बलरामपुर : रामानुजगंज जिला वन संपदा की दृष्टि से काफी संपन्न है. यहां के जंगलों में कीमती वनोपज पाए जाते हैं जिसमें प्रमुख रूप से तेंदुपत्ता और महुआ शामिल है.मई के महीने में आमतौर पर तेंदूपत्ता की तोड़ाई शुरू हो जाती है. मौजूदा समय में तेंदूपत्ता ग्रामीणों की आमदनी का मुख्य स्त्रोत बन चुका है.
तेंदूपत्ता से ग्रामीणों को होता है आर्थिक लाभ : तकिया टोला के बीरेंद्र सिंह ने बताया कि परिवार सुबह चार बजे उठकर जंगल में चले जाते हैं. दोपहर में तेंदूपत्ता तोड़कर वापस घर लौटते हैं. फिर तेंदूपत्ता का गड्डी बनाते हैं और फड़ में ले जाते हैं.तेंदूपत्ता से आर्थिक आमदनी हो जाती है.तकिया टोला के रहने वाले परमेश्वर सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि मई के महीने में तेंदुपत्ता का सीजन होता है.जो उनकी आमदनी का प्रमुख जरिया है.
''पचास तेंदूपत्ता की एक गड्डी बनाते हैं. तेंदुपत्ता का बड़ा पेड़ भी होता है और पौधा भी होता है. तेंदू पत्ता छोटे पेड़ों से इकट्ठा किया जाता है. जिस जंगल से तोड़कर लाते हैं पूरा परिवार हम लोग जंगल जाते हैं घर में लाकर बांधते हैं और फड़ में ले जाकर बेचते हैं.'' : परमेश्वर सिंह, तेंदूपत्ता हितग्राही
आपको बता दें कि पेड़ से तेंदूपत्ता को तोड़कर गड्डी बनाई जाती है. जिसके बाद उसे फड़ में सुखाया जाता है. तेंदूपत्ता का उपयोग बीड़ी बनाने में किया जाता है. फिलहाल फड़ के जरिए तेंदूपत्ता का रेट लगभग साढ़े पांच सौ रुपए है.
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