गोड्डा:जिले की गोड्डा विधानसभा सीट पर इस बार रोचक मुकाबला दिख सकता है. फिलहाल इस सीट पर भाजपा का कब्जा है. हालांकि बाकी सीट पर इंडिया गठबंधन के विधायक हैं. ऐसे में भाजपा की पहली प्राथमिकता है कि किसी तरह से पुरानी सीट को बचाया जाए. गोड्डा सीट से बीजेपी के अमित मंडल लगातार दो बार से विधायक हैं. इससे पूर्व इनके पिता दिवंगत रघुनन्दन मंडल विधायक थे. उनके असामयिक निधन के बाद पहले उपचुनाव जीत अमित मंडल विधायक बने थे, फिर दोबारा चुनाव जीते थे.
अमित और संजय के बीच टक्कर की संभावना
वहीं इस बार के विधानसभा चुनाव में भी इस बात की प्रबल संभावना है कि अमित मंडल को ही भाजपा उम्मीदवार बनाएगी. दूसरी ओर गोड्डा सीट से लगातार तीन बार से संजय यादव चुनाव हारे हैं. बता दें कि संजय यादव दो बार से गोड्डा से राजद की टिकट पर विधायक रह चुके हैं. पिछला चुनाव नजदीकी मुकाबले में 4500 मत से हारे थे. अब तक दोनों के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है. इस बार भी संभावना जताई जा रही है कि इंडिया गठबंधन से ये सीट राजद के खाते में जा सकती है और ऐसा हुआ तो संजय यादव का उम्मीदवार बनना तय है.
जेएलकेएम बना रहा तीसरा कोण
वहीं इस बार गोड्डा विधानसभा सीट पर तीसरा कोण बनाने के लिए लगातार जेएलकेएम सुप्रीमो जयराम महतो सक्रिय हैं. पिछले दिनों जयराम गोड्डा में संकल्प सभा कर चुके हैं. जिसमें काफी भीड़ उमड़ी थी. हालांकि जेएलकेएम की ओर से प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी करने के बाद पार्टी के अंदर विरोध के स्वर उठने लगे हैं. दरअसल, पार्टी की ओर जारी कि गई सूची में परिमल ठाकुर को गोड्डा विधानसभा से जेएलकेएम का उम्मीदवार घोषित किया गया है. ऐसे में पार्टी के अंदर से ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं. इधर, परिमल ठाकुर क्षेत्र में प्रचार अभियान में जुट गए हैं.
महतो समाज बिगाड़ सकता है समीकरण
अब सवाल यह है कि क्या गोड्डा में मुकाबला त्रिकोणीय होगा या फिर सीधा मुकाबला भाजपा के अमित मंडल और राजद के संजय यादव के बीच होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है. लेकिन चर्चा इस बात की भी है कि कोई महतो समाज से नया चेहरा चुनावी मैदान में उतर सकता है.यदि ऐसा हुआ तो कई बड़ी पार्टियों का चुनावी समीकरण बिगड़ सकता है.
क्या कहते हैं जानकार
इस संबंध में गोड्डा के पत्रकार हेमचंद्र कहते हैं कि ज्यादा संभावना है कि मुकाबला भाजपा के अमित मंडल और राजद के बीच हो. उनका कहना है कि क्योंकि जेएलकेएम के प्रत्याशी को खासकर महतो समाज के लोग कुछ खास पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में संभावना है कि वे अपने पुराने घर अर्थात भाजपा के पक्ष में वोट कर सकते हैं. या दूसरी संभावना यह भी है कि पिछले चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे रविन्द्र महतो जो फिलहाल भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं पिछली बार की तरह निर्दलीय या फिर छोटे दल से उम्मीदवार बनकर बीजेपी का खेल बिगाड़ दें.
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