पटनाः बिहार में कई प्रमुख मंदिर और मस्जिद हैं लेकिन बिहार के पटना से 30 किमी दूर मसौढ़ी में कुछ खास है. यहां एक ही परिसर में मंदिर और मजार दोनों है. यहां दोनों समुदाय के लोग पूजा और इबादत में शामिल होते हैं. एकता की इस मिसाल की गांव में खूब चर्चा होती है. सावन हो या महाशिवरात्रि या फिर मुस्लिम का कोई पर्व हो सभी धूमधाम से मनाए जाते हैं.
छाता गांव में अनोखा उदाहरणः मसौढ़ी में मंदिर मजार का अनोखा स्थान शाहाबाद पंचायत के छाता गांव में है. यहां एक ही जमीन पर भगवान शिव का मंदिर है. बगल में बाबा मखदूम साहब का मजार है. छाता गांव के लोगों की माने तो यहां हिंदू और मुस्लिम एकजुट होकर आपसी सद्भाव भाईचारे के साथ रहते हैं. दोनों एक दूसरे के समारोह में शामिल होते हैं.
1645 में बना था मजारः शाहाबाद पंचायत के मुखिया रवि प्रकाश ने बताया कि यह मसौढ़ी प्रखंड के लिए एक मिसाल है. पूर्व मुखिया इस्माइल मियां जो रामायण और भक्ति गीत भी गाते हैं और हर हिंदू पर्व में शिरकत होते हैं. उन्होंने कहा कि यहां मखदूम साहब का मजार है. यह 1645 में बना था. जिस वक्त बना था उसी के कुछ महीने के बाद यहां पर भगवान शिव का मंदिर भी बनाया गया था.
"हमारे गांव में एक ही जमीन का एक प्लॉट है जिस पर भगवान शिव का मंदिर है. बाबा मखदूम साहब का मजार बना हुआ है. सभी हिंदू मुस्लिम एक ही साथ रहते हैं और पूजा-अर्चना में शिरकत होते हैं." -रवि प्रकाश, मुखिया, शाहाबाद मसौढी
राम गीत गाते हैं इस्माइल मियांः मोहम्मद इस्माइल मियां कहते हैं कि ईश्वर अल्लाह एक ही है. बस यह दो नाम हैं. उन्होंने कहा कि छाता गांव में हम सभी हिंदू और मुस्लिम भाई एक साथ पर्व को मानते हैं. आपसी भाईचारा एकता के साथ रहते हैं. बता दें कि यह वही इस्माइल मियां हैं जो राम मंदिर के उद्घाटन के दौरान राम गीत गाकर लोगों को न्योता दे रहे थे. इनके इस काम की खूब चर्चा हुई थी.
"ईश्वर-अल्लाह सब एक हैं. हमलोग एक साथ मिलकर पर्व-त्योहार को मनाते हैं. यह मजार काफी पुराना है. इसके बारे में बताया जाता है कि एक बाबा थे जो बहुत सिद्ध थे. लोगों का झाड़फूंक किया करते थे. उन्हीं का मजार बना हुआ है. बाद में शिव मंदिर बनाया गया." -मोहम्मद इस्माइल मियां, पूर्व मुखिया शाहाबाद
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