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भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ में शामिल हुए फ्रांस और इटली के शिक्षक, भारतीय शिक्षा पद्धति का लेगें ज्ञान - Ten day training camp at Sarnath

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 31, 2024, 1:29 PM IST

भगवान गौतम बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ के दस दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में इटली और फ्रांस के शिक्षक शामिल हुए. इटली से आई एक शिक्षिका ने कहा कि यहां के विद्यार्थियों की आंखों में हम शिक्षा के प्रति अलग सी चमक देखते है.

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दस दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में इटली और फ्रांस के शिक्षक (photo credit- Etv Bharat)

वाराणसी: भगवान गौतम बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ में एलिस प्रोजेक्ट यूनिवर्सल एजुकेशन द्वारा आयोजित दस दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में इटली, फ्रांस सहित भारत के कई राज्यों से आए शिक्षक शामिल हुए. दस दिनों तक चले प्रशिक्षण शिविर में भारत की शिक्षा प्रणाली और चुनौतियों सहित भारतीय पारंपरिक ज्ञान पर चर्चा किया गया. विदेश से आए शिक्षकों ने अपने देश की शिक्षा पद्धति और वहां कि चुनौतियों के बारे में बताया, तो वही भारतीय शिक्षा पद्धति और विदेश की शिक्षा पद्धति की तुलना की गई.

दस दिनों तक तमाम विषयों पर संगोष्ठी के दौरान चर्चा के पश्चात सभी विदेशी शिक्षको को समापन सत्र में प्रमाण पत्र वितरित किया गया. वहीं, विदेश से प्रतिभागियों ने संबोधित किया और अपना अनुभव बताया. इटली से आई एक शिक्षिका ने कहा कि यहां के विद्यार्थियों की आंखों में हम शिक्षा के प्रति अलग सी चमक देखते है.

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इस संबंध में प्रधानाचार्य अवनीश मिश्र ने बताया, कि प्रशिक्षण कार्यक्रम 20 अगस्त से आयोजित किया गया था. वहीं इस प्रशिक्षण के माध्यम से एलिस प्रोजेस्ट की जो शिक्षण पद्धति है, कि किसी भी विषय को रुचिकर बनाकर कैसे पढ़ाया जाए, बच्चो को खेल खेल में कैसे सिखाया जाए यह बताया गया. इसके साथ ही हमारा जो पारंपरिक ज्ञान है, जो भारत की प्राचीन सभ्यता है, जो यहां का धरोहर है. उसको आज के आधुनिक जीवन शैली के बच्चो को कैसे शिक्षा दिया जाए जिससे आज के विद्यार्थी अपने भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सके.

इस कार्यक्रम में मुख्य प्रशिक्षक और एलिस प्रोजेक्ट के संस्थापक वैलेन्तीनो जियाकोमिन ने बताया, कि आज पूरे विश्व के सामने अनेक चुनौतियां हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भी नई चुनौतियां हैं. जिसका समाधान भारतीय पारंपरिक ज्ञान में अद्वैतवादी दर्शन के सिद्धांतों में है. विश्व को भारत और यहां के पारंपरिक शिक्षण संस्थान रास्ता दिखा सकते हैं. इस विषय में विगत दिनों संस्कृत विश्वविद्यालय में एक संगोष्ठी भी आयोजित किया गया था. इस शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से इस शिक्षा पद्धति को अधिक से अधिक विद्यार्थियों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा.

इस कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन प्रधानाचार्य अवनीश मिश्र ने किया. इस अवसर पर अरुण शुक्ला, सुधाकर प्रसाद, सुनील पाण्डेय तथा शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे.

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दस दिनों तक तमाम विषयों पर संगोष्ठी के दौरान चर्चा के पश्चात सभी विदेशी शिक्षको को समापन सत्र में प्रमाण पत्र वितरित किया गया. वहीं, विदेश से प्रतिभागियों ने संबोधित किया और अपना अनुभव बताया. इटली से आई एक शिक्षिका ने कहा कि यहां के विद्यार्थियों की आंखों में हम शिक्षा के प्रति अलग सी चमक देखते है.

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इस कार्यक्रम में मुख्य प्रशिक्षक और एलिस प्रोजेक्ट के संस्थापक वैलेन्तीनो जियाकोमिन ने बताया, कि आज पूरे विश्व के सामने अनेक चुनौतियां हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भी नई चुनौतियां हैं. जिसका समाधान भारतीय पारंपरिक ज्ञान में अद्वैतवादी दर्शन के सिद्धांतों में है. विश्व को भारत और यहां के पारंपरिक शिक्षण संस्थान रास्ता दिखा सकते हैं. इस विषय में विगत दिनों संस्कृत विश्वविद्यालय में एक संगोष्ठी भी आयोजित किया गया था. इस शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से इस शिक्षा पद्धति को अधिक से अधिक विद्यार्थियों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा.

इस कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन प्रधानाचार्य अवनीश मिश्र ने किया. इस अवसर पर अरुण शुक्ला, सुधाकर प्रसाद, सुनील पाण्डेय तथा शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे.

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