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मां सीता ने बालू से किया था राजा दशरथ का पिंडदान, यहां बालू से पिंडदान करने से मिलता है स्वर्ग लोक - Pitru Paksha 2024

Pitru Paksha Mela In Gaya: विश्व प्रसिद्ध गया पितृ पक्ष मेले का आज दसवां दिन है. मान्यता है कि यहां बालू से बने पिंडदान से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. उन्हें स्वर्ग लोक प्राप्त हो जाती है. भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता भी यहां पिंडदान करने आए थे.

Pitru Paksha Mela In Gaya
गया पितृ पक्ष मेले का दसवां दिन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 26, 2024, 8:21 AM IST

गया: विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला गया जी विष्णु धाम में चल रहा है. मोक्ष नगरी में पितृ पक्ष मेले का आज दसवां दिन है. आश्विन कृष्ण नवमी की तिथि को सीताकुंड और रामगंगा में पिंडदान का विधान है. पितामह प्रपितामही को यहां बालू के पिंड दिए जाते हैं. मान्यता है कि यहां बालू से पिंडदान से ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. उन्हें स्वर्ग लोक की प्राप्ती हो जाती है. इस सीता कुंड वेदी की सबसे बड़ी मान्यता यह है कि माता सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ के निमित यहां पिंडदान किया था. बालू से ही माता सीता ने पिंडदान किया था. इसे लेकर इस तिथि का काफी माहात्म्य है.

बालू से पिंडदान से ही मोक्ष की प्राप्ति: गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष पर मेला चल रहा है. लाखों-लाख की संख्या में पिंडदानी गयाजी धाम को आ चुके हैं. पितृपक्ष यात्रियों का आना लगातार जारी है. आश्विन कृष्ण नवमी की तिथि को सीता कुंड और राम गया में पिंडदान का विधान है. इस दिन पितामह और प्रपितामही को बालू के पिंड दिए जाते हैं. बालू के पिंड दिए जाने के पीछे एक बड़ी कहानी है, जो माता सीता से जुड़ी हुई है. यहां बालू से पिंडदान से ही पितरों को स्वर्ग लोक की प्राप्ति हो जाती है.

Pitru Paksha Mela In Gaya
पिडदान करते लोग (ETV Bharat)

राम-लक्ष्मण और सीता आए थे पिंडदान करने: पुराण शास्त्रों में वर्णित मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम, लक्ष्मण जी और माता सीता जब वनवास में थे, तब यहां राजा दशरथ का पिंडदान करने आए थे. भगवान राम और लक्ष्मण जी पिंडदान के लिए सामग्री एकत्रित करने को गए थे. इस बीच आकाशवाणी हुई, जो कि राजा दशरथ की थी. राजा दशरथ ने आकाशवाणी में कहा था कि पिंडदान जल्दी से कर दें.

Pitru Paksha Mela In Gaya
गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष पर मेला (ETV Bharat)

माता सीता ने किया था बालू से पिंडदान: माता सीता अकेली थी और उनके पास कोई सामग्री नहीं थी. इसके बीच फिर राजा दशरथ की फिर आकाशवाणी हुई कि जल्दी से पिंडदान कर दें. शुभ मुहूर्त निकाला जा रहा है. इसके बाद माता सीता ने फल्गु नदी के बालू का पिंड बनाया और राजा दशरथ को अर्पित कर दिया. राजा दशरथ ने हाथ स्वरूप से बालू का दिया पिंंडदान को ग्रहण किया था. आज भी राजा दशरथ का पिंड ग्रहण करते पौराणिक प्रतिमा सीता कुंड वेदी पर मौजूद है.

Pitru Paksha Mela In Gaya
बालू के पिंडदान से स्वर्ग लोक की प्राप्ति (ETV Bharat)

सीता के कारण पौराणिक काल से चल रही परंपरा: मान्यता है कि माता सीता ने यहां अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान अतः सलिल गंगा फल्गु के बालू से ही पिंडदान किया था, तब से पौराणिक काल से इस वेदी का काफी माहात्म्य है. प्रतिवर्ष पितृपक्ष मेले में लाखों तीर्थ यात्री यहां आकर सीताकुंड में बालू से अपने पितरों का पिंडदान करते हैं, जिससे उनके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.

Pitru Paksha Mela In Gaya
लाखों की संख्या में गयाजी धाम पहुंचे पिंडदानी (ETV Bharat)

राम गया में भी पिंडदान का विधान: इस प्रकार आश्विन कृष्ण नवमी की तिथि को राम गया में भी पिंडदान का विधान है. फाल्गुनी नदी अंत: सलिला है. आज उसमें गया जी डैम बनाया गया है, जिससे एक किलोमीटर के दायरे में पानी है लेकिन और हिस्से को देखें तो आज भी वह अंत सलिला पावन गंगा फल्गु ही है, जो अंदर ही अंदर बहती रहती है.

Pitru Paksha Mela In Gaya
सीता कुंड वेदी की बड़ी मान्यता (ETV Bharat)

बालू से पिंडदान के बाद कई ने कह दिया था झूठ: वहीं, जब भगवान श्रीराम और लक्ष्मण जी वापस लौटे थे तो माता सीता ने का सारी बात बताई थी. भगवान राम ने साक्षी के तौर पर कहा तो कई साक्षी ने झूठ बोल दिया. सिर्फ अक्षय वट में सच बोला था, जिसे माता सीता ने अक्षय का वरदान दिया और आज भी युगों युगों से अक्षयवट आज भी विराजमान है. फल्गु नदी ने भी झूठ बोल दिया था, जिसके कारण माता सीता ने फाल्गुनी नदी को अंत: सलिला होने का श्राप दे दिया था. फिलहाल पितृपक्ष मेले के 10 वें दिन आश्विन कृष्ण नवमी की तिथि को सीता कुंड और राम गया में पिंडदान का विधान है. इस दिन पितामह और प्रपितामह को बालू के पिंड से पिंडदान किया जाता है, जिससे पितरों को स्वर्ग लोक की प्राप्ति हो जाती है.

Pitru Paksha Mela In Gaya
सीताकुंड में बालू से पितरों का पिंडदान करने का विधान (ETV Bharat)

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बालू से पिंडदान से ही मोक्ष की प्राप्ति: गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष पर मेला चल रहा है. लाखों-लाख की संख्या में पिंडदानी गयाजी धाम को आ चुके हैं. पितृपक्ष यात्रियों का आना लगातार जारी है. आश्विन कृष्ण नवमी की तिथि को सीता कुंड और राम गया में पिंडदान का विधान है. इस दिन पितामह और प्रपितामही को बालू के पिंड दिए जाते हैं. बालू के पिंड दिए जाने के पीछे एक बड़ी कहानी है, जो माता सीता से जुड़ी हुई है. यहां बालू से पिंडदान से ही पितरों को स्वर्ग लोक की प्राप्ति हो जाती है.

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बालू के पिंडदान से स्वर्ग लोक की प्राप्ति (ETV Bharat)

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