शिमला: बरसात के मौसम में स्क्रब टाइफस के मामले बढ़ जाते हैं. इस ऑर्गन फेलियर और इससे इंसानों की मौत तक हो सकती है. इसके लक्षण तो डेंगू जैसे ही दिखते हैं, लेकिन खून की जांच में न ही डेंगू और न ही टाइफाइड की पुष्टि होती है. स्क्रब टाइफस, जिसे बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है. स्क्रब टाइफस रोग रिकिटेशिया जीवाणु के संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाड़ियों और घास पतवार में रहने वाले चूहों में पनपता है. सही समय पर इलाज न मिलने के कारण स्क्रब टाइफस जानलेवा बीमारी बन जाती है. ये एक गैर संक्रामक रोग है.
आईजीएमसी शिमला में हर साल स्क्रब टाइफस के दर्जनों मामले आते हैं. वीरवार को शिमला की 22 साल एक युवती के स्क्रब टाइफस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है. बीते सोमवार को 5 लोग पॉजीटिव पाए गए थे. अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राहुल राव ने बताया कि सभी मरीजों की हालत में सुधार है. आईजीएमसी के एमएस डॉ. राहुल राव ने बताया कि बरसात के दिनों में स्क्रब टाइफस के अधिक मामले सामने आते हैं.
घास में रहने वाले चूहों में पनपता है ये पिस्सू
डॉ. राहुल राव ने बताया स्क्रब टाइफस एक बैक्टीरिया से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है. ये बैक्टीरिया खेतों, झाड़ियों, घासनियों और घर के आसपास घास में रहने वाले चूहों में पनपता है. जब ये बैक्टीरिया काटता है तो इससे शरीर संक्रमित हो जाता है. ये संक्रमण धीरे धीरे स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है. इसकी चपेट में अधिकतर पशुपालक आते हैं. उच्च आद्रता वाले क्षेत्रों में जब पशुपालक खेतों, घासनियों, पेड़ों, झाड़ियों में पशुओं के लिए घास या चारा लेने जाते हैं, उस समय ये बैक्टीरिया पशुपालकों के काटकर संक्रमित कर देता है.
CDC (यूएस सेंटर फॉर डिजीज एंड कंट्रोल प्रीवेंशन) के मुताबिक स्क्रब टाइफस को रोकने के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है. संक्रमित चिगर्स (पिस्सु) के संपर्क से बचकर स्क्रब टाइफस होने के जोखिम को कम करें. उन क्षेत्रों में यात्रा करते समय जहां स्क्रब टाइफस आम है, बहुत सारी वनस्पतियों और झाड़ियों वाले क्षेत्रों में जाने से बचें, जहां चिगर्स पाए जा सकते हैं.
सीडीसी के मुताबिक स्क्रब टाइफस के ज़्यादातर मामले दक्षिण-पूर्व एशिया, इंडोनेशिया, चीन, जापान, भारतीय उपमहाद्वीप और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण इलाकों में पाए जाते हैं. स्क्रब टाइफस वाले इलाकों में रहने वाले या वहां जाने वाले किसी भी व्यक्ति को यह बीमारी हो सकती है. CDC के मुताबिक स्क्रब टाइफस के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 10 दिनों के भीतर शुरू होते हैं. स्क्रब टाइफस के लक्षणों में 105 डिग्री तक बुखार, ठंड लगना, शरीद में दर्द इत्यादि हैं. पिस्सू के काटने से शरीर में जलने जैसा एक निशान भी बन जाता है. सही समय पर सही इलाज न मिलने पर स्क्रब टाइफस घातक हो सकता है.
कैसे करें बचाव
कुछ सावधानियां बरत कर स्क्रब टाइफस से बचा जा सकता है, जहां पर स्क्रब टाइफस का खतरा है वहां, पर जाने से पहले खुली त्वचा पर और कपड़ों पर पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) द्वारा पंजीकृत कीट निवारक का उपयोग करें, जिसमें DEET या अन्य सक्रिय तत्व शामिल हों.
- यदि आप सनस्क्रीन का भी उपयोग कर रहे हैं, तो कीट निवारक दवा लगाने से पहले सनस्क्रीन लगाएं.
- अपने बच्चे को ऐसे कपड़े पहनाएं जो हाथ और पैर को ढके.
- बच्चे के हाथ, आंख या मुंह पर कट या जलन वाली त्वचा पर कीट निवारक दवा न लगाएं.
घर के आस-पास ऐसे रखें सफाई
सफाई का ध्यान रखें घर और आसपास के साफ सफाई रखें. घर के चारों ओर घास, खरपतवार न उगने दें. कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें. स्क्रब टाइफस के लक्षण कई अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते हैं, इसलिए सिर्फ रक्त जांच के बाद ही स्क्रब टाइफस की पुष्टि होती है. यदि आपको ऊपर लिखे कुछ लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर से परामर्श लें.
कैसे होता है उपचार
CDC के मुताबिक स्क्रब टाइफस का इलाज एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन से किया जाना चाहिए. डॉक्सीसाइक्लिन का इस्तेमाल किसी भी उम्र के व्यक्ति में किया जा सकता है. लक्षणों की शुरूआत में एंटीबायोटिक्स सबसे ज़्यादा प्रभावी होते हैं.