श्रीगंगानगर. ये तस्वीरें जो आप देख रहे हैं. ये उस नहर की है, जिससे इलाके के लोगों को पीने का पानी सप्लाई होता है. इस तरह की तस्वीर एक ही नहर में नहीं, बल्कि लगभग सभी नहरों में देखने को मिलेगी. लोग अपने घरों में पूजा पाठ के बाद बची सामग्री इनमें प्रवाहित कर जाते हैं, जिससे नहरों में प्रदूषण बढ़ रहा है.
यहां लोग पूजन सामग्री के साथ ही देव प्रतिमाएं, चुनरी, नारियल, चूड़ियां और अन्य सामग्री तक नहरों में डाल देते हैं. नहरी पानी में ये वस्तुएं घुल नहीं पाती. ऐसे में जहां एक और पानी प्रदूषित होता है, वहीं दूसरी ओर आस्था का अपमान भी होता है. इसी नहर से जलदाय विभाग पीने के पानी की सप्लाई करता है. इस प्रदूषण को रोकने के लिए ना तो लोग और न ही प्रशासन जागरूक है.
कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. राकेश छाबड़ा की मानें तो पिछले कई सालों से पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है. फ़िल्टर करने के बाद भी पानी पूरी तरह शुद्ध नहीं हो पाता. ऐसे में हम खुद ही अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब की नहरों से आ रहा कैमिकल युक्त पानी और स्थानीय स्तर पर लोगो द्वारा नहरों में डाली जा रही तरह तरह की वस्तुओं के कारण पानी लगातार अशुद्ध हो रहा है.उन्होंने कहा कि यही कारण है कि कैंसर और अन्य बीमारियों के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं और आने वाले समय में स्थिति और विकराल होने वाली है. समाजसेवी प्रदीप झोरड़ ने कहा कि इस बारे में प्रशासन को कई बार कहा गया, लेकिन प्रशासन सुनवाई नहीं होती.फिजिशियन डा. बीबी गुप्ता ने बताया कि इन दिनों गंदा पानी पीने से पीलिया और उल्टी दस्त के मरीज ज्यादा आ रहे हैं. लोगों को सलाह है कि वे पानी को साफ करके ही पिएं.
मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने कहा कि जो सामग्री नहर या पानी में प्रवाहित करने को कहा जाता है, उसमें सिर्फ चावल, पुष्प, पत्तियां और मिट्टी ही होती है, लेकिन लोग मूर्तियां, वस्त्र, नारियल, चूड़ियां और भी अन्य सामग्री डाल देते हैं. लोगों को चाहिए कि इन सब चीजों को जमीन में गाड़ दें. मूर्तियों को नहर में डालने से उनका अपमान ही हो रहा है. ऐसे में लोगों को जागरूक होना होगा. तभी इस समस्या से निजात पाई जा सकती है.