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गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में दिखेगी दुमका में उत्पादित तसर सिल्क की झांकी, उपायुक्त ने पूरी टीम को दी बधाई

Dumka Tasar Silk Tableau in Republic Day Parade. गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर झारखंड की झांकी में दुमका में उत्पादित तसर सिल्क का प्रारूप प्रदर्शित किया जाएगा. इसे लेकर सिल्क उद्योग से जुड़े लोग काफी उत्साहित हैं. उपायुक्त ने इससे जुड़ी पूरी टीम को बधाई दी है.

Dumka Tasar Silk Tableau
Dumka Tasar Silk Tableau
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 24, 2024, 8:55 PM IST

गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में दिखेगी दुमका में उत्पादित तसर सिल्क की झांकी

दुमका : गणतंत्र दिवस के मौके पर नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित होने वाले परेड में विभिन्न राज्यों की जो झांकी निकाली जायेगी, उसमें झारखंड द्वारा उपराजधानी दुमका में उत्पादित रेशम की झांकी भी शामिल है. निश्चित ही यह झांकी लोगों को आकर्षित करेगी. यह दुमका के लिए बेहद खुशी की बात है कि अथक मेहनत के दम पर कोकून उत्पादन से लेकर सूत निकालने और कपड़े बनाने तक का काम दुमका में होता है. जिसमें हजारों कोकून उत्पादक किसान और सैकड़ों महिला कारीगर लगे हुए हैं.

शहतूत के पेड़ों पर होता है कोकून का उत्पादन: आपको बता दें कि दुमका के जंगलों में शहतूत के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं. इस शहतूत के पेड़ पर कोकून का उत्पादन होता है, जिससे तसर का धागा निकाला जाता है. यहां तसर कोकून को सरकार द्वारा सीधे किसानों से खरीदा जाता है और उसके बाद महिलाओं को तसर कोकून से धागा निकालकर कपड़ा बुनने का प्रशिक्षण दिया गया और फिर उत्पादन शुरू हुआ.

प्रशिक्षक क्या कहते हैं?: दुमका में तसर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आगरा परियोजना के अधिकारी रह चुके और अभी भी प्रशिक्षक के रूप में काम कर रहे सुधीर कुमार सिंह कहते हैं कि यह बहुत खुशी की बात है कि हमारे दुमका के तसर का प्रदर्शन गणतंत्र दिवस पर होने जा रहा है.

उन्होंने कहा कि तसर उत्पादन के मामले में झारखंड देश में प्रथम स्थान पर है. देश के कुल तसर उत्पादन का 70 फीसदी उत्पादन अकेले झारखंड में होता है. जिसमें 40 फीसदी उत्पादन संथाल परगना प्रमंडल में होता है. तसर उत्पादन के मामले में दुमका राज्य में पहले स्थान पर है.

सुधीर सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दुमका में बने तसर सिल्क के कपड़ों की ब्रांडिंग की थी. इसका नाम मयूराक्षी सिल्क रखा गया. यहां सिल्क की साड़ी, सलवार सूट, जैकेट, बंडी, कुर्ता और भी बहुत सारी ड्रेस उपलब्ध हैं. हजारों किसान कोकून उत्पादन से जुड़े हैं जबकि करीब तीन सौ महिलाएं तसर का सूत निकालने और पोशाक तैयार करने के काम से जुड़ी हैं. जिसमें सहकारिता विभाग द्वारा दो सौ से अधिक महिलाओं को मयूराक्षी सिल्क आत्मनिर्भर समिति से जोड़ा गया है. अन्य को भी जोड़ने की प्रक्रिया जारी है. इधर, कामकाजी महिलाएं भी काफी खुश हैं क्योंकि उनके बनाये तसर के धागे और कपड़े पूरे देश में मशहूर हैं.

उपायुक्त ने जताई खुशी: इस पूरे मामले पर दुमका के उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे ने खुशी जताई और इसे बड़ी उपलब्धि बताया. उन्होंने इस बड़ी उपलब्धि के लिए तसर सिल्क से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी है.

मांग बढ़ेगी, लोगों को होगा फायदा: मयूराक्षी सिल्क आज एक बड़ा ब्रांड बन गया है, जिसकी मांग दूर-दूर तक फैली हुई है. यह झारखंड खासकर उपराजधानी दुमका के लिए खुशी के साथ-साथ गर्व की बात है कि गणतंत्र दिवस पर इसकी झांकी दिल्ली में प्रदर्शित होगी. लोगों का मानना है कि निश्चित तौर पर अब ज्यादा से ज्यादा लोग इसे जानेंगे. पूरे देश में दुमका के तसर सिल्क की मांग बढ़ेगी. जिसका सीधा फायदा सूत कातने और कपड़े बनाने वाली महिलाओं के साथ-साथ कोकून उत्पादक किसानों को भी होगा.

यह भी पढ़ें: झारखंडी सिल्क की चमक से चमकेगा कर्तव्य पथ, गणतंत्र दिवस समारोह में शानदार होगी झारखंड की झांकी

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यह भी पढ़ें: Pakur News: हूल दिवस पर छात्र छात्राओं ने निकाली झांकी, शहीदों को दी श्रद्धांजलि

गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली में दिखेगी दुमका में उत्पादित तसर सिल्क की झांकी

दुमका : गणतंत्र दिवस के मौके पर नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित होने वाले परेड में विभिन्न राज्यों की जो झांकी निकाली जायेगी, उसमें झारखंड द्वारा उपराजधानी दुमका में उत्पादित रेशम की झांकी भी शामिल है. निश्चित ही यह झांकी लोगों को आकर्षित करेगी. यह दुमका के लिए बेहद खुशी की बात है कि अथक मेहनत के दम पर कोकून उत्पादन से लेकर सूत निकालने और कपड़े बनाने तक का काम दुमका में होता है. जिसमें हजारों कोकून उत्पादक किसान और सैकड़ों महिला कारीगर लगे हुए हैं.

शहतूत के पेड़ों पर होता है कोकून का उत्पादन: आपको बता दें कि दुमका के जंगलों में शहतूत के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं. इस शहतूत के पेड़ पर कोकून का उत्पादन होता है, जिससे तसर का धागा निकाला जाता है. यहां तसर कोकून को सरकार द्वारा सीधे किसानों से खरीदा जाता है और उसके बाद महिलाओं को तसर कोकून से धागा निकालकर कपड़ा बुनने का प्रशिक्षण दिया गया और फिर उत्पादन शुरू हुआ.

प्रशिक्षक क्या कहते हैं?: दुमका में तसर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आगरा परियोजना के अधिकारी रह चुके और अभी भी प्रशिक्षक के रूप में काम कर रहे सुधीर कुमार सिंह कहते हैं कि यह बहुत खुशी की बात है कि हमारे दुमका के तसर का प्रदर्शन गणतंत्र दिवस पर होने जा रहा है.

उन्होंने कहा कि तसर उत्पादन के मामले में झारखंड देश में प्रथम स्थान पर है. देश के कुल तसर उत्पादन का 70 फीसदी उत्पादन अकेले झारखंड में होता है. जिसमें 40 फीसदी उत्पादन संथाल परगना प्रमंडल में होता है. तसर उत्पादन के मामले में दुमका राज्य में पहले स्थान पर है.

सुधीर सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दुमका में बने तसर सिल्क के कपड़ों की ब्रांडिंग की थी. इसका नाम मयूराक्षी सिल्क रखा गया. यहां सिल्क की साड़ी, सलवार सूट, जैकेट, बंडी, कुर्ता और भी बहुत सारी ड्रेस उपलब्ध हैं. हजारों किसान कोकून उत्पादन से जुड़े हैं जबकि करीब तीन सौ महिलाएं तसर का सूत निकालने और पोशाक तैयार करने के काम से जुड़ी हैं. जिसमें सहकारिता विभाग द्वारा दो सौ से अधिक महिलाओं को मयूराक्षी सिल्क आत्मनिर्भर समिति से जोड़ा गया है. अन्य को भी जोड़ने की प्रक्रिया जारी है. इधर, कामकाजी महिलाएं भी काफी खुश हैं क्योंकि उनके बनाये तसर के धागे और कपड़े पूरे देश में मशहूर हैं.

उपायुक्त ने जताई खुशी: इस पूरे मामले पर दुमका के उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे ने खुशी जताई और इसे बड़ी उपलब्धि बताया. उन्होंने इस बड़ी उपलब्धि के लिए तसर सिल्क से जुड़े सभी लोगों को बधाई दी है.

मांग बढ़ेगी, लोगों को होगा फायदा: मयूराक्षी सिल्क आज एक बड़ा ब्रांड बन गया है, जिसकी मांग दूर-दूर तक फैली हुई है. यह झारखंड खासकर उपराजधानी दुमका के लिए खुशी के साथ-साथ गर्व की बात है कि गणतंत्र दिवस पर इसकी झांकी दिल्ली में प्रदर्शित होगी. लोगों का मानना है कि निश्चित तौर पर अब ज्यादा से ज्यादा लोग इसे जानेंगे. पूरे देश में दुमका के तसर सिल्क की मांग बढ़ेगी. जिसका सीधा फायदा सूत कातने और कपड़े बनाने वाली महिलाओं के साथ-साथ कोकून उत्पादक किसानों को भी होगा.

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