जैसलमेर: राष्ट्रीय मरू उद्यान में विलुप्त हो रही सोन चिरैया का कुनबा बढ़ाने का किया जा रहा प्रयास सफल होता दिख रहा है. यहां एक गोडावण ने अपने बच्चे को जन्म दिया. इस गोडावण का कृत्रिम तरीके से गर्भाधान किया गया था. यह प्रयास गोडावण के कुनबे को बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. इससे अब गोडावण संरक्षण के प्रयासों को पंख लग जाएंगे.
राष्ट्रीय मरू उद्यान के डीएफओ आशीष व्यास ने बताया कि जैसलमेर में पिछले चार दशक से गोडावण संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन पहली बार गोडावण ने कृत्रिम गर्भाधान के जरिए चूजे को जन्म दिया है.
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सुखद एवं गौरवपूर्ण समाचार!
— Bhajanlal Sharma (@BhajanlalBjp) October 22, 2024
राजस्थान के जैसलमेर में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। लगातार विलुप्ति की ओर बढ़ती गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) प्रजाति के संरक्षण में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई है, जहाँ कृत्रिम गर्भाधान (आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन) की नवीन तकनीक द्वारा एक स्वस्थ चूजे… pic.twitter.com/k6VmHHsUdR
पहले गोडावण के अंडों को फील्ड से उठाकर सुदासरी के गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में रखा जाता था. यहां कृत्रिम रूप से अंडों से चूजे बाहर निकाले जाते थे, लेकिन इस बार नर गोडावण के स्पर्म को मादा गोडावण में इंजेक्ट किया गया. इसके बाद मादा गोडावण ने अंडा दिया. उस अंडे ने अब एक सुरक्षित चूजे को जन्म दिया है. यह बड़ी खबर है. भारत और राज्य सरकार के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट 'बस्टर्ड रिकवरी प्रोग्राम' के तहत यह बड़ी सफलता हासिल हुई है.
व्यास ने बताया कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के लगातार किए जा रहे प्रयासों में यह बड़ी उपलब्धि है. दूसरी जेनरेशन के गोडावण की आर्टिफिशियल हैचिंग से बहुत बड़ी सफलता मिली है. अब लुप्त हो रही सोनचिरैया को कृत्रिम तरीके से पैदा किया जा सकेगा. इस प्रकार का देश का यह पहला मामला है.