कोरिया : प्रदेश के में स्वाइन फ्लू की दस्तक से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है. कोरिया और मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में स्वाइन फ्लू के एक-एक मरीज पॉजिटिव मिले हैं. इन दोनों को मिलाकर प्रदेश में अब तक स्वाइन फ्लू के करीब 9 मरीज पॉजिटिव मिले हैं. इन सभी मरीजों का इलाज बिलासपुर स्थित अपोलो हॉस्पिटल में चल रहा है.
स्वाइन फ्लू पॉजिटिव दो मरीजों की मौत : इस बीच स्वाइन फ्लू पॉजिटिव दो मरीजों की आज ईलाज के दौरान मौत हो गई. अपोलो अस्पताल में दोनों महिला मरीजों का उपचार चल रहा था. मृतक दोनों महिलाओं में से एक मरीज कोरिया और दूसरी जांजगीर की रहने वाली थी. फिलहाल, चार अन्य स्वाइन फ्लू मरीजों का अपोलो अस्पताल में उपचार जारी है. इनमें बिलासपुर, GPM जिला और जांजगीर के मरीज शामिल हैं.
"स्वाइन फ्लू मरीजों के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है. साथ ही अस्पतालों में इसकी जांच, उपचार और दवाइयों की उपलबध्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं." - डॉ प्रभात श्रीवास्तव, सीएमएचओ, बिलासपुर
कोरिया के मरीज की स्वाइन फ्लू से मौत : जिले की एक महिला मरीज की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई. महिला का इलाज बिलासपुर अपोलाे हॉस्पिटल में चल रहा था. महिला को ज्यादा कफ बनने और कमजोरी की वजह से उसे कोरिया जिला अस्पताल लाया गया था. उसे 4 अगस्त को परिजन बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल लेकर गए थे. महिला को वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था, लेकिन उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. अब स्वास्थ्य विभाग की टीम पाण्डवपारा में घर-घर सर्वे करेगी. सर्वे के बाद जानकारी मिलेगी कि इससे स्थानीय लोग प्रभावित हैं या नहीं.
"बारिश में किसी भी वायरस का असर ज्यादा रहता है. स्वाइन फ्लू में सर्दी, बुखार, जुकाम के सामान्य लक्षण रहते हैं, लेकिन यह सामान्य बुखार, सर्दी, जुकाम की दवा से ठीक नहीं होता है. इसलिए इधर-उधर इलाज न कराएं और जिला अस्पताल पहुंचकर अपनी जांच कराएं." - डॉ. आरएस सेंगर, सीएमएचओ, जिला अस्पताल कोरिया
घर-घर सर्वे करेगी स्वास्थ्य विभाग की टीम : स्वाइन फ्लू से महिला की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम पाण्डवपारा में घर-घर सर्वे कर रही है. सर्दी, खांसी व बुखार के मरीजों की जांच की जा रही है. जांच के बाद स्वाइन फ्लू से प्रभावितों की जानकारी सामने आएगी. सुरक्षा के लिए लोगों को मास्क का उपयोग करने के लिए कहा गया है.
किसे कहते हैं स्वाइन फ्लू : स्वाइन फ्लू H1N1 इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है, जो मूल रूप से सूअरों को संक्रमित करता है. इनके संपर्क में आने से संक्रमण इंसानों को भी फैल जाता है. इसके साथ ही कोई स्वाइन प्लू से पीड़ित मरीज खांसता या छींकता है, तो हवा में श्वसन बूंद के जरिए यह दूसरे व्यक्ति में पहुंच जाता है. इस वजह से दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है. इसके अलावा वायरस से संक्रमित वस्तुओं को छूने से भी संक्रमण हो सकता है. स्वाइन फ्लू वायरस से संक्रमित व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो सकता है या मरीज की जान भी जा सकती है. इसलिए स्वाइन फ्लू से सावधान और सतर्क रहना बेहद जरूरी है.
ऐसे लोग रहें ज्यादा सावधान : इस श्रेणी में 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को पहले रखा गया है. इसके बाद 5 साल से कम उम्र के छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाओं को रखा गया है. इसके साथ ही अस्थमा, कैंसर, हृदय रोग, सांस की समस्या, मधुमेह रोग जैसी पुरानी बीमारी वाले व्यक्तियों को भी स्वाइन फ्लू संक्रमण से ग्रसित होने का अत्यधिक खतरा बना रहता है.
- टीकाकरण - स्वाइन फ्लू (H1N1) स्ट्रेन सहित फ्लू के खिलाफ टीका लगवाना इससे बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है.
- हाथों की स्वच्छता - अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक धोएं. खासकर खांसने या छींकने के बाद और खाने से पहले या अपना चेहरा छूने से पहले हाथ धोएं.
- श्वसन स्वच्छता - श्वसन बूंदों के प्रसार को रोकने के लिए खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को रुमाल या अपनी कोहनी से ढकें.
- निकट संपर्क से बचाव - जो लोग बीमार हैं, उनके साथ निकट संपर्क से बचें. यदि आप अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं, तो दूसरों में वायरस फैलने से रोकने के लिए घर पर ही रहें.
- साफ और कीटाणु रहित रहना - हमारे घर हो या ऑफिस, बार-बार छुई जाने वाली सतहों और वस्तुओं जैसे दरवाजे के हैंडल, काउंटर टॉप्स और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, को नियमित रूप से साफ करना और कीटाणु रहित रखना चाहिए.
स्वाइन फ्लू का कैसे करें उपचार : स्वाइन फ्लू को रोकने या इलाज के लिए मरीज को एंटीवायरल दवाएं दिया जाता है. स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए अब बाजार में टीका भी उपलब्ध है. इससे इन्फ्लूएंजा या श्वसन संबंधिच बीमारियों की वजह बनने वाले कीटाणुओं को रोकने में आपको मदद मिलेगी. स्वाइन फ्लू से संक्रमित रोगी के लिए पानी पीना, बुखार और सिरदर्द के लिए दवा लेना, आराम करना फायदेमंद हो सकता है. एंटीवायरल दवाएं कभी-कभी लक्षणों के पहले या दो दिनों के भीतर दी जाती हैं. इन दवाओं में लक्षणों की तीव्रता के जोखिम को कम करने की क्षमता होती है. हालांकि, फ्लू के वायरस इन दवाओं के प्रति प्रतिरोध हासिल कर सकते हैं.