चित्तौड़गढ़: जिले के चंदेरिया थाना क्षेत्र के बड़ोदिया गांव में पत्नी की आत्महत्या के बाद उठे विवाद से घबराए पति ने शनिवार सुबह आत्महत्या कर ली. चार दिन के भीतर एक के बाद माता-पिता को खोने से दंपती की दो बच्चियों की सदमे से तबीयत बिगड़ गई. मृतक की बहन का आरोप है कि भाभी की मौत के लिए समाज और गांव के पंचों ने उसके परिवार का हुक्का-पानी बंद कर दिया था. इससे परेशान होकर भाई ने भी जीवनलीला समाप्त कर ली.
पति-पत्नी के बीच हुआ था मनमुटाव: शनिवार सुबह 40 वर्षीय दिनेश पुत्र कन्हैया लाल सेन ने आत्महत्या कर ली. ग्रामीणों की सूचना पर सहायक पुलिस उप निरीक्षक सुनील महाजन सहित जाब्ता मौके पर पहुंचे. व्यक्ति की बॉडी को हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया. जानकारी के अनुसार दिनेश और उसकी पत्नी सोनू के बीच किसी बात को लेकर मनमुटाव हुआ था. गुस्से में आकर 4 दिन पहले सोनू ने सुसाइड कर लिया था. इस घटना के बाद से ही पति दिनेश तनाव में था.
दुकानों से सामान मिलना बंद: इसके बाद दिनेश के ससुराल पक्ष, समाज के पंच-पटेल और गांव के पंचों ने शुक्रवार को पंचायती नोहरे में बैठक रखी. जिसमें दिनेश को सोनू की मौत के लिए जिम्मेदार बताते हुए गांव और समाज में उसका हुक्का-पानी बंद करने का फरमान जारी किया गया. उसके परिवार के लोगों को दुकानों से सामान तक मिलना बंद हो गया. इससे दुखी होकर दिनेश ने सुसाइड कर लिया.
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गुनाह कबूल करने डाल रहे थे दबाव: भाई राजकुमार की रिपोर्ट पर पुलिस ने पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सुपुर्द किया. बहन लाड़ देवी का आरोप है कि पंच-पटेलों ने उसके भाई को बुरी तरह से प्रताड़ित किया था, इसलिए तंग आकर उसने आत्महत्या जैसा कदम उठाया. वह एक कंपनी में ठेके पर काम कर रहा था. लेकिन पिछले कुछ दिनों से विवाद के चलते काम पर नहीं जा रहा था. मृतक की बेटी जान्ह्वी ने बताया कि गांव के कुछ लोग मम्मी की मौत के लिए पिता को जिम्मेदार बताते हुए अपना गुनाह कबूल करने का दबाव डाल रहे थे.
पंच-पटेलों पर प्रताड़ित करने का आरोप: सहायक पुलिस उप निरीक्षक सुनील महाजन ने बताया कि बहन द्वारा अलग से पुलिस अधीक्षक के नाम एक रिपोर्ट दी गई है जिसमें उसने समाज और गांव के पंच-पटेलों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. फिलहाल मामले की जांच शुरू की जा रही है. मानवाधिकार संगठन की महिला जिला अध्यक्ष सुनीता शर्मा ने बताया कि माता-पिता के निधन से तीनों ही बच्चों के सामने भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है. जिला प्रशासन को तुरंत प्रभाव से उनकी सुध लेकर उनके बंदोबस्त की व्यवस्था करनी चाहिए.