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फास्टैग में बैलेंस के बाद भी दुगनी राशि वसूलने पर टोल कंपनी पर लगाया हर्जाना - Penalty on toll company - PENALTY ON TOLL COMPANY

जयपुर के जिला उपभोक्ता आयोग ने फास्टैग होने के बाद भी टोल कर्मचारियों द्वारा दुगनी राशि लेने के मामले को सेवा दोष माना माना है और टोल प्लाजा पर 12 हजार रुपए हर्जाना लगाया है.

टोल कंपनी पर लगाया हर्जाना
टोल कंपनी पर लगाया हर्जाना (ETV Bharat File Photo)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 3, 2024, 10:04 PM IST

जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग जयपुर-तृतीय ने टोल प्लाजा पर लगी मशीन के फास्टैग रीड नहीं करने और दुगनी राशि नकद वसूलने को सेवा दोष माना है. इसके साथ ही आयोग ने अखैपुरा टोल प्लाजा पर 12 हजार रुपए हर्जाना लगाते हुए उसे निर्देश दिए हैं कि वह परिवादी से वसूले गए 90 रुपए भी लौटाए. आयोग के अध्यक्ष देवेन्द्र मोहन माथुर व सदस्य सीमा शर्मा ने यह आदेश मंजीत सिंह तंवर के परिवाद पर दिए. आयोग ने कहा कि फास्टैग होने के बाद भी यदि टोल कर्मचारियों की ओर से बहस कर यात्रा में देरी की जाती है, तो इसे टोल प्लाजा की सेवाओं में कमी व लापरवाही माना जाएगा.

मामले के अनुसार परिवादी ने अपनी कार का फास्टैग निजी बैंक के जरिए लिया था और उसके फास्टैग अकाउंट में 664 रुपए बैलेंस थे. सीकर हाइवे पर अखैपुरा टोल पर एक तरफ की यात्रा करने पर 60 रुपए टोल वसूली की जाती है और 24 घंटे में ही वापस आने पर 30 रुपए यानि कुल 90 रुपए वसूले जाते हैं. परिवाद में कहा गया कि वह 24 नवंबर 2020 की दोपहर 12.50 बजे टोल बूथ पर गया, तो उसका फास्टैग रीड नहीं हुआ.

इसे भी पढ़ें- ग्राहक को अपार्टमेंट का कब्जा देरी से दिया, रहेजा डेवलपर्स पर 1 लाख रुपए हर्जाना - Jaipur District Consumer Commission

इस पर टोल कर्मचारियों ने उसे कहा कि उसका फास्टैग ब्लैक लिस्ट किया हुआ है और उसे दुगनी राशि देनी होगी, जिस पर उसे मजबूरी में 120 रुपए देने पड़े. वहीं, वापसी में शाम 4.40 बजे जब पहुंचा, तो टोल कर्मचारियों ने उससे 60 रुपए और वसूल लिए. उसने फास्टैग शिकायत नंबर पर शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसे परिवादी ने उपभोक्ता आयोग में चुनौती देते हुए हर्जा-खर्चा दिलवाने का आग्रह किया, जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने टोल प्लाजा पर हर्जाना लगाते हुए अधिक वसूली राशि लौटाने को कहा है.

जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग जयपुर-तृतीय ने टोल प्लाजा पर लगी मशीन के फास्टैग रीड नहीं करने और दुगनी राशि नकद वसूलने को सेवा दोष माना है. इसके साथ ही आयोग ने अखैपुरा टोल प्लाजा पर 12 हजार रुपए हर्जाना लगाते हुए उसे निर्देश दिए हैं कि वह परिवादी से वसूले गए 90 रुपए भी लौटाए. आयोग के अध्यक्ष देवेन्द्र मोहन माथुर व सदस्य सीमा शर्मा ने यह आदेश मंजीत सिंह तंवर के परिवाद पर दिए. आयोग ने कहा कि फास्टैग होने के बाद भी यदि टोल कर्मचारियों की ओर से बहस कर यात्रा में देरी की जाती है, तो इसे टोल प्लाजा की सेवाओं में कमी व लापरवाही माना जाएगा.

मामले के अनुसार परिवादी ने अपनी कार का फास्टैग निजी बैंक के जरिए लिया था और उसके फास्टैग अकाउंट में 664 रुपए बैलेंस थे. सीकर हाइवे पर अखैपुरा टोल पर एक तरफ की यात्रा करने पर 60 रुपए टोल वसूली की जाती है और 24 घंटे में ही वापस आने पर 30 रुपए यानि कुल 90 रुपए वसूले जाते हैं. परिवाद में कहा गया कि वह 24 नवंबर 2020 की दोपहर 12.50 बजे टोल बूथ पर गया, तो उसका फास्टैग रीड नहीं हुआ.

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इस पर टोल कर्मचारियों ने उसे कहा कि उसका फास्टैग ब्लैक लिस्ट किया हुआ है और उसे दुगनी राशि देनी होगी, जिस पर उसे मजबूरी में 120 रुपए देने पड़े. वहीं, वापसी में शाम 4.40 बजे जब पहुंचा, तो टोल कर्मचारियों ने उससे 60 रुपए और वसूल लिए. उसने फास्टैग शिकायत नंबर पर शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसे परिवादी ने उपभोक्ता आयोग में चुनौती देते हुए हर्जा-खर्चा दिलवाने का आग्रह किया, जिस पर सुनवाई करते हुए आयोग ने टोल प्लाजा पर हर्जाना लगाते हुए अधिक वसूली राशि लौटाने को कहा है.

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