गरियाबंद: गरियाबंद के मैनपुर स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों ने शासकीय राशि का गबन कर आपस में ही बंदरबांट कर लिया था. इस मामले की जांच के बाद 3 करोड़ 13 लख रुपए की गड़बड़ी की बात सामने आई है. जांच के बाद सोमवार को मैनपुर पुलिस में मैनपुर के तत्कालीन बीएमओ सहित 11 लोगों पर एफआईआर दर्ज की है. इस गड़बड़ी में ट्रेजरी के कर्मचारियों के साथ पिछले कुछ ट्रेजरी अफसर भी शामिल थे. यही कारण है कि पिछले तीन ट्रेजरी अफसर पर भी एफआईआर दर्ज हुई है.
सोची समझी थी साजिश: जानकारी के मुताबिक सोची समझी साजिश के तहत ये घोटाला किया गया. रणनीति के तहत विभिन्न अधिकारियों, कर्मचारियों के लंबित वेतन, समयमान वेतनमान, एरियर्स, क्रमोन्नति वेतनमान, एरियर्स, इ्रक्रीमेंट एरियर्स के दस्तावेज तैयार किए गए थे. राशि को संबंधित कर्मचारियों के खाते में ट्रांसफर करने के बजाय बैंक से मिलीभगत कर कैश कर लिया गया और सभी कर्मचारयों ने आपस में राशि बांट ली.गड़बड़ी की अधिकांश राशि तो बीएमओ मैनपुर के ऑफिस के करंट अकाउंट में जमा होती थी. रकम कई कर्मचारियों के खाते में ट्रांसफर होती थी.शिकायत मिलने पर जिला कलेक्ट्रेट की ओर से जांच टीम बनाई गई. जांच में तत्कालीन बीएमओ के साथ तीन ट्रेजरी अफसर सहित 11 लोगों की मिलीभगत पाई गई. सभी पर एफआईआर दर्ज किया गया है.
इन आरोपियों पर दर्ज हुई हुआ केस: मिली जानकारी के मुताबिक मामले में गरियाबंद स्थित मैनपुर के बीएमओ गजेंद्र ध्रुव के रिपोर्ट द्वारा मैनपुर थाने के तत्कालीन जिला कोषालय अधिकारी गुरुवेंद्र साव, तत्कालीन बीएमओ के के नेगी, लिपिक वीरेंद्र भंडारी, के के दुबे , संतोष कोमरा, भोजराम दीवान, वीरेंद्र भंडारी,जीसी कुर्रे पर एफआईआर दर्ज किया गया है. साथ ही वाहन चालक भारत नंदे, वार्ड बॉय विनोद ध्रुव और लुकेश चतुर्वेदी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है. इन आरोपियों के खिलाफ धारा 467, 420, 409, 471और 120 बी के तहत अपराध दर्ज किया गया है. आगे की कार्रवाई की जा रही है.
मामले में हैरान करने वाली बात ये है कि कोषालय के ऑडिट में बंन्दरबांट के रकम पर अब तक आपत्ति क्यों नहीं हुई? मामले में अब जिला प्रशासन के कोषालय के उस बजट की भी जांच की जाएगी, जिस मद से बेधड़क रकम जारी कर बंदरबांट किया जाता रहा.