अलवर : सरिस्का टाइगर रिजर्व को बाघों से आबाद होने में डेढ़ दशक से ज्यादा का समय लगा. अब यहां आने वाले पर्यटकों की भी संख्या काफी बढ़ गई है, लेकिन इसके बाद भी बाघों को दूसरे टाइगर रिजर्व में छोड़ने की संभावना तलाशी जाने लगी है. यह हालत तो तब है जब केंद्र में वन मंत्री अलवर से चुने गए हैं. ऐसा भी नहीं है कि सरिस्का में बाघों के विचरण के लिए जंगल नहीं बचा हो, बल्कि कालीघाटी समेत सरिस्का के अनेक जोन ऐसे हैं, जहां कई बाघ आसानी से अपनी टेरिटरी बना सकते हैं. इससे स्थानीय लोगों को रोजी रोटी कमाने का जरिया भी मिल सकता है.
सरिस्का के कालीघाटी जंगल में बाघ की जरूरत : सरिस्का टाइगर फाउंडेशन के डायरेक्टर दिनेश दुर्रानी का कहना है कि बाघ 2303 को दूसरे टाइगर रिजर्व में भेजने की चर्चा है, लकिन अभी सरिस्का में ही जंगल खाली है, जहां बाघ को छोड़ा जा सकता है. सरिस्का के कालीघाटी जंगल में अभी एक भी बाघ नहीं है, यह जंगल पूरी तरह खाली है. यहां एक से ज्यादा टाइगर अपनी टेरिटरी बनाकर रह सकते हैं. सरकार को बाघ 2303 को कालीघाटी जंगल में छोड़ना चाहिए. वैसे भी सरिस्का के एक जोन में ही टाइगर एसटी-21 का विचरण है. यही बाघ पर्यटकों को लुभाता रहता है, जबकि सरिस्का के अन्य जोन में बाघ नहीं हैं. इन खाली जोन में बाहर निकलने वाले बाघों को छोड़ने की जरूरत है. इससे ये बाघ यहां अपनी टेरिटरी बनाकर पर्यटकों को लुभा सकेंगे.
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सरिस्का टाइगर रिजर्व 1213 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और अभी यहां 43 टाइगर हैं. बाघों की मौजूदा संख्या को देखते हुए सरिस्का का जंगल पर्याप्त है, लेकिन बाघों के जंगल से बाहर निकलने की समस्या ने सरकार एवं सरिस्का प्रशासन को पशोपेश में डाल दिया है. इस परेशानी से निजात पाने के लिए सरकार सरिस्का से बाहर निकलने वाले बाघों का प्रदेश के दूसरे टाइगर रिजर्व में पुनर्वास कराने का आसान तरीका खोजने में जुटी है. इन दिनों सरिस्का के एक बाघ को दूसरे टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने की चर्चा जोरों पर है.
बाघ 2303 को रामगढ़ विषधारी में भेजने की तैयारी : सरिस्का के अलवर बफर रेंज का युवा बाघ 2303 पिछले 20 दिनों से सरिस्का रेंज से बाहर निकल मुंडावर, तिजारा होते हुए हरियाणा के रेवाड़ी जिले के झाबुआ के जंगल में घूम रहा है. काफी प्रयास के बाद यह बाघ सरिस्का नहीं लौट पा रहा है. सरिस्का से हरियाणा सीमा में प्रवेश करने तक यह बाघ चार लोगों को हमला कर घायल भी कर चुका है. इस कारण वन विभाग अब बाघ 2303 को सरिस्का के बजाय प्रदेश के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में भेजने की योजना बना रहा है. इसका एक कारण यह भी है कि झाबुआ का जंगल छोटा है और यहां टाइगर की मौजूदगी मानवीय दुर्घटना का कारण बन सकती है. यही बाघ 7-8 महीने पहले भी सरिस्का के जंगल से निकल हरियाणा के रेवाड़ी के जंगल में पहुंच गया था, लेकिन गनीमत यह रही कि उस समय यह बाघ खुद ही सही सलामत वापस सरिस्का लौट आया. इस बार बाघ 2303 सरिस्का वापस लौटने का नाम नहीं ले रहा.