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जल गुरु महेंद्र मोदी ने हजारीबाग जिला स्कूल को दिया उपहार, खास मॉडल से जल संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा - JAL GURU MAHENDRA MODI

हजारीबाग जिला स्कूल में एक खास मॉडल पर विशेष टैंक का निर्माण कराया गया है. इस टैंक की मदद से जल संरक्षण का काम होगा.

Jal Guru Mahendra Modi
हजारीबाग जिला स्कूल में अपने मॉडल का लोकार्पण करते जल गुरु महेंद्र मोदी. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 21, 2025, 7:30 PM IST

हजारीबागः जल गुरु के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले सेवानिवृत्त आईपीएस महेंद्र मोदी ने हजारीबाग जिला स्कूल को एक खास उपहार दिया है. उन्होंने अपने मॉडल को स्कूल में स्थापित किया है, ताकि विद्यालय में जल संरक्षण को बढ़ावा मिले और कभी भी पेयजल की कमी न हो.

स्कूल में कराया गया विशेष टैंक का निर्माण

दरअसल, महेंद्र मोदी ने अपने एल्युमिनी एसोसिएशन के सहयोग से स्कूल में भूगर्भीय जल संरक्षण के लिए विशेष टैंक का निर्माण कराया है. यह टैंक 500 मीटर तक पानी संरक्षित करने की क्षमता रखता है, जो विद्यालय परिसर और आसपास के क्षेत्र में जल आपूर्ति को सुगम बनाएगा. आपको बता दें कि सेवानिवृत्त आईपीएस महेंद्र मोदी हजारीबाग जिला स्कूल के पूर्व विद्यार्थी रह चुके हैं. यहां से पढ़-लिखकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जल संरक्षण के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है. हजारीबाग जिला स्कूल के पूर्ववर्ती छात्र महेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश में आईपीएस अधिकारी भी रह चुके हैं.

हजारीबाग जिला स्कूल में जानकारी देते जल गुरु महेंद्र मोदी और स्कूल की प्रभारी प्रिंसिपल का बयान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

जिला स्कूल के पूर्ववर्ती छात्र की पहल

महेंद्र मोदी वर्ष 2008 से ही जल संरक्षण के लिए जागरुकता कार्यक्रम चला रहे हैं. उन्होंने दुनिया को भूगर्भीय जल संरक्षित करने के लिए एक खास मॉडल भी दिया है. जिसका उन्होंने पेटेंट भी करवा रखा है. इसी मॉडल पर स्कूल में टैंक का निर्माण कराया गया है. महेंद्र मोदी ने बताया कि हजारीबाग जिला स्कूल ने उन्होंने अनुशासन, ज्ञान और मूल्यों की शिक्षा दी है. यहां पढ़ते हुए उन्होंने जेपी आंदोलन में भी भाग लिया था. उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भूगर्भीय जल को बचाए रखना बेहद जरूरी है. इसके लिए बच्चों को अभी से ही जागरूक करना बेहद जरूरी है.

सेवानिवृत्त आईपीएस का मॉडल खास

रिटायर्ड डीजीपी महेंद्र मोदी का यह मॉडल बेहद खास है. उन्होंने मॉडल का नाम (Rain water collection, purifying and supply system without using energy) नाम दिया गया है. इसका पेटेंट उन्हें अवॉर्ड हो चुका है. इस आविष्कार में आकाशीय जल को भू-गर्भ में लाने और रिचार्ज के पहले छत से उतारने के साथ ही टंकी में संरक्षित किया जाता है. इस टंकी में चार चेंबर बनाए जाते हैं, जो जल संरक्षण और शुद्धिकरण की विशेष काम करने में सक्षम होते है. जल आपूर्ति के दौरान ही इसे विशेष तकनीक से प्रारंभिक रूप से स्वच्छ कर लिया जाता है. इसके चार चैंबर की प्रक्रिया में रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) की आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योंकि इसमें आर्सेनिक या अन्य हानिकारक तत्व मौजूद नहीं होते, जिससे यह पानी पूरी तरह सुरक्षित और स्वच्छ बना रहता है.

अब बारिश के पानी का होगा सदुपयोग

इस संबंध में विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका निकिता कुमारी ने बताया कि यह मॉडल बेहद खास है. जिला स्कूल 5 एकड़ में फैला हुआ है. बरसात के दिनों में पानी बर्बाद होता था. अब पानी का सदुपयोग हो पाएगा और वाटर लेवल भी मेंटेन रहेगा. उन्होंने बताया कि हजारीबाग में अभी जल की समस्या नहीं है. लोग अभी से ही सावधान हो जाएंगे तो आने वाले पीढ़ी को शुद्ध जल दे पाएंगे.

बच्चों में दिखा गजब का उत्साह

वहीं जल गुरु महेंद्र मोदी के मॉडल पर विशेष टैंक के निर्माण से स्कूल के बच्चों ने बेहद उत्साह नजर आया. अपने सीनियर छात्र रह चुके महेंद्र मोदी का बच्चों ने अभिवादन किया. बच्चों ने भी कहा कि उनके द्वारा स्कूल को भेंट किया गया यह मॉडल जल संरक्षण में बेहद मददगार साबित होगा.

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स्कूल में कराया गया विशेष टैंक का निर्माण

दरअसल, महेंद्र मोदी ने अपने एल्युमिनी एसोसिएशन के सहयोग से स्कूल में भूगर्भीय जल संरक्षण के लिए विशेष टैंक का निर्माण कराया है. यह टैंक 500 मीटर तक पानी संरक्षित करने की क्षमता रखता है, जो विद्यालय परिसर और आसपास के क्षेत्र में जल आपूर्ति को सुगम बनाएगा. आपको बता दें कि सेवानिवृत्त आईपीएस महेंद्र मोदी हजारीबाग जिला स्कूल के पूर्व विद्यार्थी रह चुके हैं. यहां से पढ़-लिखकर उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जल संरक्षण के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है. हजारीबाग जिला स्कूल के पूर्ववर्ती छात्र महेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश में आईपीएस अधिकारी भी रह चुके हैं.

हजारीबाग जिला स्कूल में जानकारी देते जल गुरु महेंद्र मोदी और स्कूल की प्रभारी प्रिंसिपल का बयान. (वीडियो-ईटीवी भारत)

जिला स्कूल के पूर्ववर्ती छात्र की पहल

महेंद्र मोदी वर्ष 2008 से ही जल संरक्षण के लिए जागरुकता कार्यक्रम चला रहे हैं. उन्होंने दुनिया को भूगर्भीय जल संरक्षित करने के लिए एक खास मॉडल भी दिया है. जिसका उन्होंने पेटेंट भी करवा रखा है. इसी मॉडल पर स्कूल में टैंक का निर्माण कराया गया है. महेंद्र मोदी ने बताया कि हजारीबाग जिला स्कूल ने उन्होंने अनुशासन, ज्ञान और मूल्यों की शिक्षा दी है. यहां पढ़ते हुए उन्होंने जेपी आंदोलन में भी भाग लिया था. उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भूगर्भीय जल को बचाए रखना बेहद जरूरी है. इसके लिए बच्चों को अभी से ही जागरूक करना बेहद जरूरी है.

सेवानिवृत्त आईपीएस का मॉडल खास

रिटायर्ड डीजीपी महेंद्र मोदी का यह मॉडल बेहद खास है. उन्होंने मॉडल का नाम (Rain water collection, purifying and supply system without using energy) नाम दिया गया है. इसका पेटेंट उन्हें अवॉर्ड हो चुका है. इस आविष्कार में आकाशीय जल को भू-गर्भ में लाने और रिचार्ज के पहले छत से उतारने के साथ ही टंकी में संरक्षित किया जाता है. इस टंकी में चार चेंबर बनाए जाते हैं, जो जल संरक्षण और शुद्धिकरण की विशेष काम करने में सक्षम होते है. जल आपूर्ति के दौरान ही इसे विशेष तकनीक से प्रारंभिक रूप से स्वच्छ कर लिया जाता है. इसके चार चैंबर की प्रक्रिया में रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) की आवश्यकता नहीं पड़ती, क्योंकि इसमें आर्सेनिक या अन्य हानिकारक तत्व मौजूद नहीं होते, जिससे यह पानी पूरी तरह सुरक्षित और स्वच्छ बना रहता है.

अब बारिश के पानी का होगा सदुपयोग

इस संबंध में विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका निकिता कुमारी ने बताया कि यह मॉडल बेहद खास है. जिला स्कूल 5 एकड़ में फैला हुआ है. बरसात के दिनों में पानी बर्बाद होता था. अब पानी का सदुपयोग हो पाएगा और वाटर लेवल भी मेंटेन रहेगा. उन्होंने बताया कि हजारीबाग में अभी जल की समस्या नहीं है. लोग अभी से ही सावधान हो जाएंगे तो आने वाले पीढ़ी को शुद्ध जल दे पाएंगे.

बच्चों में दिखा गजब का उत्साह

वहीं जल गुरु महेंद्र मोदी के मॉडल पर विशेष टैंक के निर्माण से स्कूल के बच्चों ने बेहद उत्साह नजर आया. अपने सीनियर छात्र रह चुके महेंद्र मोदी का बच्चों ने अभिवादन किया. बच्चों ने भी कहा कि उनके द्वारा स्कूल को भेंट किया गया यह मॉडल जल संरक्षण में बेहद मददगार साबित होगा.

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