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हरा सोना चमका रहा ग्रामीणों की किस्मत , तेंदूपत्ता कर रहा आर्थिक स्थिति मजबूत - Chhattisgarh Tendu patta

Tendu leaf collection in Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता को हरा सोना के नाम से जाना जाता है. वन्य क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और ग्रामीणों की जिंदगी में हरा सोना खुशियां ला रहा है.तेंदूपत्ता ग्रामीणों की आमदनी का मुख्य जरिया बन चुका है.

Chhattisgarh Tendupatta source
हरा सोने की चमक ने संवारी ग्रामीणों की जिंदगी (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 22, 2024, 5:42 PM IST

Updated : May 22, 2024, 7:22 PM IST

बलरामपुर में हरे सोने से बदलती तस्वीर (ETV BHARAT)

बलरामपुर : रामानुजगंज जिला वन संपदा की दृष्टि से काफी संपन्न है. यहां के जंगलों में कीमती वनोपज पाए जाते हैं जिसमें प्रमुख रूप से तेंदुपत्ता और महुआ शामिल है.मई के महीने में आमतौर पर तेंदूपत्ता की तोड़ाई शुरू हो जाती है. मौजूदा समय में तेंदूपत्ता ग्रामीणों की आमदनी का मुख्य स्त्रोत बन चुका है.


तेंदूपत्ता से ग्रामीणों को होता है आर्थिक लाभ : तकिया टोला के बीरेंद्र सिंह ने बताया कि परिवार सुबह चार बजे उठकर जंगल में चले जाते हैं. दोपहर में तेंदूपत्ता तोड़कर वापस घर लौटते हैं. फिर तेंदूपत्ता का गड्डी बनाते हैं और फड़ में ले जाते हैं.तेंदूपत्ता से आर्थिक आमदनी हो जाती है.तकिया टोला के रहने वाले परमेश्वर सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि मई के महीने में तेंदुपत्ता का सीजन होता है.जो उनकी आमदनी का प्रमुख जरिया है.

''पचास तेंदूपत्ता की एक गड्डी बनाते हैं. तेंदुपत्ता का बड़ा पेड़ भी होता है और पौधा भी होता है. तेंदू पत्ता छोटे पेड़ों से इकट्ठा किया जाता है. जिस जंगल से तोड़कर लाते हैं पूरा परिवार हम लोग जंगल जाते हैं घर में लाकर बांधते हैं और फड़ में ले जाकर बेचते हैं.'' : परमेश्वर सिंह, तेंदूपत्ता हितग्राही

आपको बता दें कि पेड़ से तेंदूपत्ता को तोड़कर गड्डी बनाई जाती है. जिसके बाद उसे फड़ में सुखाया जाता है. तेंदूपत्ता का उपयोग बीड़ी बनाने में किया जाता है. फिलहाल फड़ के जरिए तेंदूपत्ता का रेट लगभग साढ़े पांच सौ रुपए है.

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तेंदूपत्ता से ग्रामीणों को होता है आर्थिक लाभ : तकिया टोला के बीरेंद्र सिंह ने बताया कि परिवार सुबह चार बजे उठकर जंगल में चले जाते हैं. दोपहर में तेंदूपत्ता तोड़कर वापस घर लौटते हैं. फिर तेंदूपत्ता का गड्डी बनाते हैं और फड़ में ले जाते हैं.तेंदूपत्ता से आर्थिक आमदनी हो जाती है.तकिया टोला के रहने वाले परमेश्वर सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि मई के महीने में तेंदुपत्ता का सीजन होता है.जो उनकी आमदनी का प्रमुख जरिया है.

''पचास तेंदूपत्ता की एक गड्डी बनाते हैं. तेंदुपत्ता का बड़ा पेड़ भी होता है और पौधा भी होता है. तेंदू पत्ता छोटे पेड़ों से इकट्ठा किया जाता है. जिस जंगल से तोड़कर लाते हैं पूरा परिवार हम लोग जंगल जाते हैं घर में लाकर बांधते हैं और फड़ में ले जाकर बेचते हैं.'' : परमेश्वर सिंह, तेंदूपत्ता हितग्राही

आपको बता दें कि पेड़ से तेंदूपत्ता को तोड़कर गड्डी बनाई जाती है. जिसके बाद उसे फड़ में सुखाया जाता है. तेंदूपत्ता का उपयोग बीड़ी बनाने में किया जाता है. फिलहाल फड़ के जरिए तेंदूपत्ता का रेट लगभग साढ़े पांच सौ रुपए है.

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Last Updated : May 22, 2024, 7:22 PM IST
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