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स्कूल में मोबाइल फोन नहीं यूज कर सकेंगे टीचर और स्टूडेंट्स - Ban on mobile phones in school

बूंदी जिले के सभी राजकीय व गैर राजकीय विद्यालयों के शिक्षक व विद्यार्थी विद्यालय समय में मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. अगर कोई शिक्षक विद्यालय समय में मोबाइल का इस्तेमाल करता पाया गया तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

स्कूल में मोबाइल फोन बैन
स्कूल में मोबाइल फोन बैन
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 28, 2024, 12:24 PM IST

बूंदी. कोटा संभाग की स्कूल शिक्षा संयुक्त निदेशक तेज कंवर ने बुधवार को संभाग के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को अधीनस्थ राजकीय व गैर राजकीय विद्यालयों में शिक्षक व विद्यार्थियों के मोबाइल फोन के यूज पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए हैं. इससे पूर्व भी प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से मोबाइल पर प्रतिबंध के आदेश जारी हो चुके हैं, लेकिन उन आदेशों की पालना नहीं हो पा रही थी. हालांकि संयुक्त निदेशक तेज कंवर ने निदेशक प्रारंभिक शिक्षा, बीकानेर के जिस आदेश का हवाला दिया हैं, वह आदेश 2019 में जारी किया गया था.

संयुक्त निदेशक तेज कंवर ने आदेश में कहा कि सभी सरकारी एवं अराजकीय विद्यालयों में कार्यरत सभी कार्मिक अपने साथ मोबाइल लेकर आते हैं, जिससे विद्यालयों में कार्मिक मोबाइल पर बातें करते रहते है, जिससे विद्यालयों में पढ़ाई का माहौल नहीं बन पाता है. वहीं उच्चाधिकारियों के निरीक्षण के दौरान यह देखने में आता हैं कि कार्मिक अपने मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं एवं क्लास में पढ़ाते नहीं हैं.संयुक्त निदेशक की ओर से जारी निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि भविष्य में उच्च अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के दौरान कोई भी कार्मिक मोबाइल का यूज करते पाया जाता है तो संबंधित कार्मिक एवं संस्था प्रधान के विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें: कोटा में कोचिंग छात्रा ने किया सुसाइड, नीट की तैयारी कर रही थी यूपी की छात्रा - Student Committed Suicide In Kota

वहीं जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय), बून्दी राजेन्द्र व्यास ने बताया कि जब विद्यालय में अध्यापक उपलब्ध हैं तो मोबाइल का कक्षा में कोई काम नहीं होना चाहिए. अधिकांश शिक्षक मोबाइल लेकर कक्षाओं में अध्यापन कार्य कराते है, जिससे बीच-बीच में मैसेज आदि देखने के कारण शिक्षकों का ध्यान मोबाइल पर अधिक और बच्चों पर कम होता है. ठीक ऐसे ही कई विद्यार्थी भी मोबाइल लेकर आते हैं, जिसके कारण उनका ध्यान शिक्षण में नहीं होता हैं.

संस्था प्रधान के पास जमा कराएं फोन: आदेश में शिक्षकों से कहा गया है कि शिक्षण के लिए कक्षा में जाते समय अपना मोबाइल फोन प्रधानाध्यापक के कक्ष में जमा कराना होगा और फिर घर जाते समय वे अपना मोबाइल फोन वापस ले सकेंगे. जारी आदेश के अनुसार संभाग के सभी सीडीईओ, सीबीईईओ सहित सभी पीईईओ को आदेशों की पालना सख्ती से किए जाने के निर्देश दिए गए हैं.

"विद्यालय समय में मोबाइल फोन के न्यूनतम उपयोग पर आम सहमति बनाई जानी चाहिए, ताकि विद्यालय व कक्षा में ज्यादा सीखने का माहौल बनाया जा सके. यह एक बेहद जरूरी हो गया था इसके प्रभावी नियमन से छात्र विद्यालय शिक्षण में फोकस कर पाएंगे, अवांछित गतिविधियों पर नियंत्रण भी होगा."डॉ. सविता लौरी, अभिभावक

"मोबाइल धीरे धीरे कैंसर जैसी घातक बीमारी का रूप ले रहा है जिसने हमारे पारिवारिक सामाजिक ढांचे को अंदर ही अंदर खोखला करना शुरू कर दिया है. विशेष कर बढ़ती उम्र के बच्चों में मोबाइल की लत एक भयंकर दुःस्वप्न की तरह उनके मनो मस्तिष्क को अपनी जकड़न में ले रही है. अवांछित साइट्स की वर्जित दुनिया जाने अनजाने उनके कोमल अवचेतन मन पर विपरीत प्रभाव डाल भटकाव की ऐसी अंधेरी दुनिया में ले जाती है जहां कुंठा ,निराशा और हताशा के अतिरिक्त कुछ नही मिलता .बेहतर होगा कि सैलाब आने से पहले सचेत और सतर्क हो जाएं. "रेखा शर्मा, पूर्व अध्यक्ष बाल कल्याण समिति

बूंदी. कोटा संभाग की स्कूल शिक्षा संयुक्त निदेशक तेज कंवर ने बुधवार को संभाग के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को अधीनस्थ राजकीय व गैर राजकीय विद्यालयों में शिक्षक व विद्यार्थियों के मोबाइल फोन के यूज पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किए हैं. इससे पूर्व भी प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से मोबाइल पर प्रतिबंध के आदेश जारी हो चुके हैं, लेकिन उन आदेशों की पालना नहीं हो पा रही थी. हालांकि संयुक्त निदेशक तेज कंवर ने निदेशक प्रारंभिक शिक्षा, बीकानेर के जिस आदेश का हवाला दिया हैं, वह आदेश 2019 में जारी किया गया था.

संयुक्त निदेशक तेज कंवर ने आदेश में कहा कि सभी सरकारी एवं अराजकीय विद्यालयों में कार्यरत सभी कार्मिक अपने साथ मोबाइल लेकर आते हैं, जिससे विद्यालयों में कार्मिक मोबाइल पर बातें करते रहते है, जिससे विद्यालयों में पढ़ाई का माहौल नहीं बन पाता है. वहीं उच्चाधिकारियों के निरीक्षण के दौरान यह देखने में आता हैं कि कार्मिक अपने मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं एवं क्लास में पढ़ाते नहीं हैं.संयुक्त निदेशक की ओर से जारी निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि भविष्य में उच्च अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के दौरान कोई भी कार्मिक मोबाइल का यूज करते पाया जाता है तो संबंधित कार्मिक एवं संस्था प्रधान के विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

पढ़ें: कोटा में कोचिंग छात्रा ने किया सुसाइड, नीट की तैयारी कर रही थी यूपी की छात्रा - Student Committed Suicide In Kota

वहीं जिला शिक्षा अधिकारी (मुख्यालय), बून्दी राजेन्द्र व्यास ने बताया कि जब विद्यालय में अध्यापक उपलब्ध हैं तो मोबाइल का कक्षा में कोई काम नहीं होना चाहिए. अधिकांश शिक्षक मोबाइल लेकर कक्षाओं में अध्यापन कार्य कराते है, जिससे बीच-बीच में मैसेज आदि देखने के कारण शिक्षकों का ध्यान मोबाइल पर अधिक और बच्चों पर कम होता है. ठीक ऐसे ही कई विद्यार्थी भी मोबाइल लेकर आते हैं, जिसके कारण उनका ध्यान शिक्षण में नहीं होता हैं.

संस्था प्रधान के पास जमा कराएं फोन: आदेश में शिक्षकों से कहा गया है कि शिक्षण के लिए कक्षा में जाते समय अपना मोबाइल फोन प्रधानाध्यापक के कक्ष में जमा कराना होगा और फिर घर जाते समय वे अपना मोबाइल फोन वापस ले सकेंगे. जारी आदेश के अनुसार संभाग के सभी सीडीईओ, सीबीईईओ सहित सभी पीईईओ को आदेशों की पालना सख्ती से किए जाने के निर्देश दिए गए हैं.

"विद्यालय समय में मोबाइल फोन के न्यूनतम उपयोग पर आम सहमति बनाई जानी चाहिए, ताकि विद्यालय व कक्षा में ज्यादा सीखने का माहौल बनाया जा सके. यह एक बेहद जरूरी हो गया था इसके प्रभावी नियमन से छात्र विद्यालय शिक्षण में फोकस कर पाएंगे, अवांछित गतिविधियों पर नियंत्रण भी होगा."डॉ. सविता लौरी, अभिभावक

"मोबाइल धीरे धीरे कैंसर जैसी घातक बीमारी का रूप ले रहा है जिसने हमारे पारिवारिक सामाजिक ढांचे को अंदर ही अंदर खोखला करना शुरू कर दिया है. विशेष कर बढ़ती उम्र के बच्चों में मोबाइल की लत एक भयंकर दुःस्वप्न की तरह उनके मनो मस्तिष्क को अपनी जकड़न में ले रही है. अवांछित साइट्स की वर्जित दुनिया जाने अनजाने उनके कोमल अवचेतन मन पर विपरीत प्रभाव डाल भटकाव की ऐसी अंधेरी दुनिया में ले जाती है जहां कुंठा ,निराशा और हताशा के अतिरिक्त कुछ नही मिलता .बेहतर होगा कि सैलाब आने से पहले सचेत और सतर्क हो जाएं. "रेखा शर्मा, पूर्व अध्यक्ष बाल कल्याण समिति

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