भरतपुर : जिले के बयाना क्षेत्र के गांव नगला बंडा निवासी बुजुर्ग और उसके दो पोतों का शुक्रवार को एक ही चिता पर अंतिम संस्कार हुआ. दादा-पोतों का एक साथ अंतिम संस्कार देखकर पूरा गांव शोक में डूब गया. सैकड़ों लोगों की आंखें नम हो गईं. पूरे गांव में दीपावली का त्योहार नहीं मना. गुरुवार को दादा पोते नदी में डूब गए थे, जिनमें से एक पोते का शव 30 घंटे बाद शुक्रवार को मिला. उसके बाद शुक्रवार दोपहर को अंतिम संस्कार किया गया.
बयाना क्षेत्र के गांव नगला बंडा के जंगल में गुरुवार को बकरी चराने गए दादा और उसके दो पोते नदी में डूब गए थे. एसडीआरएफ की टीम ने गुरुवार को कई घंटों की तलाश के बाद बुजुर्ग और उसके एक पोते का शव नदी से बाहर निकाला था, लेकिन दूसरे पोते का शव देर रात तक नहीं मिल सका. ऐसे में शुक्रवार दोपहर को 30 घंटे बाद दूसरे पोते का भी शव नदी से निकाल लिया गया.
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बयाना सदर थाना प्रभारी बलराम यादव ने बताया कि परिजनों की मौजूदगी में तीनों शवों का पोस्टमार्टम कराया गया. उसके बाद शुक्रवार दोपहर बाद तीनों दादा-पोतों का गांव में एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया. दादा पोतों का एक साथ अंतिम संस्कार देखकर परिजन बिलख उठे. पूरे गांव के सैकड़ों लोगों की आंखें नम हो गईं. गांव में हुई इस हृदयविदारक घटना की वजह से पूरे गांव में दीपावली का त्योहार नहीं मनाया गया. घरों में चूल्हे भी नहीं जले.
गौरतलब है कि गुरुवार को गांव नगला बंडा निवासी गजराज सिंह गुर्जर के बुजुर्ग पिता विश्राम सिंह गुर्जर (60) व गजराज के दोनों बेटे अंकित (7) और योगेश (14) गंभीरी नदी में डूब गए थे. जिनमें से दो लोगों के शव गुरुवार शाम को कई घंटे के रेस्क्यू के बाद मिल गए थे, लेकिन छोटे बेटे अंकित का शव 30 घंटे बाद शुक्रवार को मिला. जिले में बीते दो माह में नदी, जलाशय और झरनों में डूबने से करीब 20 लोगों की मौत हो चुकी है.