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छठ महापर्व के कारण बाजार में बढ़ी रौनक, खरीदारी के लिए उमड़ी भीड़

बोकारो के बाजारों में काफी रौनक है उसका कारण है छठ महापर्व. इस पर्व में खरीदार फल खरीदते हैं तथा निर्जला व्रत रखते हैं.

इस पर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है
छठ महापर्व के अवसर पर बोकारो के बाजारों में काफी रौनक (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 6, 2024, 7:07 PM IST

बोकारो: लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ का बाजार सज गया है. बाजार में खरीदारों की भारी भीड़ उमड़ रही है. इस महापर्व पर चारों ओर रौनक ही रौनक देखने को मिल रही है. हालांकि, पिछले अन्य वर्षों के तुलना में स्थानीय लोगों का मानना है कि इस साल पूजन सामग्री की कीमत आसमान छू रही है. इस के बावजूद महंगाई पर आस्था भारी पड़ रही है. इस त्योहार के अवसर पर श्रद्धालु फल, सूप, ढाक और पूजन सामग्री की खरीदारी कर रहे हैं.

छठ महापर्व के अवसर पर बोकारो के बाजारों में काफी रौनक (Etv Bharat)

बोकारो के ढूंढीबाग,चास चेक पोस्ट और मेन रोड में बाजार सज गये हैं. छठ के पारंपरिक लोक गीत, फिजा में अलग ही मिठास घोल रहे हैं. खरीदारों की उमड़ी भीड़ के कारण ट्रैफिक व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इस पर्व में नारियल, गुग्गल नींबू, सेब, केला, संतरा, शरीफा और अमरूद जैसे फलों की काफी मांग रहती है.

इसके अलावा गन्ना और नारियल की भी डिमांड रहती है. महिलाएं सूप, दउरा की जमकर खरीदारी कर रही हैं. कुछ लोग प्रसाद बनाने के लिए चूल्हा और आम की लकड़ी की खरीदारी कर रहे हैं. इस अवसर पर महिलाओं ने बताया कि महंगाई आस्था के पर्व पर भारी नहीं पड़ सकती है. पूजा होनी है तो होगी ही. उन्होंने बताया कि इस पर्व में शुद्धता बहुत मायने रखती है. यह लोक आस्था का पर्व है.

बता दें कि कार्तिक मास की षष्ठी तिथि से छठ पर्व की शुरुआत होती है, जो इस बार 5 नवंबर को हुई है. छठ पर्व का पहला दिन नहाय खाय के साथ शुरू होता है. दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संघ्या अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर यह समाप्त हो जाता है. चार दिन तक चलने वाले इस पर्व में 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा-अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति,समृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है.

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महापर्व छठ के लिए यहां लागत मूल्य पर बेचा जाता है फल, चंदा कर लगाया जाता है बाजार

बोकारो: लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ का बाजार सज गया है. बाजार में खरीदारों की भारी भीड़ उमड़ रही है. इस महापर्व पर चारों ओर रौनक ही रौनक देखने को मिल रही है. हालांकि, पिछले अन्य वर्षों के तुलना में स्थानीय लोगों का मानना है कि इस साल पूजन सामग्री की कीमत आसमान छू रही है. इस के बावजूद महंगाई पर आस्था भारी पड़ रही है. इस त्योहार के अवसर पर श्रद्धालु फल, सूप, ढाक और पूजन सामग्री की खरीदारी कर रहे हैं.

छठ महापर्व के अवसर पर बोकारो के बाजारों में काफी रौनक (Etv Bharat)

बोकारो के ढूंढीबाग,चास चेक पोस्ट और मेन रोड में बाजार सज गये हैं. छठ के पारंपरिक लोक गीत, फिजा में अलग ही मिठास घोल रहे हैं. खरीदारों की उमड़ी भीड़ के कारण ट्रैफिक व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इस पर्व में नारियल, गुग्गल नींबू, सेब, केला, संतरा, शरीफा और अमरूद जैसे फलों की काफी मांग रहती है.

इसके अलावा गन्ना और नारियल की भी डिमांड रहती है. महिलाएं सूप, दउरा की जमकर खरीदारी कर रही हैं. कुछ लोग प्रसाद बनाने के लिए चूल्हा और आम की लकड़ी की खरीदारी कर रहे हैं. इस अवसर पर महिलाओं ने बताया कि महंगाई आस्था के पर्व पर भारी नहीं पड़ सकती है. पूजा होनी है तो होगी ही. उन्होंने बताया कि इस पर्व में शुद्धता बहुत मायने रखती है. यह लोक आस्था का पर्व है.

बता दें कि कार्तिक मास की षष्ठी तिथि से छठ पर्व की शुरुआत होती है, जो इस बार 5 नवंबर को हुई है. छठ पर्व का पहला दिन नहाय खाय के साथ शुरू होता है. दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संघ्या अर्घ्य और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर यह समाप्त हो जाता है. चार दिन तक चलने वाले इस पर्व में 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा-अर्चना और अर्घ्य देने से सुख-शांति,समृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है.

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