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ताजमहल या तेजोमहालय; जलाभिषेक-दुग्धाभिषेक की मांग पर अगली सुनवाई 13 सितंबर को - Taj Mahal or Tejomahalaya - TAJ MAHAL OR TEJOMAHALAYA

यूपी में ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद चर्चा में है. योगी यूथ ब्रिगेड ने ताजमहल को तेजोमहालय बताते हुए जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग को लेकर वाद दाखिल किया था, जिसकी न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में मंगलवार दोपहर सुनवाई हुई.

ताजमहल या तेजोमहालय विवाद.
ताजमहल या तेजोमहालय विवाद. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 27, 2024, 3:06 PM IST

आगरा: यूपी में ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद चर्चा में है. योगी यूथ ब्रिगेड ने ताजमहल को तेजोमहालय बताते हुए जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग को लेकर वाद दाखिल किया था, जिसकी न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में मंगलवार दोपहर सुनवाई हुई. जिसमें वादी अधिवक्ता और प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा. प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल की ओर से अधिवक्ता विवेक कुमार ने कोर्ट को अवगत कराया कि अभी तक हमें इस मामले में नकल नहीं मिली है. जिसकी वजह से जबाव तैयार नहीं हो पाया है. जबकि वादी अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने अदालत को अवगत कराया कि पिछली तारीख पर प्रतिवादी ने इस बारे में जानकारी नहीं दी थी. ये टालने वाली बात है. इस पर न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने इस मामले में सुनवाई की तारीख 13 सितंबर नियत की है.

ताजमहल या तेजोमहालय विवाद. (Video Credit; ETV Bharat)

बता दें कि योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने कोर्ट में वाद दायर किया था. जिससे ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद गरमाया. क्योंकि, कोर्ट में ताजमहल में भगवान महादेव के जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की गई थी.

वादी अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि एएसआई के अधिवक्ता ने सुनवाई में मामले को टालने का प्रयास किया. उन्होंने अदालत में कहा कि, इस मामले की हमें नकलें नहीं मिली हैं. पिछली तारीख पर प्रतिवादी अधिवक्ता ने ऐसी कोई बात नहीं बताई थी. प्रतिवादी को हमने नकलें उपलब्ध कराई हैं. इस मामले में कोर्ट ने अब सुनवाई की अगली तारीख 13 सितंबर दी है. जिस पर अदालत जरूर कोई ना कोई आदेश जरूर करेगी.

वाद में ये किया गया दावा : वादी कुंवर अजय तोमर का दावा है कि सन 1212 में राजा पर्मादिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था, जो तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा पर्मादिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया. मगर राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा. बाद में मुगल शहंशाह शाहजहां ने राजा मानसिंह से तेजोमहालय को हड़प लिया. जिस पर ही ताजमहल का निर्माण हुआ. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र नहीं है. यह एक सफेद झूठ है. क्योंकि मुमताज का निधन 1631 में हो गया था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है. जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.

मुख्य मकबरे के कलश हिन्दू मंदिरों की तरह : वादी प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर का कहना है कि बादशाह शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने अपने पिता को 1652 में खत लिखकर इमारत में दरारें आने की जानकारी दी थी. इसके साथ ही मरम्मत कराने की मांग की थी. जिससे साफ है कि कहीं न कहीं पुराने ही किसी चिन्ह पर इसे मॉडिफाई किया है. मुख्य मकबरे पर कलश है. वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. क्योंकि आज भी हिन्दू मंदिरों पर कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा है. इसके साथ ही कलश और चंद्रमा की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो भगवान शिव का चिह्न है.

ताजमहल में शिव मंदिर के तमाम सबूत: वादी अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर का कहना है कि ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह अंकित हैं, जो हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. इनका सनातन धर्म में महत्व है. हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. ऐसे ही तेजोमहालय यानी ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.

आक्रांता ने हिंदू धार्मिक स्थल ध्वस्त कर बनाए मकबरे : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि विदेशी आक्रांता मुगल जब भारत में आए तो उन्होंने मंदिर ध्वस्त करके उन पर मकबरे बनवाए. किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. मुगलों ने मंदिर ध्वस्त करके अपने नाम की नेम प्लेट धार्मिक स्थलों पर लगा रखी है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करता है. वहां उर्स भी होता है. फिर, सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकता है. न्यायालय में मामला विचाराधीन है. इसलिए इस सावन में तेजोमहालय में जलाभिषेक नहीं कर सके.

दोबारा किया वाद दायर : वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर का कहना है कि तेजोमहालय हिंदू मंदिर है. जहां सावन के महीने में जलाभिषेक होना चाहिए. पूर्व में शिवरात्रि पर जलाभिषेक के लिए 4 मार्च 2024 में अदालत में वाद दायर किया था. जिसे न्यायालय ने धारा 80 सीपीसी की छूट न देकर खारिज कर दिया था. इसके बाद 26 अप्रैल 2024 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ.राजकुमार पटेल को धारा 80 सीपीसी का नोटिस भेजा था. जिसका जवाब नहीं आने पर दोबारा जलाभिषेक की मांग का वाद दायर किया है.

यह भी पढ़ें : जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर आरती की थाल लेकर पहुंचा हिंदूवादी नेता, महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष को भी पुलिस ने रोका, पढ़िए डिटेल - Agra Jama Masjid Janmashtami

आगरा: यूपी में ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद चर्चा में है. योगी यूथ ब्रिगेड ने ताजमहल को तेजोमहालय बताते हुए जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग को लेकर वाद दाखिल किया था, जिसकी न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में मंगलवार दोपहर सुनवाई हुई. जिसमें वादी अधिवक्ता और प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा. प्रतिवादी एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल की ओर से अधिवक्ता विवेक कुमार ने कोर्ट को अवगत कराया कि अभी तक हमें इस मामले में नकल नहीं मिली है. जिसकी वजह से जबाव तैयार नहीं हो पाया है. जबकि वादी अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने अदालत को अवगत कराया कि पिछली तारीख पर प्रतिवादी ने इस बारे में जानकारी नहीं दी थी. ये टालने वाली बात है. इस पर न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने इस मामले में सुनवाई की तारीख 13 सितंबर नियत की है.

ताजमहल या तेजोमहालय विवाद. (Video Credit; ETV Bharat)

बता दें कि योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने कोर्ट में वाद दायर किया था. जिससे ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद गरमाया. क्योंकि, कोर्ट में ताजमहल में भगवान महादेव के जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की गई थी.

वादी अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि एएसआई के अधिवक्ता ने सुनवाई में मामले को टालने का प्रयास किया. उन्होंने अदालत में कहा कि, इस मामले की हमें नकलें नहीं मिली हैं. पिछली तारीख पर प्रतिवादी अधिवक्ता ने ऐसी कोई बात नहीं बताई थी. प्रतिवादी को हमने नकलें उपलब्ध कराई हैं. इस मामले में कोर्ट ने अब सुनवाई की अगली तारीख 13 सितंबर दी है. जिस पर अदालत जरूर कोई ना कोई आदेश जरूर करेगी.

वाद में ये किया गया दावा : वादी कुंवर अजय तोमर का दावा है कि सन 1212 में राजा पर्मादिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया था, जो तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा पर्मादिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया. मगर राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा. बाद में मुगल शहंशाह शाहजहां ने राजा मानसिंह से तेजोमहालय को हड़प लिया. जिस पर ही ताजमहल का निर्माण हुआ. तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र नहीं है. यह एक सफेद झूठ है. क्योंकि मुमताज का निधन 1631 में हो गया था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था. किसी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है. जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.

मुख्य मकबरे के कलश हिन्दू मंदिरों की तरह : वादी प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर का कहना है कि बादशाह शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने अपने पिता को 1652 में खत लिखकर इमारत में दरारें आने की जानकारी दी थी. इसके साथ ही मरम्मत कराने की मांग की थी. जिससे साफ है कि कहीं न कहीं पुराने ही किसी चिन्ह पर इसे मॉडिफाई किया है. मुख्य मकबरे पर कलश है. वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. क्योंकि आज भी हिन्दू मंदिरों पर कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा है. इसके साथ ही कलश और चंद्रमा की नोंक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है, जो भगवान शिव का चिह्न है.

ताजमहल में शिव मंदिर के तमाम सबूत: वादी अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर का कहना है कि ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह अंकित हैं, जो हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. इनका सनातन धर्म में महत्व है. हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. ऐसे ही तेजोमहालय यानी ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.

आक्रांता ने हिंदू धार्मिक स्थल ध्वस्त कर बनाए मकबरे : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि विदेशी आक्रांता मुगल जब भारत में आए तो उन्होंने मंदिर ध्वस्त करके उन पर मकबरे बनवाए. किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. मुगलों ने मंदिर ध्वस्त करके अपने नाम की नेम प्लेट धार्मिक स्थलों पर लगा रखी है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करता है. वहां उर्स भी होता है. फिर, सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकता है. न्यायालय में मामला विचाराधीन है. इसलिए इस सावन में तेजोमहालय में जलाभिषेक नहीं कर सके.

दोबारा किया वाद दायर : वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर का कहना है कि तेजोमहालय हिंदू मंदिर है. जहां सावन के महीने में जलाभिषेक होना चाहिए. पूर्व में शिवरात्रि पर जलाभिषेक के लिए 4 मार्च 2024 में अदालत में वाद दायर किया था. जिसे न्यायालय ने धारा 80 सीपीसी की छूट न देकर खारिज कर दिया था. इसके बाद 26 अप्रैल 2024 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ.राजकुमार पटेल को धारा 80 सीपीसी का नोटिस भेजा था. जिसका जवाब नहीं आने पर दोबारा जलाभिषेक की मांग का वाद दायर किया है.

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