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आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू, 511 की जगह अब 358 धाराएं... पुलिस को गिरफ्तारी के दौरान बनाना होगा वीडियो - Change in law from July 1

आज यानी एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता के तहत रिपोर्ट दर्ज होगी. पहली बार मॉब लिंचिंग की धारा जोड़ी गई है. भारतीय दंड संहिता में पहले 511 धाराएं थीं, अब 358 धाराएं रह गई हैं. एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता के तहत ही रिपोर्ट दर्ज होगी, जिसके तहत आईपीसी को धारा 302 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) लगेगी.

INDIAN JUDICIAL CODE
भारतीय न्याय संहिता (Etv bharat GFX Team)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 1, 2024, 8:06 AM IST

Updated : Jul 1, 2024, 8:17 AM IST

कुचामनसिटी. देश में आज यानी 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे. कानून की यह संहिताएं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) हैं. नए कानूनों में कुछ धाराएं हटा दी गई हैं तो कुछ नई धाराएं जोड़ी गई हैं. कानून में नई धाराएं शामिल होने के बाद पुलिस, वकील और अदालतों के साथ-साथ आम लोगों के कामकाज में भी काफी बदलाव आ जाएगा. भारतीय दंड संहिता में पहले 511 धाराएं थीं, अब 358 धाराएं रह गई है. एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता के तहत ही रिपोर्ट दर्ज होगी, जिसके तहत अब आईपीसी की धारा 302 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) लागू होगी. तीन नए कानून भारतीय न्याय संहित्ता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहित्ता 2023 आज यानी एक जुलाई से लागू हो रहे हैं. ये तीनों आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य कानून की जगह लेंगे.

1860 में बनी आईपीसी, 1973 में बनी भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत कार्य किया जा रहा था, अब एक जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, दंड प्रक्रिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के प्रावधान व धाराएं लागू होंगी. भारतीय न्याय संहिता के तहत होने वाले कानुन व धाराओं के बदलाव को लेकर एडवोकेट रोहित छीपा ने खास बातचीत में जरूरी जानकारी दी है.

बातचीत के प्रमुख अंश...

सवाल : भारतीय न्याय संहिता में पहली बार कौन सी धारा जोड़ी गई हैं ?

पहली बार मॉब लिचिंग की धारा जोड़ी गई है. इसमें मृत्यु पर धारा 103 (2) में मुकदमा दर्ज होगा. इस मामले में मृत्युदंड तक का प्रावधान है. महिला और बाल अपराध के मामले में पुलिस को अधिकतम 60 दिन में विवेचना पूरी करनी होगी.

सवाल : क्या गिरफ्तारी का वीडियो बनाना जरुरी है ?

जवाब : हां गिरफ्तारी और जब्ती की पुलिस वीडियो रिकार्डिंग करेगी, बिना वीडियो रिकॉर्डिंग गिरफ्तारी और जब्ती संदिग्ध मानी जाएगी.

सवाल : नए कानून में एफएसएल की क्या भूमिका रहेगी ?

जवाब : नए कानूनों में फोरेंसिक की काफी अहमियत है, और सात साल से अधिक सजा वाले सभी अपराधों में फोरेंसिक साक्ष्य जुटाने अनिवार्य हो जाएगा.

सवाल : एफआईआर को दर्ज करने को लेकर क्या परिवर्तन हुआ है ?

जवाब : नए कानून के अनुसार पुलिस को शिकायत मिलने के तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करनी अनिवार्य होगी. एफआईआर दर्ज करने के बाद पीड़ित के मुकदमे को लेकर प्रगति के बारे में एसएमएस या फिर अन्य माध्यमों से 90 दिनों के अंदर जानकारी दी जाएगी.

सवाल : कौन-कौन सी धारा को एक साथ समायोजित किया गया है ?

जवाब : तीन धाराएं एक में ही समाहित है. आईपीसी में धारा 442 (गृह अतिचार), 445 (गृह भेदन) और 447 (आपराधिक अतिचार के लिए दंड) को भारतीय न्याय संहिता में एक ही धारा 330 बीएनएस में समाहित किया गया है.

इसे भी पढ़ें : व्हाट्सएप, टेलीग्राम और E-mail से भी दर्ज करा सकेंगे FIR, 1 जुलाई से बदल जाएंगे ये नियम - New criminal laws

बदल जाएगी अपराध की पुरानी धाराएं : हत्या में आईपीसी की धारा 302 की जगह न्याय संहिता 2023 की धारा 103(1) लगेगी. दुष्कर्म की धारा 376 की जगह धारा 64(A) और चोरी की धारा 379 की जगह धारा 303 लगाई जाएगी. फ्रॉड की धारा 420 बदल कर 318 हो गई है. धारा बदलने के साथ जांच में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों का महत्व रहेगा. घटनास्थल, गिरफ्तारी और अवैध सामानों की जब्ती में फोटो व वीडियो को काफी महत्व दिया गया है. इसे साक्ष्य के तौर पर पुलिस कोर्ट में प्रस्तुत करेगी. इसके अलावा थानाधिकारीयों को भी केश गवाही के लिए अदालत पेश नहीं होना पड़ेगा. वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से इसे पूरा किया जाएगा. इसके अलावा विभिन्न जांच रिपोर्ट भी ऑनलाइन विवेचनाधिकारी के पास पहुंच जाएगी.

कुचामनसिटी. देश में आज यानी 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे. कानून की यह संहिताएं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) हैं. नए कानूनों में कुछ धाराएं हटा दी गई हैं तो कुछ नई धाराएं जोड़ी गई हैं. कानून में नई धाराएं शामिल होने के बाद पुलिस, वकील और अदालतों के साथ-साथ आम लोगों के कामकाज में भी काफी बदलाव आ जाएगा. भारतीय दंड संहिता में पहले 511 धाराएं थीं, अब 358 धाराएं रह गई है. एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता के तहत ही रिपोर्ट दर्ज होगी, जिसके तहत अब आईपीसी की धारा 302 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) लागू होगी. तीन नए कानून भारतीय न्याय संहित्ता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहित्ता 2023 आज यानी एक जुलाई से लागू हो रहे हैं. ये तीनों आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य कानून की जगह लेंगे.

1860 में बनी आईपीसी, 1973 में बनी भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत कार्य किया जा रहा था, अब एक जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, दंड प्रक्रिया संहिता की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के प्रावधान व धाराएं लागू होंगी. भारतीय न्याय संहिता के तहत होने वाले कानुन व धाराओं के बदलाव को लेकर एडवोकेट रोहित छीपा ने खास बातचीत में जरूरी जानकारी दी है.

बातचीत के प्रमुख अंश...

सवाल : भारतीय न्याय संहिता में पहली बार कौन सी धारा जोड़ी गई हैं ?

पहली बार मॉब लिचिंग की धारा जोड़ी गई है. इसमें मृत्यु पर धारा 103 (2) में मुकदमा दर्ज होगा. इस मामले में मृत्युदंड तक का प्रावधान है. महिला और बाल अपराध के मामले में पुलिस को अधिकतम 60 दिन में विवेचना पूरी करनी होगी.

सवाल : क्या गिरफ्तारी का वीडियो बनाना जरुरी है ?

जवाब : हां गिरफ्तारी और जब्ती की पुलिस वीडियो रिकार्डिंग करेगी, बिना वीडियो रिकॉर्डिंग गिरफ्तारी और जब्ती संदिग्ध मानी जाएगी.

सवाल : नए कानून में एफएसएल की क्या भूमिका रहेगी ?

जवाब : नए कानूनों में फोरेंसिक की काफी अहमियत है, और सात साल से अधिक सजा वाले सभी अपराधों में फोरेंसिक साक्ष्य जुटाने अनिवार्य हो जाएगा.

सवाल : एफआईआर को दर्ज करने को लेकर क्या परिवर्तन हुआ है ?

जवाब : नए कानून के अनुसार पुलिस को शिकायत मिलने के तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करनी अनिवार्य होगी. एफआईआर दर्ज करने के बाद पीड़ित के मुकदमे को लेकर प्रगति के बारे में एसएमएस या फिर अन्य माध्यमों से 90 दिनों के अंदर जानकारी दी जाएगी.

सवाल : कौन-कौन सी धारा को एक साथ समायोजित किया गया है ?

जवाब : तीन धाराएं एक में ही समाहित है. आईपीसी में धारा 442 (गृह अतिचार), 445 (गृह भेदन) और 447 (आपराधिक अतिचार के लिए दंड) को भारतीय न्याय संहिता में एक ही धारा 330 बीएनएस में समाहित किया गया है.

इसे भी पढ़ें : व्हाट्सएप, टेलीग्राम और E-mail से भी दर्ज करा सकेंगे FIR, 1 जुलाई से बदल जाएंगे ये नियम - New criminal laws

बदल जाएगी अपराध की पुरानी धाराएं : हत्या में आईपीसी की धारा 302 की जगह न्याय संहिता 2023 की धारा 103(1) लगेगी. दुष्कर्म की धारा 376 की जगह धारा 64(A) और चोरी की धारा 379 की जगह धारा 303 लगाई जाएगी. फ्रॉड की धारा 420 बदल कर 318 हो गई है. धारा बदलने के साथ जांच में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों का महत्व रहेगा. घटनास्थल, गिरफ्तारी और अवैध सामानों की जब्ती में फोटो व वीडियो को काफी महत्व दिया गया है. इसे साक्ष्य के तौर पर पुलिस कोर्ट में प्रस्तुत करेगी. इसके अलावा थानाधिकारीयों को भी केश गवाही के लिए अदालत पेश नहीं होना पड़ेगा. वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से इसे पूरा किया जाएगा. इसके अलावा विभिन्न जांच रिपोर्ट भी ऑनलाइन विवेचनाधिकारी के पास पहुंच जाएगी.

Last Updated : Jul 1, 2024, 8:17 AM IST
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