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इन गर्मियों में हिमाचल के जंगलों में आग की 2708 घटनाएं आईं सामने, 8 लोगों पर हुई FIR - forest fire in Himachal

forest fire in Himachal: गर्मियों के सीजन में आग की 2708 घटनाएं सामने आई हैं. 01 जनवरी, 2024 से 30 जून, 2024 तक प्रदेश में जंगलों में आगजनी के छह मामलों में एफआईआर पंजीकृत की गई, जिनमें 8 व्यक्तियों की संलिप्तता पाई गई है, जिनकी छानबीन जारी है.

फाइल फोटो
फाइल फोटो (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 22, 2024, 6:06 PM IST

शिमला: गर्मियों के मौसम में प्रदेश के जंगलों में आग लगने की घटनाओं से वन संपदा का भारी नुकसान होता है. विधानसभा के मानसून सत्र में जंगलों में लगने वाली आग और दोषियों पर की गई कार्रवाई के साथ आग की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में पूछा गया था,

सरकार ने अपने जवाब में कहा कि दिनांक 01 जनवरी, 2024 से 30 जून, 2024 तक प्रदेश के जंगलों में आगजनी की कुल 2708 घटनाएं दर्ज हुई हैं. इन घटनाओं में किसी भी व्यक्ति की जान नहीं गई है. मुख्य वन्य प्राणियों जैसे कि तेदुआ, भालू, सांभर, हिरण आदि व मुख्य पक्षियों जैसे कि मोर, मोनाल, जुजुराना आदि की जान वनों की आग से नहीं गई है. अन्य निम्न व सुक्ष्म जीव-जन्तुओं की जान, जाने के बारे आंकलन नहीं किया जाता है. 01 जनवरी, 2024 से 30 जून, 2024 तक प्रदेश में जंगलों में आगजनी के छह मामलों में एफआईआर पंजीकृत की गई, जिनमें 8 व्यक्तियों की संलिप्तता पाई गई है, जिनकी छानबीन जारी है.

जिलाजंगलों में आग लगाने में संलिप्त व्यक्तियों की संख्या
सोलन 1
चंबा2
हमीरपुर1
कांगड़ा 3
शिमला1
कुल8

1096 किलोमीटर लंबी फायर लाइन को किया जाता है साफ

वन अग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिए वन विभाग वन अग्नि रोकथाम एवं नियंत्रण मार्गदर्शिका, 2018 में निहित दिशा निर्देशानुसार उपाय कर रहा है. फायर सीजन शुरू होने से पहले राज्य भर में वन विभाग ने करीब 8768 हेक्टेयर वन भूमि में कंट्रोल बर्निंग करता है, जिससे ईंधन भार को कम करने व जंगल की आग की घटना और तीव्रता को कम करने में सहायता मिलती है. जंगल की आग को फैलने से रोकने के लिए राज्य के सड़क नेटवर्क में चीड़ ( पाईन) की पत्तियों के ढेर को सक्रिय रूप से हटा दिया जाता है. वन विभाग राज्य के विभिन्न हिस्सों में आग को फैलने से रोकने के लिए लगभग 1096 किलोमीटर लंबी फायर लाइनों को साफ करता है.

SMS से भेजी जाती है आग लगने की सूचना

हिमाचल प्रदेश वन विभाग जंगल की आग से निपटने के लिए अग्निशमन उपकरणों से लैस है. ब्रिकेट बनाने वाली चीड़ पाइन की पत्तियों का उपयोग करने वाले उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है. भारतीय वन सर्वेक्षण ने फायर अलर्ट मैसेजिंग सिस्टम पर फील्ड स्टाफ का पंजीकरण किया है, जिससे सम्बंधित अधिकारी/ फील्ड स्टाफ के मोबाइल पर आग लगने की सूचना SMS के माध्यम से तुरंत भेजी जाती है. सड़कों को साफ करने, मलबा हटाने और जंगलों में ईंधन का भार कम करने के लिए 1496 फायर वॉचर्स लगाए हैं.

24 घंटे चालू रहते हैं हेल्पलाइन नंबर

स्थानीय लोगों की ओर से जंगल की आग की घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए राज्य स्तर पर राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष टोल फ्री नंबर 1077 और जिला स्तर पर 1070 नियंत्रण कक्ष में केंद्र खोले गए है, जोकि 24X7 घंटे चालू रखे जाते हैं. इसके साथ ही आग पर काबू पाने के लिए कुछ उपकरणों का भी सहारा लिया जाता है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के इस जिले में नहीं आया दुष्कर्म का एक भी मामला, जानिए किस जिले में हुए कितने अपराध

ये भी पढ़ें: कुल्लू में 2 सालों में NDPS के कितने केस दर्ज, कितने नशा तस्करों की हुई गिरफ्तारियां?

ये भी पढ़ें: हिमाचल के कितने गांव में नहीं है मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी ? आखिर क्या कर रही है सरकार

शिमला: गर्मियों के मौसम में प्रदेश के जंगलों में आग लगने की घटनाओं से वन संपदा का भारी नुकसान होता है. विधानसभा के मानसून सत्र में जंगलों में लगने वाली आग और दोषियों पर की गई कार्रवाई के साथ आग की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में पूछा गया था,

सरकार ने अपने जवाब में कहा कि दिनांक 01 जनवरी, 2024 से 30 जून, 2024 तक प्रदेश के जंगलों में आगजनी की कुल 2708 घटनाएं दर्ज हुई हैं. इन घटनाओं में किसी भी व्यक्ति की जान नहीं गई है. मुख्य वन्य प्राणियों जैसे कि तेदुआ, भालू, सांभर, हिरण आदि व मुख्य पक्षियों जैसे कि मोर, मोनाल, जुजुराना आदि की जान वनों की आग से नहीं गई है. अन्य निम्न व सुक्ष्म जीव-जन्तुओं की जान, जाने के बारे आंकलन नहीं किया जाता है. 01 जनवरी, 2024 से 30 जून, 2024 तक प्रदेश में जंगलों में आगजनी के छह मामलों में एफआईआर पंजीकृत की गई, जिनमें 8 व्यक्तियों की संलिप्तता पाई गई है, जिनकी छानबीन जारी है.

जिलाजंगलों में आग लगाने में संलिप्त व्यक्तियों की संख्या
सोलन 1
चंबा2
हमीरपुर1
कांगड़ा 3
शिमला1
कुल8

1096 किलोमीटर लंबी फायर लाइन को किया जाता है साफ

वन अग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिए वन विभाग वन अग्नि रोकथाम एवं नियंत्रण मार्गदर्शिका, 2018 में निहित दिशा निर्देशानुसार उपाय कर रहा है. फायर सीजन शुरू होने से पहले राज्य भर में वन विभाग ने करीब 8768 हेक्टेयर वन भूमि में कंट्रोल बर्निंग करता है, जिससे ईंधन भार को कम करने व जंगल की आग की घटना और तीव्रता को कम करने में सहायता मिलती है. जंगल की आग को फैलने से रोकने के लिए राज्य के सड़क नेटवर्क में चीड़ ( पाईन) की पत्तियों के ढेर को सक्रिय रूप से हटा दिया जाता है. वन विभाग राज्य के विभिन्न हिस्सों में आग को फैलने से रोकने के लिए लगभग 1096 किलोमीटर लंबी फायर लाइनों को साफ करता है.

SMS से भेजी जाती है आग लगने की सूचना

हिमाचल प्रदेश वन विभाग जंगल की आग से निपटने के लिए अग्निशमन उपकरणों से लैस है. ब्रिकेट बनाने वाली चीड़ पाइन की पत्तियों का उपयोग करने वाले उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है. भारतीय वन सर्वेक्षण ने फायर अलर्ट मैसेजिंग सिस्टम पर फील्ड स्टाफ का पंजीकरण किया है, जिससे सम्बंधित अधिकारी/ फील्ड स्टाफ के मोबाइल पर आग लगने की सूचना SMS के माध्यम से तुरंत भेजी जाती है. सड़कों को साफ करने, मलबा हटाने और जंगलों में ईंधन का भार कम करने के लिए 1496 फायर वॉचर्स लगाए हैं.

24 घंटे चालू रहते हैं हेल्पलाइन नंबर

स्थानीय लोगों की ओर से जंगल की आग की घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए राज्य स्तर पर राज्य आपदा नियंत्रण कक्ष टोल फ्री नंबर 1077 और जिला स्तर पर 1070 नियंत्रण कक्ष में केंद्र खोले गए है, जोकि 24X7 घंटे चालू रखे जाते हैं. इसके साथ ही आग पर काबू पाने के लिए कुछ उपकरणों का भी सहारा लिया जाता है.

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