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भोपाल से आए अफसरों को हाईकोर्ट ने लगायी फटकार, कहा- क्या तुम नालायक, अनपढ़ और डफर हो!

Gwalior High court : स्वर्णरेखा नदी प्रोजेक्ट को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान भोपाल से पहुंचे एक अधिकारी को हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने जमकर फटकार लगाई.जज ने जब अधिकारी से सवाल किए तो वे ठीक से जवाब ही नहीं दे पाए.

gwalior high court
स्वर्णरेखा पर चल रहे प्रोजेक्ट को लेकर हाईकोर्ट नाराज
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 28, 2024, 7:36 PM IST

Updated : Feb 29, 2024, 10:59 AM IST

भोपाल से आए अफसर को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

ग्वालियर। स्वर्णरेखा नदी प्रोजेक्ट को लेकर लगायी गई एक याचिका पर ग्वालियर हाईकोर्ट में बुधवार को फिर सुनवाई हुई. भोपाल से आए एग्जीक्यूटिव इंजीनियर जब कोर्ट में सवाल-जवाब हुए तो वे ठीक से बता ही नहीं पाए. एफिडेविट में कई कमियों के चलते कोर्ट ने अधिकारी को जमकर फटकार लगाई. एफिडेविट में क्या लिखा है इसे आपने पढ़ा ही नहीं.इसके चलते उन्हें अनपढ़ डफर जैसे शब्द भी सुनना पड़े.

स्वर्णरेखा नदी को लेकर सुनवाई

ग्वालियर शहर में घटते जलस्तर को सुधारने और स्वर्णरेखा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए करोड़ों खर्च होने के बाद भी स्वर्णरेखा आज एक नाले में ही तब्दील है. जिसे लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच कई बार नगरीय प्रशासन विभाग और अधिकारियों को फटकार लगा चुकी है. एक बार फिर स्वर्णरेखा नदी पर चल रहे प्रोजेक्ट को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई हुई. यह करीब 45 मिनट चली. इस सुनवाई में इस बार भोपाल से भी अधिकारियों को बुलाया गया था. इस बार फिर अधिकारियों ने कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की और उन्हें जमकर लताड़ लगाई.

सवालों का जवाब ना दे पाने पर कोर्ट नाराज

हाईकोर्ट में सुनवाई में शामिल होने भोपाल से नगरीय प्रशासन विभाग के कार्यपालन यंत्री राकेश रावत इस प्रोजेक्ट के बारे में बताने आए थे. इस दौरान जब केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस आर्य ने अधिकारियों द्वारा पेश किए गए एफिडेविट में कई कमियां नोट की. इनको लेकर सवाल-जवाब किए तो कार्यपालन यंत्री राकेश रावत सवालों के ठीक से जवाब ही नहीं दे पाए. जिसको लेकर याचिका की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित आर्य ने खासी नाराजगी जाहिर की.

'केवल टाइप किया एफिडेविट लेकर चले आए'

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस आर्य ने कहा कि "मिस्टर आप भोपाल से आए हैं जिसके लिए आपको टीए-डीए मिला है, लेकिन आप केवल टाइप किया एफिडेविट लेकर ही चले आए, इसके अंदर क्या लिखा है आपने इसे पढ़ने तक की आवश्यकता नहीं समझी. इसे क्या आपको नहीं पढ़ना चाहिए था, आप अनपढ़ हैं क्या."

हाईकोर्ट जस्टिस ने जमकर लताड़ा

जस्टिस आर्य ने एग्जीक्यूटिव इंजीनियर रावत को फटकारते हुए कहा कि "अपर आयुक्त विजय राज को हटाकर आपको आईओसी बनाया गया है. मुझे लगता है किसी लायक समझा होगा तभी आपको बनाया गया होगा लेकिन आप पुराने अधिकारियों की तरह ही नालायक हो जो प्रोजेक्ट समझा भी नहीं पा रहे या राजधानी जाकर सब भूल गए हो. विभाग से किस बात की तनख्वाह मिलती है बाबू गिरी या पोस्टमैन की तनख्वाह ले रहे हैं क्या!. सच बात तो यह है कि तुम लोगों की आदत भी बिगड़ गई है सारा काम बाबू के आधार पर चलता है फिर कोर्ट से डांट भी सुनते हो. अंत में उन्होंने कहा कि प्रशासन को बोलिए कि किसी डफर को ना भेजें."

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स्वर्णरेखा नदी के तल को पक्का किए जाने के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर

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कोर्ट ने दिए रिपोर्ट बनाने के आदेश

कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई के लिए अधिकारियों को सात दिन ग्वालियर में रुककर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाने और अगली सुनवाई पर पेश करने को कहा है. अब इस याचिका पर 5 मार्च को अगली सुनवाई होगी.

भोपाल से आए अफसर को हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

ग्वालियर। स्वर्णरेखा नदी प्रोजेक्ट को लेकर लगायी गई एक याचिका पर ग्वालियर हाईकोर्ट में बुधवार को फिर सुनवाई हुई. भोपाल से आए एग्जीक्यूटिव इंजीनियर जब कोर्ट में सवाल-जवाब हुए तो वे ठीक से बता ही नहीं पाए. एफिडेविट में कई कमियों के चलते कोर्ट ने अधिकारी को जमकर फटकार लगाई. एफिडेविट में क्या लिखा है इसे आपने पढ़ा ही नहीं.इसके चलते उन्हें अनपढ़ डफर जैसे शब्द भी सुनना पड़े.

स्वर्णरेखा नदी को लेकर सुनवाई

ग्वालियर शहर में घटते जलस्तर को सुधारने और स्वर्णरेखा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए करोड़ों खर्च होने के बाद भी स्वर्णरेखा आज एक नाले में ही तब्दील है. जिसे लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच कई बार नगरीय प्रशासन विभाग और अधिकारियों को फटकार लगा चुकी है. एक बार फिर स्वर्णरेखा नदी पर चल रहे प्रोजेक्ट को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई हुई. यह करीब 45 मिनट चली. इस सुनवाई में इस बार भोपाल से भी अधिकारियों को बुलाया गया था. इस बार फिर अधिकारियों ने कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की और उन्हें जमकर लताड़ लगाई.

सवालों का जवाब ना दे पाने पर कोर्ट नाराज

हाईकोर्ट में सुनवाई में शामिल होने भोपाल से नगरीय प्रशासन विभाग के कार्यपालन यंत्री राकेश रावत इस प्रोजेक्ट के बारे में बताने आए थे. इस दौरान जब केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस आर्य ने अधिकारियों द्वारा पेश किए गए एफिडेविट में कई कमियां नोट की. इनको लेकर सवाल-जवाब किए तो कार्यपालन यंत्री राकेश रावत सवालों के ठीक से जवाब ही नहीं दे पाए. जिसको लेकर याचिका की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित आर्य ने खासी नाराजगी जाहिर की.

'केवल टाइप किया एफिडेविट लेकर चले आए'

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस आर्य ने कहा कि "मिस्टर आप भोपाल से आए हैं जिसके लिए आपको टीए-डीए मिला है, लेकिन आप केवल टाइप किया एफिडेविट लेकर ही चले आए, इसके अंदर क्या लिखा है आपने इसे पढ़ने तक की आवश्यकता नहीं समझी. इसे क्या आपको नहीं पढ़ना चाहिए था, आप अनपढ़ हैं क्या."

हाईकोर्ट जस्टिस ने जमकर लताड़ा

जस्टिस आर्य ने एग्जीक्यूटिव इंजीनियर रावत को फटकारते हुए कहा कि "अपर आयुक्त विजय राज को हटाकर आपको आईओसी बनाया गया है. मुझे लगता है किसी लायक समझा होगा तभी आपको बनाया गया होगा लेकिन आप पुराने अधिकारियों की तरह ही नालायक हो जो प्रोजेक्ट समझा भी नहीं पा रहे या राजधानी जाकर सब भूल गए हो. विभाग से किस बात की तनख्वाह मिलती है बाबू गिरी या पोस्टमैन की तनख्वाह ले रहे हैं क्या!. सच बात तो यह है कि तुम लोगों की आदत भी बिगड़ गई है सारा काम बाबू के आधार पर चलता है फिर कोर्ट से डांट भी सुनते हो. अंत में उन्होंने कहा कि प्रशासन को बोलिए कि किसी डफर को ना भेजें."

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कोर्ट ने दिए रिपोर्ट बनाने के आदेश

कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई के लिए अधिकारियों को सात दिन ग्वालियर में रुककर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाने और अगली सुनवाई पर पेश करने को कहा है. अब इस याचिका पर 5 मार्च को अगली सुनवाई होगी.

Last Updated : Feb 29, 2024, 10:59 AM IST
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