जयपुर: न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुद्दे पर राजस्थान के 45 हजार 537 गांवों में बुधवार को 'गांव बंद' आंदोलन का आह्वान किया गया था. दूदू विधानसभा क्षेत्र में इस बंद का व्यापक असर दिखाई दिया. किसानों ने फल, फूल, सब्जी, दूध और अनाज जैसे उत्पाद गांव से बेचने के लिए बाहर नहीं ले जाए गए. किसानों ने नारेबाजी करते हुए फसलों की एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग की.
ग्रामीणों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी को लेकर पंजाब सीमा पर चल रहे आंदोलन का भी समर्थन किया और गांव का उत्पादन गांव में ही रहने दिया. दूदू कृषि गौण मंडी में दिनभर सन्नाटा छाया रहा. किसानों ने अपने दूध को डेयरी पर नहीं पहुंचाया तो वहीं फल, सब्जियां अनाज को भी शहरों की मंडियों में नहीं भेजा. न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने की मांग को लेकर नारेबाजी की.
राष्ट्रीय किसान महासभा के दूदू विधानसभा क्षेत्र के अध्यक्ष बलदेव महरिया ने बताया कि किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृत्व में यह आंदोलन चलाया गया. बुधवार को दूदू विधानसभा क्षेत्र में फसल, सब्जियां दूध शहरों में नहीं पहुंचाया गया. जिस व्यक्ति को सामान लेना था, वह गांव आया. दूदू विधानसभा क्षेत्र में बंद का पूरा असर दिखाई दिया. किसान सरकार से यूनतम समर्थन मूल्य की मांग कर रहा है. इसको लेकर गांव का उत्पादन गांव में ही रहा.
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार यह कह रहे हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को मिलने वाली मोदी की गारंटी है, लेकिन अभी तक जो गारंटी है, उसको विधानसभा की टेबल पर नहीं पहुंचाया गया है. यह कानून केवल अलमारी तक ही सीमित है, इसलिए सरकार को अब यह कानून को अलमारी से बाहर निकालना होगा.