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अंबिकापुर में आवारा कुत्तों का आतंक, मासूम बच्ची को काटा, 10 महीने में 2543 लोग बने शिकार

अंबिकापुर में आवारा कुत्तों का आतंक दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. मंगलवार को कुत्ते ने बच्ची पर जानलेवा हमला कर दिया.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 2 hours ago

Terror of stray dogs
आवारा कुत्तों का आतंक (ETV Bharat)

सरगुजा: शहर में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है. मंगलवार के दिन सड़क से गुजर रही छोटी बच्ची पर कुत्ते ने हमला बोल दिया. गनीमत रही कि उस वक्त मौके से गुजर रहे एक एक शख्स की नजर बच्ची पर पड़ गई. बुजुर्ग की मदद से बच्ची की जान बच गई. कुत्ते के हमले का वीडियो वहां लगे सीसीटीवी में कैद हो गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि आवारा कुत्ते अब लोगों के लिए खतरे का सबब बनते जा रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक हर महीने ढाई सौ लोग कुत्ते के काटने के शिकार हो रहे हैं. बीते दस महीनो में ये आंकड़ा 2543 तक पहुंच चुका है.

हर महीने 250 लोग डॉग बाइट के हो रहे शिकार: दरअसल शहर सहित जिले भर में आवरा कुत्तों की आबादी तेजी से बढ़ी है और लोग इन आवारा कुत्तों के हमले का शिकार हो रहे हैं. कुत्तों के काटने की घटनाएं दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर महीने औसतन 250 लोग कुत्ते के हमले से घायल हो रहे हैं. इनमें से कई लोगों पर कुत्तों ने हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल भी कर दिया है. बावजूद इसके कुत्तों को पकड़ने और उनके वैक्सीनेशन को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है.

रेबीज को लेकर क्या कहते हैं जानकार: इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के डिस्ट्रिक्ट सर्विलेंस ऑफिसर डॉ. शैलेंद्र गुप्ता का कहना है कि कुत्ते या किसी भी जानवर के काटने से होने वाले रेबीज का कोई इलाज अब तक नहीं बना है. एक बार किसी व्यक्ति को रेबीज हो गया तो उसकी मौत निश्चित है. कुत्ते के काटने पर कई बार तीन महीने के बीच रेबीज के लक्षण सामने आते है. कुत्ते का गले के ऊपर के भाग में काटना गंभीर माना जाता है और इसे ग्रेड तीन में गिना जाता है. ऐसी स्थिति में घाव को सिर्फ साबुन पानी से धोने के बाद उस पर एंटी रेबीज सीरम लगाया जाता है और रेबीज का इंजेक्शन दिया जाता है. कुत्ते के काटने से बने घाव को कभी भी टांका नहीं लगाया जाता है क्योंकि इससे रेबीज का इंफेक्शन फैलता है.

रेबीज का उपचार जड़ी बूटी से नहीं किया जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति को कुत्ते या किसी अन्य जानवर ने काटा है कटे हुए स्थल पर चाटा भी है तो इससे उसके मुंह का सलाइवा अंदर चला जाता है. ऐसी स्थिति में व्यक्ति को पहले, तीसरे, सातवें, चौदहवें और 28वें दिन वैक्सीन लगवाना जरुरी है. यदि किसी व्यक्ति ने बीच में इंजेक्शन लगवाकर छोड़ दिया है तो उसे पांच वैक्सीन का कोर्स पूरा करना चाहिए:
डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता, डिस्ट्रिक्ट सर्विलेंस ऑफिसर


कुत्तो की नशबंदी का एक बार टेंडर हुआ था कंपनी काम करके चली गई. साउथ की कंपनी ही ये काम करती है. कुत्तो के बढ़ते हमले को देखते हुए एमआईसी से एक प्रस्ताव सामान्य सभा मे पास किया गया है, जल्द ही कुत्तों की नशबंदी के लिये टेंडर हो जाएंगे.: डॉ. अजय तिर्की, मेयर


डराने वाले हैं आंकड़े: कुत्ते के काटने के मामलों में सरगुजा जिले में तेजी से इजाफा हुआ है. महज दस महीने में स्वास्थ्य विभाग के पास कुत्ते के काटने के 2543 मामले पहुंचे है. इस हिसाब से प्रतिमाह लगभग 250 लोग हमलों के शिकार हो रहे है. आंकड़ों के अनुसार जनवरी में 366, फरवरी में 343, मार्च में 357, अप्रैल में 302, मई में 317, जून में 301, जुलाई में 286 व अगस्त में 271 केस सामने आए है जबकि निजी अस्पतालों के आंकड़ें इसमें शामिल नहीं हैं. हर साल तीन हजार मामले कुत्ते के हमले के आते है. कुत्ते के काटने पर उपचार में कोताही नहीं बरतनी चाहिए. यदि संदेह भी है तो वैक्सीन जरूर लेना चाहिए अन्यथा रेबीज शत प्रतिशत जानलेवा बीमारी है.

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हर महीने 250 लोग डॉग बाइट के हो रहे शिकार: दरअसल शहर सहित जिले भर में आवरा कुत्तों की आबादी तेजी से बढ़ी है और लोग इन आवारा कुत्तों के हमले का शिकार हो रहे हैं. कुत्तों के काटने की घटनाएं दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर महीने औसतन 250 लोग कुत्ते के हमले से घायल हो रहे हैं. इनमें से कई लोगों पर कुत्तों ने हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल भी कर दिया है. बावजूद इसके कुत्तों को पकड़ने और उनके वैक्सीनेशन को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है.

रेबीज को लेकर क्या कहते हैं जानकार: इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के डिस्ट्रिक्ट सर्विलेंस ऑफिसर डॉ. शैलेंद्र गुप्ता का कहना है कि कुत्ते या किसी भी जानवर के काटने से होने वाले रेबीज का कोई इलाज अब तक नहीं बना है. एक बार किसी व्यक्ति को रेबीज हो गया तो उसकी मौत निश्चित है. कुत्ते के काटने पर कई बार तीन महीने के बीच रेबीज के लक्षण सामने आते है. कुत्ते का गले के ऊपर के भाग में काटना गंभीर माना जाता है और इसे ग्रेड तीन में गिना जाता है. ऐसी स्थिति में घाव को सिर्फ साबुन पानी से धोने के बाद उस पर एंटी रेबीज सीरम लगाया जाता है और रेबीज का इंजेक्शन दिया जाता है. कुत्ते के काटने से बने घाव को कभी भी टांका नहीं लगाया जाता है क्योंकि इससे रेबीज का इंफेक्शन फैलता है.

रेबीज का उपचार जड़ी बूटी से नहीं किया जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति को कुत्ते या किसी अन्य जानवर ने काटा है कटे हुए स्थल पर चाटा भी है तो इससे उसके मुंह का सलाइवा अंदर चला जाता है. ऐसी स्थिति में व्यक्ति को पहले, तीसरे, सातवें, चौदहवें और 28वें दिन वैक्सीन लगवाना जरुरी है. यदि किसी व्यक्ति ने बीच में इंजेक्शन लगवाकर छोड़ दिया है तो उसे पांच वैक्सीन का कोर्स पूरा करना चाहिए:
डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता, डिस्ट्रिक्ट सर्विलेंस ऑफिसर


कुत्तो की नशबंदी का एक बार टेंडर हुआ था कंपनी काम करके चली गई. साउथ की कंपनी ही ये काम करती है. कुत्तो के बढ़ते हमले को देखते हुए एमआईसी से एक प्रस्ताव सामान्य सभा मे पास किया गया है, जल्द ही कुत्तों की नशबंदी के लिये टेंडर हो जाएंगे.: डॉ. अजय तिर्की, मेयर


डराने वाले हैं आंकड़े: कुत्ते के काटने के मामलों में सरगुजा जिले में तेजी से इजाफा हुआ है. महज दस महीने में स्वास्थ्य विभाग के पास कुत्ते के काटने के 2543 मामले पहुंचे है. इस हिसाब से प्रतिमाह लगभग 250 लोग हमलों के शिकार हो रहे है. आंकड़ों के अनुसार जनवरी में 366, फरवरी में 343, मार्च में 357, अप्रैल में 302, मई में 317, जून में 301, जुलाई में 286 व अगस्त में 271 केस सामने आए है जबकि निजी अस्पतालों के आंकड़ें इसमें शामिल नहीं हैं. हर साल तीन हजार मामले कुत्ते के हमले के आते है. कुत्ते के काटने पर उपचार में कोताही नहीं बरतनी चाहिए. यदि संदेह भी है तो वैक्सीन जरूर लेना चाहिए अन्यथा रेबीज शत प्रतिशत जानलेवा बीमारी है.

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