नई दिल्ली: देश के अस्पतालों में महिला डॉक्टरों और चिकित्सा स्टाफ की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है. हाल ही में कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर की रेप और हत्या की घटना ने इस विषय को नई ऊंचाई दी है, जिसके बाद दिल्ली में डॉक्टरों ने सुरक्षा को लेकर धरना प्रदर्शन और हड़ताल किया. इस संदर्भ में, दिल्ली एम्स ने एक पहल की है, जिसमें महिला डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.
कार्यक्रम का उद्देश्य और विशेषताएं
दिल्ली पुलिस की विशेष पुलिस इकाई महिला और बच्चों के लिए (SPUWAC) ने नई दिल्ली के AIIMS में इस आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम की मेज़बानी की. इस पहले बैच में 100 महिला प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें महिला डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, रिसर्चर और साइंटिस्ट शामिल हैं. इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं के व्यक्तिगत सुरक्षा कौशल को बढ़ाना और उन्हें आत्मविश्वास प्रदान करना है.
आत्मरक्षा के व्यावहारिक कौशल: प्रतिभागियों को दैनिक जीवन की वस्तुओं, जैसे डुपट्टा, पेन, और हैंडबैग का उपयोग करके आत्मरक्षा के तरीके सिखाए गए. इसका उद्देश्य महिलाओं को यह बताना है कि उनके पास हमेशा अपने बचाव के लिए साधन होते हैं.
कानूनी अधिकारों और हेल्पलाइन की जानकारी: कार्यक्रम में प्रतिभागियों को उनके कानूनी अधिकारों और आपातकालीन स्थिति में सहायता प्राप्त करने के लिए उपलब्ध हेल्पलाइन की जानकारी दी गई.
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कानूनी जागरूकता: इस कार्यक्रम का एक महत्त्वपूर्ण पहलू मानसिक मजबूती का विकास करना भी था. महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना सिखाया गया, जिससे वे जरूरत पड़ने पर अपने अधिकारों का सही ढंग से प्रयोग कर सकें.
SPUWAC की उपलब्धियां: SPUWAC ने अब तक 557,118 महिलाओं को प्रशिक्षित किया है. यह प्रोग्राम ना सिर्फ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह उन्हें चिकित्सा क्षेत्र में एक सुरक्षित माहौल प्रदान करने का भी एक प्रयास है.
कार्यक्रम के समापन समारोह में अनेक प्रमुख हस्तियां शामिल थीं, जिनमें छाया शर्मा, IPS, विशेष पुलिस आयुक्त, और डॉ. एम. श्रीनिवास, AIIMS के निदेशक, शामिल थे. छाया शर्मा ने कहा, "दिल्ली पुलिस का यह प्रयास महिलाओं को हर क्षेत्र में सुरक्षित और आत्मविश्वासी बनाने की दिशा में है."
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