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दुमका के हजारों लोग कूड़े-कचरे के बीच रहने को मजबूर, विधायक के आश्वासन के बाद बढ़ी उम्मीदें - LIVING WITH GARBAGE

दुमका के बक्शी बांध क्षेत्र में हजारों लोग कूड़े-कचरे के बीच में रह रहे हैं, जिसके चलते कई लोग बीमार भी पड़ गये हैं.

LIFE IN HEAPS OF GARBAGE
दुमका के बक्शी बांध क्षेत्र में कूड़े-कचरे का ढेर (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 30, 2024, 7:51 PM IST

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका के शहरी क्षेत्र के बीचोबीच एक इलाका है बक्शी बांध, यहां हजारों लोग निवास करते हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सभी लोग कूड़े - कचरे के पहाड़ के बीच रहने को विवश हैं. इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए जिला प्रशासन ने लगभग 12 करोड़ रुपए खर्च भी किये पर आज भी स्थिति ज्यों की त्यों है.

प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस संबंधी बीमारियां

दरअसल दुमका के बक्शीबांध इलाके में वर्षों से नगर परिषद द्वारा शहरी क्षेत्र का कूड़ा डंप किया जाता है. पिछले तीन-चार दशकों से आसपास के इलाके में हजारों लोगों ने अपने मकान बना लिए हैं. यहां रहने वाले लोगों को कूड़ा डंपिंग की वजह से जब परेशानी होने लगी तो उन्होंने सामूहिक तौर पर मांग शुरू की है कि इस कचरा डंपिंग यार्ड को शिफ्ट किया जाए. इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने जिला प्रशासन, नगर परिषद के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों के सामने अपनी बात रखी. कई बार सड़क जाम और अन्य तरह के आंदोलन के जरिए से भी अपनी मांगे रखीं पर उन्हें सिर्फ आश्वासन से ही संतोष करना पड़ा.

दुमका के बक्शी बांध क्षेत्र में लोग कचरे के बीच जीने को मजबूर (ETV Bharat)

इस कचरे के डंपिंग यार्ड की वजह से इस इलाके की बड़ी आबादी को श्वसन संबंधी बीमारियां हो रही हैं. यहां रहने वाले उमेश ठाकुर ने बताया कि वह खुद हृदय रोग के शिकार हो चुके हैं. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कई ऐसे लोग थे जिनकी इसी तरह की बीमारियों की वजह से मौत भी हो चुकी है.

यहां रहने वाले संतोष चौधरी ने कहा कि वर्षों से हम लोग समस्या के समाधान की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि परेशानी उस वक्त ज्यादा बढ़ जाती है जब असामाजिक तत्वों के द्वारा इस कचरे के पहाड़ में आग लगा दी जाती है और प्रदूषित धुएं की वजह से जीना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने कहा कि आज तक इस पर कोई ठोस पहल नहीं हुई. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि हाल ही में स्थानीय विधायक बसंत सोरेन हमारे इलाके में वोट की अपील करने आए थे तो हमने उनसे अपनी समस्या रखी है, उन्होंने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

12 करोड़ की लागत से ली गयी थी जमीन, पर नहीं हुआ समस्या का समाधान

यहां खास बात यह है कि इस कचरे के डंपिंग यार्ड को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए कुछ वर्ष पूर्व जिला प्रशासन के द्वारा सदर प्रखंड के ठाड़ी गांव में 12 करोड़ की लागत से एक भूखंड अधिग्रहित किया गया था. काफी खर्च कर उसमें बाउंड्री वॉल भी बनाया गया पर वहां डंपिंग यार्ड को शिफ्ट नहीं किया गया. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि जल्द से जल्द ठाड़ी गांव में इसे शिफ्ट कराया जाए.

क्या कहते हैं नगर परिषद के अधिकारी

इस पूरे मामले पर दुमका नगर परिषद के अधिकारी शीतांशु खलको से फोन पर बात की गई, उन्होंने कहा कि लोगों की इस समस्या के समाधान के लिए स्वच्छ भारत अभियान के तहत आवश्यक पहल की जा रही है. उन्होंने आश्वासन दिया कि एक से डेढ़ साल के अंदर वहां रहने वाले लोगों को इस कचरे के ढेर से मुक्ति मिल जाएगी.

एक बड़ा सवाल कब होगा समस्या का समाधान

हजारों लोग वर्षों से परेशान हैं, इधर दुमका नगर परिषद के साथ-साथ स्थानीय विधायक बसंत सोरेन ने भी समाधान की बात कही है तो देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कब तक बक्शी बांध इलाके के लोगों को राहत मिलती है.

ये भी पढ़ें-

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देवघर में कचरा गोदाम में लगी भीषण आग, काफी मशक्कत के बाद पाया गया काबू

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका के शहरी क्षेत्र के बीचोबीच एक इलाका है बक्शी बांध, यहां हजारों लोग निवास करते हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सभी लोग कूड़े - कचरे के पहाड़ के बीच रहने को विवश हैं. इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए जिला प्रशासन ने लगभग 12 करोड़ रुपए खर्च भी किये पर आज भी स्थिति ज्यों की त्यों है.

प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस संबंधी बीमारियां

दरअसल दुमका के बक्शीबांध इलाके में वर्षों से नगर परिषद द्वारा शहरी क्षेत्र का कूड़ा डंप किया जाता है. पिछले तीन-चार दशकों से आसपास के इलाके में हजारों लोगों ने अपने मकान बना लिए हैं. यहां रहने वाले लोगों को कूड़ा डंपिंग की वजह से जब परेशानी होने लगी तो उन्होंने सामूहिक तौर पर मांग शुरू की है कि इस कचरा डंपिंग यार्ड को शिफ्ट किया जाए. इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने जिला प्रशासन, नगर परिषद के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों के सामने अपनी बात रखी. कई बार सड़क जाम और अन्य तरह के आंदोलन के जरिए से भी अपनी मांगे रखीं पर उन्हें सिर्फ आश्वासन से ही संतोष करना पड़ा.

दुमका के बक्शी बांध क्षेत्र में लोग कचरे के बीच जीने को मजबूर (ETV Bharat)

इस कचरे के डंपिंग यार्ड की वजह से इस इलाके की बड़ी आबादी को श्वसन संबंधी बीमारियां हो रही हैं. यहां रहने वाले उमेश ठाकुर ने बताया कि वह खुद हृदय रोग के शिकार हो चुके हैं. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कई ऐसे लोग थे जिनकी इसी तरह की बीमारियों की वजह से मौत भी हो चुकी है.

यहां रहने वाले संतोष चौधरी ने कहा कि वर्षों से हम लोग समस्या के समाधान की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि परेशानी उस वक्त ज्यादा बढ़ जाती है जब असामाजिक तत्वों के द्वारा इस कचरे के पहाड़ में आग लगा दी जाती है और प्रदूषित धुएं की वजह से जीना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने कहा कि आज तक इस पर कोई ठोस पहल नहीं हुई. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि हाल ही में स्थानीय विधायक बसंत सोरेन हमारे इलाके में वोट की अपील करने आए थे तो हमने उनसे अपनी समस्या रखी है, उन्होंने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

12 करोड़ की लागत से ली गयी थी जमीन, पर नहीं हुआ समस्या का समाधान

यहां खास बात यह है कि इस कचरे के डंपिंग यार्ड को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए कुछ वर्ष पूर्व जिला प्रशासन के द्वारा सदर प्रखंड के ठाड़ी गांव में 12 करोड़ की लागत से एक भूखंड अधिग्रहित किया गया था. काफी खर्च कर उसमें बाउंड्री वॉल भी बनाया गया पर वहां डंपिंग यार्ड को शिफ्ट नहीं किया गया. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि जल्द से जल्द ठाड़ी गांव में इसे शिफ्ट कराया जाए.

क्या कहते हैं नगर परिषद के अधिकारी

इस पूरे मामले पर दुमका नगर परिषद के अधिकारी शीतांशु खलको से फोन पर बात की गई, उन्होंने कहा कि लोगों की इस समस्या के समाधान के लिए स्वच्छ भारत अभियान के तहत आवश्यक पहल की जा रही है. उन्होंने आश्वासन दिया कि एक से डेढ़ साल के अंदर वहां रहने वाले लोगों को इस कचरे के ढेर से मुक्ति मिल जाएगी.

एक बड़ा सवाल कब होगा समस्या का समाधान

हजारों लोग वर्षों से परेशान हैं, इधर दुमका नगर परिषद के साथ-साथ स्थानीय विधायक बसंत सोरेन ने भी समाधान की बात कही है तो देखना दिलचस्प होगा कि आखिर कब तक बक्शी बांध इलाके के लोगों को राहत मिलती है.

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