जयपुर. प्रदेश में टीएसपी, मरुस्थलीय जिलों और दूरस्थ क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों,कर्मचारियों को विशेष भत्ता, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत कार्मिकों को ग्रामीण भत्ता देने की मांग उठाई गई है. राजस्थान के मुख्य सचिव ने हाल ही सभी विभागों को अपने-अपने विभाग के स्थानांतरण पॉलिसी बनाने, स्थानांतरण के लिए प्रावधान किए जाने और सरल-सुगम नीति बनाने के लिए निर्देशित किया. ऐसे में शिक्षकों ने नई पॉलिसी में चिकित्सा शिक्षा की तरह शिक्षा विभाग में विशेष भत्ते देने के प्रावधान तय करने की मांग की है. प्रदेश में इन दिनों विभिन्न विभागों की ओर से अपने-अपने विभाग की स्थानांतरण नीति नियम बनाने का काम चल रहा है. ऐसे में राजस्थान में विषम स्थितियों और अभावग्रस्त 19 जिलों को लेकर चिकित्सा विभाग ने स्थानांतरण पॉलिसी में कुछ विशेष प्रावधान तय किए हैं. चिकित्सा विभाग की ट्रांसफर पॉलिसी के प्रपोजल में अभावग्रस्त जिलों में खाली पदों को भरने के लिए नवाचार पॉलिसी बनाई जा रही है.
इस पॉलिसी में टीएसपी क्षेत्र के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, सलूम्बर, चित्तौड़गढ़, पाली, सिरोही और राजसमंद, इसके अलावा मरूस्थलीय जिले जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, चूरू, नागौर, फलौदी और जालोर में कार्यरत मेडिकोज के लिए इन जिलों में 2 साल तक कार्यरत एमबीबीएस डॉक्टरों को 10% ज्यादा बेसिक पे, विशेषज्ञ चिकित्सकों को 15% और पैरामेडिकल स्टाफ को 10% अधिक बेसिक पे दी जा सकती है. इसके अलावा बारां, बूंदी और झालावाड़ में एमबीबीएस डॉक्टरों को 5% अधिक बेसिक पे, विशेषज्ञ चिकित्सकों को 10% और पैरामेडिकल स्टाफ को 5% ज्यादा बेसिक पे का प्रावधान किया जा सकता है. साथ ही जिन जिलों में सर्वाधिक पद खाली हैं वहां के लिए भी प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किए जाने की संभावना हो सकती है.
शिक्षकों को होती है परेशानी : इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने राजस्थान के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मांग की है कि इसी प्रकार का प्रस्ताव राजस्थान राज्य में शिक्षा विभाग के लिए भी बनाया जाए, क्योंकि लगभग इन्हीं जिलों में शिक्षा विभाग के भी शिक्षक दूरस्थ क्षेत्र में कार्यरत है, जहां पर परिस्थितियां चिकित्सा विभाग से भी बहुत प्रतिकूल है. छोटे-छोटे गांव और ढाणी जहां पर आज भी आवागमन के साधन उपलब्ध नहीं हैं, वहां भी शिक्षक वर्ग अपनी सेवाएं दे रहा है. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में हमेशा से स्थानांतरण बहुत बड़ा विषय रहा है. तृतीय श्रेणी शिक्षकों को विशेष तौर पर खासा परेशानी का सामना करना पड़ता है. आज भी 10-15 साल से ज्यादा समय से तृतीय श्रेणी शिक्षकों का अपने गृह जिले में स्थानांतरण नहीं हो पा रहा, क्योंकि अगर वहां से उनको हटा दिया जाएगा, तो वहां शिक्षकों की कमी हो जाएगी.
ऐसी स्थिति में शिक्षकों को मजबूर होकर वहीं कार्यरत रहना पड़ रहा है, लेकिन इन शिक्षकों को किसी भी तरह का अतिरिक्त भत्ता या वेतन भी नहीं दिया जाता. ऐसे में उन्होंने मांग की कि जब विषम परिस्थितियों में कार्य करते हुए किसी अन्य विभाग के कर्मचारियों को हार्ड ड्यूटी एलाउंस दिए जाने का प्रावधान है, तो शिक्षा विभाग में भी ये प्रावधान किया जाना चाहिए और इसी बजट में शिक्षा विभाग में भी ये प्रावधान तय किए जाने चाहिए.