लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में 8 जुलाई से शुरू हुई ऑनलाइन अटेंडेंस के आदेश को रद्द करने की मांग को लेकर शिक्षक शिक्षामित्र अनुदेशक कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन भेजा है. सोमवार को संयुक्त मोर्चा के तत्वावधान में सैकड़ों शिक्षकों, कर्मचारियों व शिक्षामित्र ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा.
इस अवसर पर संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारी का कहना है कि महानिदेशक स्कूल शिक्षा के 18 जून व 5 जुलाई 2024 के आदेश के माध्यम से प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षकों की ऑनलाइन डिजिटल उपस्थिति का आदेश दिया गया है. यह पूरी तरह से अव्यवहारिक है. इस आदेश को लागू करने के लिए शिक्षकों पर दंडात्मक कार्रवाई की भी धमकी दी जा रही है.
संयुक्त मोर्चा का कहना है कि अधिकारियों ने बंद कमरों में बैठकर ऐसा अव्यवहारिक आदेश जारी करने से पहले शिक्षक प्रतिनिधियों से बात कर लेना भी जरूरी नहीं समझा कि ऑनलाइन उपस्थिति में जमीनी स्तर पर क्या-क्या समस्याएं शिक्षकों के सामने आ सकती हैं. इस समय सरकार को इस विषय पर नए सिरे से सोचने की जरूरत है. तत्काल प्रभाव से ऑनलाइन उपस्थिति के आदेश को रद्द कर देना चाहिए.
संयुक्त मोर्चा के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि प्रदेश में बहुत से ऐसे क्षेत्र आज भी हैं, जहां कोई भी नेटवर्क नहीं आता है. प्रदेश के बहुत विद्यालय ऐसी जगह पर स्थित हैं, जहां पहुंचने के लिए कई बार सवारी बदलनी पड़ती हैं. वहां कि भौतिक स्थिति ऐसी है कि बरसात के मौसम में जलभराव हो जाता है. इसके बावजूद भी प्रदेश के इन विद्यालयों में आज भी शिक्षकों को पैदल या फिर अपने साधन से पहुंचना होता है. ऐसे में कॉन्वेंट विद्यालय और अन्य सरकारी विद्यालयों की तुलना करना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे विद्यालय में भौतिक सुविधाओं का काफी अभाव है.
जिलाध्यक्ष ने कहा कि हमारा उद्देश्य विभागीय कार्यों में अवरोध उत्पन्न करना नहीं है. हमारे बेसिक शिक्षक, शिक्षामित्र, अनुदेशक विपरीत परिस्थितियों में शिक्षण कार्य से हटकर विभागीय कार्यों में सहयोग करते हैं. निर्वाचन आयोग कई बार कह चुका है कि बेसिक शिक्षक अन्य विभागों से बेहतर कार्य को अंजाम देते हैं. पिछले कई वर्षों से बेसिक शिक्षक अपने व्यक्तिगत मोबाइल, सिम, डाटा आदि से विभागीय कार्यों में सहयोग न कर रहे हैं. शिक्षक अगर सहयोग नहीं करते तो सरकार की डीबीटी जैसी महत्वपूर्ण योजना जमीन पर नहीं उतर पाती, साथ ही बिना कनवर्टर कास्ट व बिना किसी लालच के कभी एमडीएम बाधित नहीं हुआ. इसके बावजूद शिक्षकों की कर्तव्य निष्ठा पर संदेह कर उन्हें अपमानित करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री से अपनी 7 सूत्रीय मांगों पर विचार करने और उन्हें पूरा करने की मांग करते हैं.
संयुक्त मोर्चा ने यह सात प्रमुख मांगें जो मुख्यमंत्री के सामने रखी हैं...
- ऑनलाइन डिजिटल उपस्थित शिक्षकों की सेवा के परिस्थितियों के दृष्टिगत अव्यावहारिक है, नियमों व सेवा शर्तों के विपरीत है, इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए.
- सभी परिषदीय शिक्षक शिक्षणेत्तर कर्मियों को अन्य कर्मचारियों की तरह प्रतिवर्ष 30 अर्जित अवकाश, हाफ डे सीएल, अवकाश अवधि में विभागीय सरकारी कार्य के लिए बुलाने पर समायोजन अवकाश अवश्य प्रदान किया जाए, अर्जित अवकाश की व्यवस्था न होने से शिक्षक विवाह, 13 दिवसीय संस्कार, परिजन के अस्पताल में भर्ती आदि जैसी समस्या में कौन सा अवकाश लेंगे.
- समस्त शिक्षक कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाल की जाए, क्योंकि हमारे कई शिक्षक साथी सेवानिवृत्त हुए हैं जिनकी पेंशन मात्र 1 हजार से ₹2000 बन रही है, ऐसे में उनका बुढ़ापा इतने कम पेंशन में कैसे कटेगा.
- सभी विद्यालयों में प्रधान अध्यापक का पद बहाल करते हुए वर्षों से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया जल्दी पूरी की जाए, पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों को पदोन्नति तिथि से ग्रेड पे के अनुरूप न्यूनतम मूल वेतन 17140/18150 निर्धारित किया जाए, साथ ही शिक्षकों को उनके मूल जनपद में स्थानांतरण का मौका दिया जाए.
- शिक्षामित्र अनुदेशक जो वर्षों से कम मानदेय पर विभाग को पूर्ण कालिक सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें नियमित किया जाए और जब तक यह कार्य पूर्ण नहीं होता. सामान्य कार्य सामान्य वेतन के आधार पर मानदेय निर्धारित किया जाए, बिहार की तरह चिकित्सीय अवकाश का लाभ भी उन्हें दिया जाए.
- आरटीआई एक्ट 2009 व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, परिषदीय शिक्षकों को समस्त गैर शैक्षणिक कार्यों से तत्काल मुक्त किया जाए, ऐसे कार्यों की बहुत लंबी लिस्ट है. साल भर चलने वाले बीएलओ, एमडीएम सभी ऑनलाइन कर आदि इसी कैटेगरी में आते हैं.
- सभी परिषदीय शिक्षकों शिक्षामित्र अनुदेशकों को सामूहिक बीमा प्रीमियम मुक्त कैशलेस चिकित्सा सुविधा कल लाभ दिया जाए.