं.