देहरादून: मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने हरिद्वार जिले में संस्थागत प्रसव में आई कमी के कारणों की जांच के लिए टास्क फोर्स बनाने के निर्देश दिए हैं. सचिवालय में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए राधा रतूड़ी ने कई बिंदुओं पर उनसे बात की. इस दौरान गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों के लिए आंगनवाड़ी में वैक्सीनेशन की अनिवार्य व्यवस्था करने, पर्वतीय जनपदों में वन स्टॉप सेंटर को गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतीक्षालय के रूप में उपयोग करने समेत कई मुद्दों पर बातचीत की.
उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों के लिए आंगनबाड़ियों में वैक्सीनेशन की अनिवार्य रूप से व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं. राज्य के पर्वतीय जिलों के दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव की सुविधा आसानी से मिले, इसके लिए भी मुख्य सचिव ने पर्वतीय जनपदों में वन स्टॉप सेंटर को गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतीक्षालय के रूप में उपयोग करने की व्यवस्था को पूरी तरह लागू करने के निर्देश दिए हैं. दरअसल सचिवालय में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की बैठक ले रही थीं. इस दौरान एक तरफ अधिकारियों से मौजूद व्यवस्थाओं की जानकारी ली गई तो साथ ही विभिन्न विषयों पर कुछ महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश भी दिए गए.
गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव से पहले होने वाली जांच के लिए अनिवार्य रूप से व्यवस्था बनाने के भी निर्देश दिए गए हैं. साथ ही हरिद्वार जैसे उच्च मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर वाले जिलों में ग्राम और ब्लॉक स्तर पर कैंप लगाकर गर्भवती महिलाओं को एएनसी जांच की सुविधा पहुंचाने के भी निर्देश दिए गए. मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि सरकारी अस्पतालों में अधिक से अधिक प्रसव करने के लिए एएनसी जांच के दौरान गर्भवती महिलाओं की काउंसलिंग करवाई जाए. इस दौरान गैर सरकारी संस्थाओं और सामाजिक संस्थाओं की मदद लेने के भी निर्देश दिए गए. उधर हरिद्वार जैसे जिले में संस्थागत प्रसव में कमी के कारणों की जांच के लिए उन्होंने टास्क फोर्स बनाने के भी निर्देश दिए.
बैठक के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताया गया कि जीरो हंगर के तहत उत्तराखंड के सभी जिलों में गर्भवती महिलाओं द्वारा टेक होम राशन स्कीम का लाभ उठाने का 100% लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है. 2019 -21 में राज्य का मातृ मृत्यु दर 103, शिशु मृत्यु दर 39.1 रहा है.
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