बेतिया: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा जिसकी धूम देश से लेकर विदेश तक में होती है. जिस महापर्व को मनाने के लिए देश सहित विदेश से लोग छुट्टियां लेकर बिहार आते हैं और खुशी खुशी पर्व मनाते है. उस चार दिवसीय महापर्व में इस साल से बिहार के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों और पढ़ाने वाले शिक्षकों की छुट्टियों में शिक्षा विभाग द्वारा कटौती कर ली गई है.
छठ पूजा की छुट्टी में कटौती पर शिक्षकों का हमला: छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर को नहाय खाय के साथ होगी और खरना 6 को है, लेकिन बिहार के सरकारी विद्यालय 5 और 6 नवंबर को भी खुले हुए हैं. इसको लेकर शिक्षकों में नाराजगी है. उनका कहना है कि यह सरकार हिंदू विरोधी है. सनातन धर्म के नाम पर वोट मांगती है और सनातन धर्म के ही पूजा पाठ में जो छुट्टी मिलती है उसमें कुठाराघात करती है.
नहाय खाय और खरना के दिन खुले रहेंगे स्कूल : बेतिया जिले के सरकारी विद्यालय इस बार लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के दौरान नहाय खाय और खरना के दिन भी खुले रहेंगे. पूजा के दौरान विद्यालय खुले रहने से महिला शिक्षिकाओं सहित छठ व्रत करने वाली शिक्षिकाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. इतना ही नहीं दीपावली में भी मात्र एक दिन की ही छुट्टी मिलने से जिले के सभी शिक्षकों में काफी नाराजगी है.
"होली हो, शिवरात्रि हो या अन्य कोई भी हिंदू का त्यौहार हो छुट्टियों में कटौती की जाती है. इस सरकार को इसका खामियाजा 2025 के विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है. अगर सनातन धर्म की छुट्टियों की कटौती सरकार करेगी तो नतीजा भुगतना होगा. अभी भी सरकार के पास वक्त है वह हिंदुओं के त्यौहार में होने वाली छुट्टियों के साथ छेड़छाड़ ना करें."- बिपिन प्रसाद, शिक्षक नेता
'हिंदू विरोधी है सरकार'- शिक्षक संघ: शिक्षक संघ के नेताओं ने इसका घोर विरोध किया है. उनका कहना है कि यह सरकार हिंदू विरोधी है. सनातन धर्म को मानती है और सनातन धर्म के नाम पर वोट मांगती है लेकिन जब हिंदुओं के पर्व की बात आती है, उनकी छुट्टी की बात आती है तो उनकी छुट्टियों पर डाका मारा जाता है.
"विदेश से लोग अपने घर पर छठ पर्व मनाने आते हैं. देश के कोने-कोने से लोग छुट्टी मनाने आते हैं. हमारे ही बिहार में, अपने ही देश में, अपने ही बिहार में रहते हुए भी हम छठ पूजा में अपने घर नहीं जा सकेंगे.- नंदन कुमार, शिक्षक नेता
दिवाली पर एक दिन की छुट्टी पर भी सवाल: शिक्षक संघ के नेताओं ने धनतेरस से लेकर छठ पर्व तक के अवकाश की मांग सरकार से की है. पर्व- त्यौहार के समय छुट्टी में कटौती को लेकर सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों में काफी नाराजगी है. पूर्व में भी होली , नागपंचमी और दुर्गा पूजा के अवकाश में भी विभाग द्वारा कटौती कर ली गई है. दीपावली में मात्र एक दिन की छुट्टी होने से दूर दराज के जिलों में कार्यरत शिक्षक अपने परिवार के साथ त्यौहार मना नहीं पाएंगे क्योंकि मात्र एक दिन में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी कर पाना संभव नहीं हो सकता है.
"लोक आस्था का महान पर्व छठ पूजा महिलाओं का ही पर्व होता है. अधिकतर महिला शिक्षिका छठ पर्व करती हैं. विडंबना यह है कि सरकारी विद्यालयों में वर्ष 2024 के लिए जारी अवकाश तालिका में छठ पर्व का अवकाश 7, 8 और 9 नवम्बर को दिया गया है, जबकि चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत 5 नवंबर नहाय खाय से हो रही है और खरना 6 को है. नहाय खाय और खरना दोनों तिथियों को विद्यालय खुला हुआ है. जिससे शिक्षिकाओं में इस बात को लेकर परेशानी है कि इस बार पर्व कैसे हो पाएगा."- राहुल राज, शिक्षक नेता
शिक्षा विभाग से फिर से विचार करने की मांग: नाराज शिक्षकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर हिंदुओं के त्यौहार में होने वाली छुट्टियों पर कटौती की जाएगी तो आने वाले 2025 विधानसभा चुनाव में सरकार को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है. उन्होंने सख्त लहजे में कहा है कि यह सरकार हिंदुत्व के नाम पर वोट मांगती है. सनातन के नाम पर लोगों के पास जगह-जगह जाकर वोट मांगती है लेकिन जब सनातन धर्म हिंदू की बात होती है तो उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है.
"हिंदुओं की छुट्टियाों में कटौती की जाती है. छठ जैसे महापर्व में छुट्टी की कटौती करना कहीं से उचित नहीं है. नहाए खाए और खरना के दिन किस तरह से व्रती महिला शिक्षक स्कूल जाएंगी और फिर 7 तारीख से छठ मनाएंगी. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए नहीं तो इसका हम विरोध करेंगे."- राजीव रंजन प्रभाकर, शिक्षक नेता
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