लखनऊ : रहमान खेड़ा के जिस बागवानी संस्थान में गुरुवार को पिंजरे के पास बाघ ने नीलगाय का शिकार किया था. उसी रात नीलगाय का बचा हिस्सा भी बाघ उठा ले गया. बाघ के आसपास के तीन टाइगर रिजर्व एरिया पीलीभीत, दुधवा राष्ट्रीय पार्क और बहराइच का कतर्नियाघाट से आने की संभावना जताई गई है.
बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. टी दामोदरन ने बताया कि गुरुवार दोपहर को उन्होंने बाघ की दहाड़ सुनी थी और बाघ को झाड़ियों में जाते देखा था. हालांकि बाघ का केवल मुंह दिख रहा था जबकि पूरा शरीर झाड़ियों में छुपा हुआ था. संस्थान की इमारत के चारों तरफ बैरीकेडिंग लगा दी गई है और किसी को भी जंगल में जाने से मना कर दिया गया है.
मुख्य वन संरक्षक रेणु सिंह ने बताया कि आसपास के तीन टाइगर रिजर्व एरिया पीलीभीत, दुधवा राष्ट्रीय पार्क और बहराइच का कतर्नियाघाट से बाघ आने की संभावना जताई गई है. बाघ अक्सर नदी या नाले के किनारे घूमते हुए अपने परिक्षेत्र से बाहर निकल जाते हैं. कभी कभी उसी रास्ते से वापस भी आ जाते हैं.
लखनऊ और आसपास होती रही है बाघ-तेंदुओं की दस्तकः उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के साथ ही आसपास के इलाकों में पहले भी बाघ और तेंदुए पहुंच चुके हैं. लखनऊ में औरंगाबाद में आया तेंदुआ कई दिनों तक लोगों को परेशान करता रहा. इससे पहले रहमान खेड़ा में आये बाघ को भी वन विभाग की टीम करीब तीन माह की कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ सकी थी.
कब-कब शहर के अंदर हुई जंगली जानवरों की आमद
2009 में फैजाबाद लखनऊ के पास पहुंच गई थी आदमखोर बाघिन. इसे फैजाबाद के कुमार गंज क्षेत्र के पास मारा गया.
2012 रहमान खेड़ा क्षेत्र में बाघ निकला. इसे 108 दिनों की कड़ी मश्क्कत के बाद वन विभाग की टीम रेस्क्यू कर सकी.
2014 में लखनऊ और कानपुर के बीच तेंदुआ सामने आया. बाद में कानपुर टेकरी के निकट गंगा पट्टी से होते हुए इसे वापस जंगल में भेजा गया.
2019 में ठाकुरगंज स्थित एक मूक बधिर स्कूल में तेंदुआ पहुंच गया था. जो वहां लगे कैमरों में ट्रैप हुआ. बाद में वन विभाग और चिड़ियाघर की टीम ने इसे रेस्क्यू किया.
2018 में आशियाना के निकट औरंगाबाद क्षेत्र में तेंदुआ सामने आया. इस तेंदुए को रेस्क्यू करने को वन विभाग की टीम ने जाल बिछाया, लेकिन बाद में एक घर के रसोई में जा घुसे इस तेंदुए को पुलिसवालों ने गोली मार दी.
2018 में लखनऊ से सटे गोसाईगंज क्षेत्र में एक सड़क के नीचे बने पाइप के अंदर तेंदुआ होने की सूचना मिली. इस तेंदुए को वन विभाग ने रेस्क्यू कर निकाला. इसके पैर के कुड़का फंसा हुआ था. इसके चलते इसका आगे का राइट पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था.
2009 में लखनऊ सीमा से सटे मलिहाबाद क्षेत्र में एक सूखे कुंए में तेंदुआ गिर गया था, जिसे चिड़ियाघर की टीम ने रेस्क्यू किया.
अफसर क्या बोलेः डीएफओ अवध सितांशु पाण्डेय का कहना है कि शहरी सीमा तक पहले भी जंगली जानवर आते रहे हैं. इन्हें समय से रेस्क्यू किया गया. रहमान खेड़ा में सामने आये जंगली जानवर को रेस्क्यू करने की तैयारी है. अभी पूरी तरह से नहीं कहा जा सकता कि वर्तमान में रहमान खेड़ा में आया जानवर तेंदुआ है या बाघ, लेकिन जिस तरह के पंजे के निशान हैं उससे बाघ होने की संभावना ज्यादा है. पकड़े जाने पर ही यह क्लियर हो पाएगा.
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