अलवर. जिले की रामगढ़ तहसील की पुरानी बिल्डिंग में तहसीलदार उमेश चंद शर्मा के चेंबर में लगी लकड़ी की गाटर गिरने और तहसीलदार के घायल होने के बाद से कर्मचारियों में भय का माहौल है. गुरुवार को तहसील के कर्मचारी अपने दफ्तर में बैठने से भी डरे. क्योंकि तहसीलदार के साथ बुधवार को हुई घटना के बाद सभी तहसीलों के कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है.
आजादी से पूर्व निर्मित इस तहसील कार्यालय भवन को पीडब्ल्यूडी ने जनवरी 2012 में ही जर्जर घोषित कर दिया था. इसके बाद अधिकारी आए और चले गए, लेकिन किसी ने फिर कभी इस पर ध्यान नहीं दिया. बताया जा रहा है कि विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार 24 जनवरी, 2012 को इस भवन को जर्जर घोषित कर देने का पत्र डिस्पैच किया गया. उसके बाद तहसील कार्यालय से कोई पत्र नहीं गया.
घटना के बाद भय इतना है कि आज अधिकारी कार्यालय में अंदर बैठने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. जिसके कारण ज्यादातर कर्मचारी बाहर ही घूमते नजर आए. कोई जरूरी काम आने पर ही कार्यालय में अन्दर जा रहे हैं. तहसील के पास बनी रामगढ़ थाने की बिल्डिंग का निर्माण भी उसी समय का है और उसकी हालत भी जर्जर हो चुकी है. मेंटेनेंस के नाम पर रंग-रोगन ही किया गया है. अगर ऐसा ही चलता रहा, तो कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है.
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रजिस्टर कार्यालय में कार्यरत प्रशासनिक अधिकारी ओम प्रकाश मीणा ने बताया कि तहसीलदार के कमरे में हुई घटना के बाद सभी अधिकारी कर्मचारियों में भय का माहौल है. कमरों की हालत तहसीलदार के कमरे जैसी ही है. कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. वहीं राकेश मीणा ने बताया कि कार्यालय में बैठने में भी डर लग रहा है. क्योंकि कल जो तहसीलदार के साथ हादसा हुआ है, वो किसी के साथ भी हो सकता है. पूरी तहसील की बिल्डिंग की हालत जर्जर हो चुकी है. आए दिन कहीं ना कहीं प्लास्टर गिरता रहता है. पट्टियों की हालत भी जर्जर है. मेंटेनेंस के नाम पर रंग-रोगन करा दिया जाता है.