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NEET के बाद अब मेडिकल स्टडी में नई टेंशन, जानिए एनएमसी के नए नियमों से डॉक्टरी की राह कितनी मुश्किल ? - NMC New Rule Effect

अगर आप एमबीबीएस की पढ़ाई करने जा रहे हैं तो आपको नेशनल मेडिकल कमीशन के बनाए नए नियमों को ध्यान से पढ़ना होगा. नहीं तो आने वाले दिनों में आपको परेशानी हो सकती है.

NMC NEW RULE EFFECT ON MEDICAL
NEET के बाद अब नई टेंशन (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 17, 2024, 7:08 PM IST

सरगुजा: हजारों छात्रों का मेडिकल की पढ़ाई करने का सपना होता है. एमबीबीएस की पढ़ाई को लेकर समय समय पर नए नए नियम बनते रहते हैं. इस संदर्भ में एनएमसी यानि नेशनल मेडिकल कमीशन ने गाइडलाइन बनाया है. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से जुड़े नियम भी बनाए गए हैं. यहां मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स और यहां एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स को इन नियमों को बारे में जानना जरूरी है. एनएमसी के नए नियम को लेकर एमपी के विदिशा में बैठक आयोजित की गई. इस मीटिंग में सरगुजा मेडिकल कॉलेज की टीम भी शामिल हुई. बैठक में एनएमसी के अध्यक्ष डॉ. बीएन गंगाधर, पीजी मेडिकल एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार झा, यूजी एमईबी की अध्यक्ष डॉ. अरुणा वणिकर शामिल हुए. इसके अलावा एनएमसी के सदस्य डॉ. विजेंद्र कुमार और डॉ. योगेश मलिक भी इसमें मौजूद रहे.

NMC meeting held in Vidisha
विदिशा में हुई एनएमसी की बैठक (ETV BHARAT)

एनएमसी के नए नियमों पर आपत्ति: एनएमसी के नए नियमों को लेकर मेडिकल के जानकार और विद्यार्थियों ने सामूहिक आपत्ति दर्ज कराई है. मेडिकल कॉलेज की ओर से एनएमसी पैनल ने टीबी चेस्ट विभाग को मेडिसिन विभाग में जोड़े जाने का विरोध किया है. इसके साथ ही ऑर्थोपेडिक की परीक्षा सर्जरी से कराए जाने के नियमों पर भी आपत्ति जताई है. इसे उन्होंने सुधार करने की मांग की है.

एनएमसी की बैठक में कौन कौन हुआ शामिल: राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय की ओर से अधिष्ठाता डॉक्टर आर मूर्ति शामिल हुए. मीटिंग में एनएमसी द्वारा बनाए जा रहे नियमों को लेकर चर्चा की गई. इस दौरान मेडिकल कॉलेज ने चिकित्सा छात्रों की ओर टीबी चेस्ट विभाग को मेडिसिन विभाग से जोड़ने का विरोध किया गया. बड़ी बात यह है कि कोरोना काल में रेस्पिरेटरी और टीबी चेस्ट ने बेहतर कार्य किया. वर्तमान में नए वायरस के हमलों के कारण इस विभाग का महत्व बढ़ गया है. बावजूद इसके वर्तमान में एनएमसी इस विभाग को पूर्व की तरह मेडिसिन विभाग में शामिल कर टीबी चेस्ट का विभाग ही खत्म करना चाहती है. जिसे लेकर सभी कॉलेज ने आपत्ति जताई है.

"विदिशा में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों की बैठक एनएमसी द्वारा ली गई. एनएमसी के गाइड लाइन हेतु सुझाव दिए गए. इसके साथ ही कुछ नियमों को लेकर कॉलेज प्रबंधन की ओर से सामूहिक आपत्ति भी दर्ज कराई गई है. डेमोस्ट्रेटर को एसआर की मान्यता देने का आश्वासन मिला है": डॉ. आर मूर्ति, डीन, राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय

MBBS फर्स्ट ईयर से जुड़े नियम जानिए: सबसे पहले इस गाइडलाइन के तहत मेडिकल के जो छात्र एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की पढ़ाई चार साल में पूरी नहीं कर पाए तो वह एमबीबीएस से बाहर हो जाएंगे. ये नियम एनएमसी ने बनाया है. अब अगर कोई छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई चार साल में पूरी नहीं कर पाता है तो उसे एमबीबीएस से बाहर निकाल दिया जाएगा. इस नियम पर सरगुजा के मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि बच्चे नीट की परीक्षाएं देकर चयनित होते हैं. कड़ी मेहनत कर कॉलेज तक पहुंचते है. कई बार मेडिकल स्टूडेंट पढ़ाई में अच्छा होने के बाद भी अंग्रेजी में कमजोर होने के कारण परीक्षा में सही ढंग से लिख नहीं पाते हैं. ग्रामीण आदिवासी अंचल के बच्चे भी कई तरह की परेशानियों का सामना करते है. ऐसे में इस नियम को बदलना ही चाहिए.

ऑर्थोपेडिक को सर्जरी विभाग से जोड़ने का विरोध: इसके साथ ही एनएमसी अब ऑर्थोपेडिक की परीक्षाएं सर्जरी विभाग से कराने की तैयारी कर रही है. दशकों पूर्व ऑर्थो विभाग सर्जरी का हिस्सा था लेकिन चिकित्सा शिक्षा में हुई उन्नति के साथ ही ऑर्थोपेडिक आज एक अलग विषय ही है.अब सर्जरी और ऑर्थोपेडिक का विभाग अलग है लेकिन एनएमसी अब इसे भी एक साथ मिलाना चाहती है. जिसका कॉलेज प्रबंधनों की ओर से विरोध किया गया है.

एनएमसी के नए नियम से मेडिकल कॉलेजों पर खतरा: एनएमसी के नए नियमों से मेडिकल कॉलेज पर मान्यता का खतरा मंडरा रहा है. कॉलेज को अपनी सीट क्षमता से अधिक फैक्लटी की व्यवस्था करनी होगी. सरगुजा मेडिकल कॉलेज की ओर से फैकल्टी की कमी छत्तीसगढ़ में बताई गई है. इस मीटिंग में एनएमसी ने उनकी समस्याओं को सुनने से इंकार कर दिया और गाइडलाइन के लिए सुझाव लेकर लौट गए. छत्तीसगढ़ में मेडिकल की पढ़ाई के लिए सरकार से फैकल्टी की कमी को दूर करने की मांग की गई है.

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सरगुजा: हजारों छात्रों का मेडिकल की पढ़ाई करने का सपना होता है. एमबीबीएस की पढ़ाई को लेकर समय समय पर नए नए नियम बनते रहते हैं. इस संदर्भ में एनएमसी यानि नेशनल मेडिकल कमीशन ने गाइडलाइन बनाया है. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से जुड़े नियम भी बनाए गए हैं. यहां मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स और यहां एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स को इन नियमों को बारे में जानना जरूरी है. एनएमसी के नए नियम को लेकर एमपी के विदिशा में बैठक आयोजित की गई. इस मीटिंग में सरगुजा मेडिकल कॉलेज की टीम भी शामिल हुई. बैठक में एनएमसी के अध्यक्ष डॉ. बीएन गंगाधर, पीजी मेडिकल एजुकेशन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार झा, यूजी एमईबी की अध्यक्ष डॉ. अरुणा वणिकर शामिल हुए. इसके अलावा एनएमसी के सदस्य डॉ. विजेंद्र कुमार और डॉ. योगेश मलिक भी इसमें मौजूद रहे.

NMC meeting held in Vidisha
विदिशा में हुई एनएमसी की बैठक (ETV BHARAT)

एनएमसी के नए नियमों पर आपत्ति: एनएमसी के नए नियमों को लेकर मेडिकल के जानकार और विद्यार्थियों ने सामूहिक आपत्ति दर्ज कराई है. मेडिकल कॉलेज की ओर से एनएमसी पैनल ने टीबी चेस्ट विभाग को मेडिसिन विभाग में जोड़े जाने का विरोध किया है. इसके साथ ही ऑर्थोपेडिक की परीक्षा सर्जरी से कराए जाने के नियमों पर भी आपत्ति जताई है. इसे उन्होंने सुधार करने की मांग की है.

एनएमसी की बैठक में कौन कौन हुआ शामिल: राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय की ओर से अधिष्ठाता डॉक्टर आर मूर्ति शामिल हुए. मीटिंग में एनएमसी द्वारा बनाए जा रहे नियमों को लेकर चर्चा की गई. इस दौरान मेडिकल कॉलेज ने चिकित्सा छात्रों की ओर टीबी चेस्ट विभाग को मेडिसिन विभाग से जोड़ने का विरोध किया गया. बड़ी बात यह है कि कोरोना काल में रेस्पिरेटरी और टीबी चेस्ट ने बेहतर कार्य किया. वर्तमान में नए वायरस के हमलों के कारण इस विभाग का महत्व बढ़ गया है. बावजूद इसके वर्तमान में एनएमसी इस विभाग को पूर्व की तरह मेडिसिन विभाग में शामिल कर टीबी चेस्ट का विभाग ही खत्म करना चाहती है. जिसे लेकर सभी कॉलेज ने आपत्ति जताई है.

"विदिशा में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों की बैठक एनएमसी द्वारा ली गई. एनएमसी के गाइड लाइन हेतु सुझाव दिए गए. इसके साथ ही कुछ नियमों को लेकर कॉलेज प्रबंधन की ओर से सामूहिक आपत्ति भी दर्ज कराई गई है. डेमोस्ट्रेटर को एसआर की मान्यता देने का आश्वासन मिला है": डॉ. आर मूर्ति, डीन, राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय

MBBS फर्स्ट ईयर से जुड़े नियम जानिए: सबसे पहले इस गाइडलाइन के तहत मेडिकल के जो छात्र एमबीबीएस फर्स्ट ईयर की पढ़ाई चार साल में पूरी नहीं कर पाए तो वह एमबीबीएस से बाहर हो जाएंगे. ये नियम एनएमसी ने बनाया है. अब अगर कोई छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई चार साल में पूरी नहीं कर पाता है तो उसे एमबीबीएस से बाहर निकाल दिया जाएगा. इस नियम पर सरगुजा के मेडिकल कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि बच्चे नीट की परीक्षाएं देकर चयनित होते हैं. कड़ी मेहनत कर कॉलेज तक पहुंचते है. कई बार मेडिकल स्टूडेंट पढ़ाई में अच्छा होने के बाद भी अंग्रेजी में कमजोर होने के कारण परीक्षा में सही ढंग से लिख नहीं पाते हैं. ग्रामीण आदिवासी अंचल के बच्चे भी कई तरह की परेशानियों का सामना करते है. ऐसे में इस नियम को बदलना ही चाहिए.

ऑर्थोपेडिक को सर्जरी विभाग से जोड़ने का विरोध: इसके साथ ही एनएमसी अब ऑर्थोपेडिक की परीक्षाएं सर्जरी विभाग से कराने की तैयारी कर रही है. दशकों पूर्व ऑर्थो विभाग सर्जरी का हिस्सा था लेकिन चिकित्सा शिक्षा में हुई उन्नति के साथ ही ऑर्थोपेडिक आज एक अलग विषय ही है.अब सर्जरी और ऑर्थोपेडिक का विभाग अलग है लेकिन एनएमसी अब इसे भी एक साथ मिलाना चाहती है. जिसका कॉलेज प्रबंधनों की ओर से विरोध किया गया है.

एनएमसी के नए नियम से मेडिकल कॉलेजों पर खतरा: एनएमसी के नए नियमों से मेडिकल कॉलेज पर मान्यता का खतरा मंडरा रहा है. कॉलेज को अपनी सीट क्षमता से अधिक फैक्लटी की व्यवस्था करनी होगी. सरगुजा मेडिकल कॉलेज की ओर से फैकल्टी की कमी छत्तीसगढ़ में बताई गई है. इस मीटिंग में एनएमसी ने उनकी समस्याओं को सुनने से इंकार कर दिया और गाइडलाइन के लिए सुझाव लेकर लौट गए. छत्तीसगढ़ में मेडिकल की पढ़ाई के लिए सरकार से फैकल्टी की कमी को दूर करने की मांग की गई है.

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