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ऐसे कैसे 2025 तक टीबी मुक्त होगा हिमाचल? राह में रोड़ा बन रही ये वजह - TB Free Himachal Campaign

TB Test Sampling in Sirmaur: देश भर समेत हिमाचल प्रदेश को भी साल 2025 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य है, लेकिन अभी प्रदेश में बड़ी संख्या में लोग टीबी के टेस्ट के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. लोगों में टीबी को लेकर कई भ्रांतियां हैं. सीएमओ सिरमौर ने लोगों से अपील की है कि लोग टीबी का टेस्ट कराएं, इसका इलाज संभव है.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 24, 2024, 11:44 AM IST

Updated : Jul 24, 2024, 12:11 PM IST

TB Test Sampling in Sirmaur
सिरमौर में टीबी के मामले (File Photo)
सिरमौर में टीबी के मामले (ETV Bharat)

नाहन: वर्ष 2025 तक देश और प्रदेश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन सरकार के इस सपने की राह में वह लोग रोड़ा बनते नजर आ रहे हैं, जो टीबी को लेकर गलतफहमी के चलते इसके टेस्ट करवाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं, या यूं कहे कि वह टीबी की सैंपलिंग के लिए हिचकिचा या फिर डर रहे हैं. ऐसा ही कुछ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में भी देखने को मिल रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को सैंपलिंग के लिए दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. दरअसल टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. टीबी ग्रस्त लोगों को उपचार और अन्य लोगों को जागरूक किया जा रहा है. हालांकि टीबी मामलों में कमी आई है, लेकिन अभी भी इस पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है.

टेस्ट करवाने आगे नहीं आ रहे लोग

स्वास्थ्य विभाग की माने तो टीबी को लेकर लोगों में गलतफहमी है. इतने जागरूकता कार्यक्रमों के बाद भी लोग टीबी को लेकर अवेयर नहीं है. लोग टीबी के टेस्ट करवाने से आज भी हिचकिचा रहे हैं. स्वास्थ्य जांच शिविरों में अकसर देखा गया है कि अन्य टेस्ट करवाने की अपेक्षा टीबी के लिए सैंपल देने लोग आगे नहीं आ रहे हैं.

जांच के लिए आगे आए लोग: सीएमओ

सीएमओ सिरमौर डॉ. अजय पाठक ने बताया कि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 2025 तक देश व प्रदेश को टीबी फ्री करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके लिए विभाग ने अनेक कार्यक्रम चलाए हैं. उन्होंने बताया कि आज भी लोग टीबी की सैंपलिंग के लिए हिचकिचाते हैं. उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वह लक्षण दिखने पर टीबी की जांच के लिए आगे आए. इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसका इलाज संभव है.

टीबी सैंपल जांच के लिए 22 सेंटर

सीएमओ ने बताया कि सिरमौर जिले में टीबी सैंपल जांच के लिए 22 सेंटर उपलब्ध है. इनमें 15 डीएमसी, 4 सीबी नॉट और 3 ट्रूनेट सेंटरों के माध्यम से टीबी संभावित लोगों के सैंपल की जांच की जा रही है. सीबी नॉट सुविधा जिले के नाहन, पांवटा साहिब, शिलाई, राजगढ़, सराहां, ददाहू और सीएचसी ददाहू में उपलब्ध है. इसके अलावा जहां इन सैंटरों की सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां से आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से सैंपल लैब तक पहुंचाए जा रहे हैं.

जिले में अभी 630 टीबी के मरीज

जिला सिरमौर में वर्तमान में टीबी के 630 के करीब मरीज हैं, जिनका उपचार चल रहा है. मरीज के ठीक होने पर ये आंकड़ा कम ज्यादा होता रहता है. उन्होंने बताया कि जिले में हर साल औसतन 1200 से 1250 के मामले रहते हैं. ऐसे में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम और 2025 तक देश को टीबी फ्री करने के लक्ष्य को लेकर स्वास्थ्य विभाग को खासी करसत करनी पड़ रही है.

100 से अधिक निक्षय मित्रों ने मरीजों को किया अडॉप्ट

टीबी उन्मूलन को लेकर अनेक कार्यक्रम और योजनाएं चलाई जा रही है. टीबी मरीज को विभाग की ओर से उपचार के साथ-साथ 600 रुपये महीना के करीब राशि भी उपलब्ध करवाई जा रही, ताकि मरीज अच्छी डाइट लें. इसके अलावा निक्षय मित्र योजना के तहत टीबी मरीज को एडाप्ट करके उसे राशन मुहैया करवाया जा रहा है. जिले में 100 से अधिक निक्षय मित्रों ने टीबी मरीजों को अडॉप्ट किया है.

एडल्ट बीसीजी वैक्सीनेशन का 70% कार्य पूरा

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के उद्देश्य से टीबी उन्मूलन को लेकर चलाए गए कार्यक्रमों में एडल्ट बीसीजी वैक्सीनेशन भी एक है. सिरमौर जिले में 70 फीसदी के करीब इसे पूरा कर लिया गया है. एडल्ट बीसीजी वैक्सीनेशन कार्यक्रम को 6 कैटेगरी को शामिल किया गया है. इसमें उन लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं, जिन्हें पिछले पांच साल में टीबी हुई थी. दूसरा जो लोग पिछले तीन साल टीबी से ग्रसित लोगों के संपर्क में रहे, मधुमेह से ग्रसित और धूम्रपान करने वाले लोगों को भी टीके लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा जिनकी आयु 60 वर्ष या इससे अधिक हैं, उनको भी बीसीजी वैक्सीनेशन किया जा रहा है.

मेडिकल कॉलेज में वार्ड सहित तमाम सुविधाएं मौजूद

डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज नाहन के वरिष्ठ मेडिकल अधीक्षक डॉ. अमिताभ जैन ने बताया कि जिले में टीबी के मरीज भी काफी है. मेडिकल कॉलेज में भी टीबी के ईलाज और टेस्टिंग सहित मरीजों के लिए वार्ड आदि तमाम सुविधाएं उपलब्ध है. ऐसे में लोगों को घबराने की कोई भी जरूरत नहीं है. लक्षण पाए जाने पर तुरंत जांच के लिए आगे आएं.

टीबी के लक्षण और बचाव

लक्षण

  • लंबे समय तक खांसी
  • सीने में दर्द
  • खांसी में खून या बलगम आना
  • थकान या कमजोरी
  • भूख में कमी
  • वजन घटना
  • ठंड लगना
  • बुखार
  • रात को पसीना आना

टीबी से बचाव

  • हाथों को बार-बार अच्छी तरह धोएं
  • कोहनी पर खांसना या खांसते समय मुंह ढकना
  • अन्य लोगों के साथ निकट संपर्क से बचना
  • दवाइयां सही तरीके से लेना
  • बुखार, खांसी होने पर सैंपल की जांच करवाएं.

ये भी पढ़ें: सही समय पर जांच व इलाज से ठीक हो सकते हैं टीबी के मरीज

सिरमौर में टीबी के मामले (ETV Bharat)

नाहन: वर्ष 2025 तक देश और प्रदेश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन सरकार के इस सपने की राह में वह लोग रोड़ा बनते नजर आ रहे हैं, जो टीबी को लेकर गलतफहमी के चलते इसके टेस्ट करवाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं, या यूं कहे कि वह टीबी की सैंपलिंग के लिए हिचकिचा या फिर डर रहे हैं. ऐसा ही कुछ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में भी देखने को मिल रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को सैंपलिंग के लिए दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. दरअसल टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. टीबी ग्रस्त लोगों को उपचार और अन्य लोगों को जागरूक किया जा रहा है. हालांकि टीबी मामलों में कमी आई है, लेकिन अभी भी इस पर पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है.

टेस्ट करवाने आगे नहीं आ रहे लोग

स्वास्थ्य विभाग की माने तो टीबी को लेकर लोगों में गलतफहमी है. इतने जागरूकता कार्यक्रमों के बाद भी लोग टीबी को लेकर अवेयर नहीं है. लोग टीबी के टेस्ट करवाने से आज भी हिचकिचा रहे हैं. स्वास्थ्य जांच शिविरों में अकसर देखा गया है कि अन्य टेस्ट करवाने की अपेक्षा टीबी के लिए सैंपल देने लोग आगे नहीं आ रहे हैं.

जांच के लिए आगे आए लोग: सीएमओ

सीएमओ सिरमौर डॉ. अजय पाठक ने बताया कि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 2025 तक देश व प्रदेश को टीबी फ्री करवाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके लिए विभाग ने अनेक कार्यक्रम चलाए हैं. उन्होंने बताया कि आज भी लोग टीबी की सैंपलिंग के लिए हिचकिचाते हैं. उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वह लक्षण दिखने पर टीबी की जांच के लिए आगे आए. इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसका इलाज संभव है.

टीबी सैंपल जांच के लिए 22 सेंटर

सीएमओ ने बताया कि सिरमौर जिले में टीबी सैंपल जांच के लिए 22 सेंटर उपलब्ध है. इनमें 15 डीएमसी, 4 सीबी नॉट और 3 ट्रूनेट सेंटरों के माध्यम से टीबी संभावित लोगों के सैंपल की जांच की जा रही है. सीबी नॉट सुविधा जिले के नाहन, पांवटा साहिब, शिलाई, राजगढ़, सराहां, ददाहू और सीएचसी ददाहू में उपलब्ध है. इसके अलावा जहां इन सैंटरों की सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां से आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से सैंपल लैब तक पहुंचाए जा रहे हैं.

जिले में अभी 630 टीबी के मरीज

जिला सिरमौर में वर्तमान में टीबी के 630 के करीब मरीज हैं, जिनका उपचार चल रहा है. मरीज के ठीक होने पर ये आंकड़ा कम ज्यादा होता रहता है. उन्होंने बताया कि जिले में हर साल औसतन 1200 से 1250 के मामले रहते हैं. ऐसे में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम और 2025 तक देश को टीबी फ्री करने के लक्ष्य को लेकर स्वास्थ्य विभाग को खासी करसत करनी पड़ रही है.

100 से अधिक निक्षय मित्रों ने मरीजों को किया अडॉप्ट

टीबी उन्मूलन को लेकर अनेक कार्यक्रम और योजनाएं चलाई जा रही है. टीबी मरीज को विभाग की ओर से उपचार के साथ-साथ 600 रुपये महीना के करीब राशि भी उपलब्ध करवाई जा रही, ताकि मरीज अच्छी डाइट लें. इसके अलावा निक्षय मित्र योजना के तहत टीबी मरीज को एडाप्ट करके उसे राशन मुहैया करवाया जा रहा है. जिले में 100 से अधिक निक्षय मित्रों ने टीबी मरीजों को अडॉप्ट किया है.

एडल्ट बीसीजी वैक्सीनेशन का 70% कार्य पूरा

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के उद्देश्य से टीबी उन्मूलन को लेकर चलाए गए कार्यक्रमों में एडल्ट बीसीजी वैक्सीनेशन भी एक है. सिरमौर जिले में 70 फीसदी के करीब इसे पूरा कर लिया गया है. एडल्ट बीसीजी वैक्सीनेशन कार्यक्रम को 6 कैटेगरी को शामिल किया गया है. इसमें उन लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं, जिन्हें पिछले पांच साल में टीबी हुई थी. दूसरा जो लोग पिछले तीन साल टीबी से ग्रसित लोगों के संपर्क में रहे, मधुमेह से ग्रसित और धूम्रपान करने वाले लोगों को भी टीके लगाए जा रहे हैं. इसके अलावा जिनकी आयु 60 वर्ष या इससे अधिक हैं, उनको भी बीसीजी वैक्सीनेशन किया जा रहा है.

मेडिकल कॉलेज में वार्ड सहित तमाम सुविधाएं मौजूद

डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज नाहन के वरिष्ठ मेडिकल अधीक्षक डॉ. अमिताभ जैन ने बताया कि जिले में टीबी के मरीज भी काफी है. मेडिकल कॉलेज में भी टीबी के ईलाज और टेस्टिंग सहित मरीजों के लिए वार्ड आदि तमाम सुविधाएं उपलब्ध है. ऐसे में लोगों को घबराने की कोई भी जरूरत नहीं है. लक्षण पाए जाने पर तुरंत जांच के लिए आगे आएं.

टीबी के लक्षण और बचाव

लक्षण

  • लंबे समय तक खांसी
  • सीने में दर्द
  • खांसी में खून या बलगम आना
  • थकान या कमजोरी
  • भूख में कमी
  • वजन घटना
  • ठंड लगना
  • बुखार
  • रात को पसीना आना

टीबी से बचाव

  • हाथों को बार-बार अच्छी तरह धोएं
  • कोहनी पर खांसना या खांसते समय मुंह ढकना
  • अन्य लोगों के साथ निकट संपर्क से बचना
  • दवाइयां सही तरीके से लेना
  • बुखार, खांसी होने पर सैंपल की जांच करवाएं.

ये भी पढ़ें: सही समय पर जांच व इलाज से ठीक हो सकते हैं टीबी के मरीज

Last Updated : Jul 24, 2024, 12:11 PM IST
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