अजमेर. हिंदुओं के बड़े धार्मिक स्थल पुष्कर में शुक्रवार को मौनी अमावस्या के दिन पवित्र सरोवर में पूजा-अर्चना और स्नान का दौर जारी रहा. कई श्रद्धालुओं ने आज के दिन मौन रहकर व्रत भी किया. पुष्कर सरोवर के 52 घाटों पर मेले जैसा माहौल रहा. हजारों लोगों ने पुष्कर सरोवर में आस्था की डुबकी लगाई. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सरोवर के घाटों पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम भी किए गए.
तीर्थ पुरोहित पंडित हरि गोपाल चुंडावत ने बताया कि माघ मास की मौनी अमावस को मौन व्रत रखा जाता है. उन्होंने बताया कि मौनी अमावस्या पर यहां श्राद्ध कर्म करने से पितरों को शांति मिलती है और जातक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि "पुष्कर सभी तीर्थ का गुरु है, गंगा सभी तीर्थों की मां है और प्रयागराज सभी तीर्थों का राजा है. मौनी अमावस्या पर हर व्यक्ति को 1 घंटे मौन रहकर श्री हरि का स्मरण करना चाहिए, इससे शुभफल मिलता है. पुष्कर तीर्थ में जो भी धार्मिक कर्म करता है, उसको फल जरुर मिलता है. यही वजह है कि मौनी अमावस्या पर पुष्कर तीर्थ के सरोवर में श्रद्धालुओं ने तीर्थ स्नान करके पितरों के निमित्त श्राद्ध कर्म किए."
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पितृ दोष का होता है निवारण : तीर्थ पुरोहित पंडित मधुसूदन बताते हैं कि मौनी अमावस्या पर मौन रहकर ही व्रत किया जाता है. पुष्कर तीर्थ में मौनी अमावस्या पर पित्र दोष निवारण के लिए अनुष्ठान किए गए. दिन भर पुष्कर के पवित्र घाटों पर आने वाले श्रद्धालुओं ने अपने पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करवाए. उन्होंने कहा कि मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का ही महत्व है.