राजसमंद. जिले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) प्रकरण के विशिष्ट न्यायाधीश अभिलाषा शर्मा ने चारभुजा थाना क्षेत्र में बहुचर्चित लूट, डकैती एवं सामूहिक दुष्कर्म के मामले में 6 आरोपियों को मृत्यु पर्यंत (आखिरी सांस तक) आजीवन कारावास से दंडित किया है. साथ ही आरोपियों को 84 हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है.
विशिष्ट लोक अभियोजक राजकिशोर ब्रजवासी ने बताया कि चारभुजा थाना क्षेत्र के एक गांव में एक मकान में एक हिस्से में मकान मालिक का परिवार और दूसरे हिस्से में एक दर्जन से ज्यादा मजदूर रहते थे. 13 दिसंबर 2018 की रात छह आरोपी नकाब पहनकर घर के अंदर घुसे और सरिये, लाठी से मारपीट कर सभी लोगों के हाथ बांध दिए और घर में लूट की वारदात को अंजाम दिया. साथ ही घर की एक महिला को कमरे से बाहर घसीटकर लाए और पति व परिवार के सामने सामूहिक दुष्कर्म किया.
दुष्कर्म और लूट के बाद सभी छह आरोपी उस मकान मालिक को भी साथ ले गए, ताकि गांव के अन्य लोगों के घर का दरवाजा आसानी से खुलवाया जा सके. आरोपी जैसे ही गोपाल सिंह के मकान के बाहर पहुंचे और दरवाजा खटखटाया, लेकिन बाहर कई लोगों के खड़े होने से दरवाजा नहीं खोला. इसके बाद दो आरोपी छत पर चढ़कर मकान में घुसे और अन्य आरोपी भी मुख्य दरवाजे से अंदर आ गए. फिर गोपालसिंह से भी मारपीट करते हुए घर में लूट की वारदात को अंजाम दिया. इसके बाद आरोपी फरार हो गए.
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घटना के बाद पीड़ितों ने चारभुजा थाने में सूचना दी. इस पर कुंभलगढ़ के तत्कालीन पुलिस उप अधीक्षक मंजीतसिंह शक्तावत पुलिस टीम के साथ घटना स्थल पर पहुंचे. पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए लूट, सामूहिक दुष्कर्म की वारदात का पर्दाफाश करते हुए छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. बाद में प्रकरण की जांच तत्कालीन डीएसपी नरपतसिंह द्वारा की गई और न्यायालय में चालान पेश किया गया. न्यायालय ने इसे गंभीर व घृणित अपराध मानते हुए सभी छह आरोपियों को सामूहिक दुष्कर्म, लूट का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. साथ ही 84 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है. कोर्ट ने इस मामले में गणेश उर्फ खंडिया निवासी भादसोड़ा, गणेश निवासी ओडवालिया, वदन उर्फ मदन भादसोड़ा, लोकेश उर्फ लोगर निवासी साकरोदा, सुरेश निवासी एकलिंगपुरा व लोकेश उर्फ लोगर निवासी घासा उदयपुर को सजा सुनाई है.
न्यायालय ने की कड़ी टिप्पणी : लूट, चोरी, मारपीट व सामूहिक दुष्कर्म के जघन्य मामले में फैसले के दौरान एससी-एसटी कोर्ट की न्यायाधीश अभिलाषा शर्मा ने कड़ी टिप्पणी की. न्यायाधीश ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ दर्ज प्रकरण, सजा के तथ्यों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि आरोपी अपराधिक प्रवृत्ति के हैं, जो अपराध के आदी हैं और उनके खिलाफ कई प्रकरण लंबित हैं. आरोपियों को कानून का कोई भय नहीं है. इसलिए आरोपियों के साथ सजा में किसी भी तरह की नरमी न्याय के उद्देश्यों के खिलाफ होगा.